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    मुंबई में फिर से सिर उठा रहा अंडरवर्ल्ड, वारदात का तरीका बदला

    By Digpal SinghEdited By:
    Updated: Wed, 14 Jun 2017 06:29 PM (IST)

    एक समय चोरी-छिपे वारदात को अंजाम देने वाले अंडरवर्ल्ड ने अब अपने काम करने का तरीका बदल लिया है।

    मुंबई में फिर से सिर उठा रहा अंडरवर्ल्ड, वारदात का तरीका बदला

    नई दिल्ली। मुंबई के अंडरवर्ल्ड की कई कहानियां हम सब ने सुनी हैं। अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम पिछले दो-तीन दशकों से पाकिस्तान और दुबई में बैठकर खौफ का धंधा चलाता रहा है। हाजी मस्तान, करीम लाला, वरदराजन, दाऊद इब्राहिम, रवि पुजारी, छोटा राजन, छोटा शकील, शरद शेट्टी, सुरेश पुजारी, ऐजाज लकड़ावाला, अबू सलेम और अरुण गवली जैसे कई डॉन मुंबई के अंडरवर्ल्ड में अपनी धाक जमा चुके हैं।

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    एक समय चोरी-छिपे वारदात को अंजाम देने वाले अंडरवर्ल्ड ने अब अपने काम करने का तरीका बदल लिया है। पहले जहां अंडरवर्ल्ड के लिए काम करने वाले गुर्गे आसानी से पहचाने जाते थे और रौब से रहते थे, अब वह आम सा दिखने वाला कोई भी इंसान हो सकता है। यह बदलाव उस समय सामने आया, जब हाल में मुंबई पुलिस क्राइम ब्रांच की एंटी एक्सटॉर्शन सेल ने तीन लोगों को गिरफ्तार किया। इन तीनों को उपनगरीय इलाके की दो दुकानों में गोलीबारी की, लेकिन पुलिस हैरत में तब पड़ गई, जब इन तीनों का पिछला कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं निकला।

    सूरत जेल में कैदियों को भोजन की सप्लाई करने वाले 52 वर्षीय सुधाकर क्रिस्टोफरिया उसका साथी और वेटर 25 वर्षीय राज चव्हाण व उसकी पहचान का 27 वर्षीय अली अब्बास खान एंटी एक्सटॉर्शन सेल की गिरफ्त में हैं। यही नहीं अली अब्बास खान तो कश्मीर का मूल निवासी है और मुंबई स्थित ग्लैमर की दुनिया में मॉडलिंग में हाथ आजमाने आया था। इन तीनों को नालासोपारा और उल्हासनगर में फिरौती मांगने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। सुरेश पुजारी करीब 10 साल पहले सूरत की जेल में था और माना जाता है कि वह अभी ऑस्ट्रेलिया या दक्षिण-पूर्व एशिया में कहीं रह रहा है।

    कभी बंदूक नहीं थामी और अडरवर्ल्ड के लिए काम

    पुलिस की जांच में पता चला कि इन तीनों में से किसी ने भी कभी बंदूक नहीं थामी। इन तीनों को फरार गैंगस्टर सुरेश पुजारी ने इस काम के लिए 10 लाख रुपये देने का वादा किया था। एक समय विरोधियों को ठिकाने लगाने और धमकी देने के लिए अंडरवर्ल्ड डॉन शार्पशूटरों का इस्तेमाल करते थे, लेकिन अब उनकी रणनीति में बदलाव दिख रहा है। मुंबई के एक सीनियर पुलिस अधिकारी ने कहा कि गैंग्सटरों ने अपने शिकार को डराने का यह नया तरीका ढूंढा है।

    अंडरवर्ल्ड के लिए काम करने वाले गुर्गे अब फिल्मों में दिखाई देने वाले खूंखार गुंडों की तरह नहीं दिखते। अब यह गुर्गे कैटरर, वेटर, उभरते मॉडल, हुक्का पार्लर के मालिक आदि के रूप में सामने आ रहे हैं। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के अनुसार एक समय पर किसी गैंगस्टर को 50 शार्पशूटर रखने पड़ते थे, लेकिन आज काम के लिए ऐसे आम लोगों का इस्तेमाल किया जा रहा है। इस तरह के नए लड़कों को बताया जाता है कि उन्हें किसी को मारने की जरूरत नहीं, किसी को शूट करने की जरूरत नहीं है। उदाहरण के लिए उन्हें अपने टार्गेट के आसपास शीशे या पेड़ पर गोली चलाने, वहां एक नोट में गैंगस्टर को कॉल करने का संदेश लिखकर छोड़ने को कहा जाता है।

    इस तरह से गोली चलाकर सामने वाले व्यक्ति को डराया जाता है, ताकि वह गैंगस्टर से संपर्क करके उसकी मुहमांगी सुपारी दे दे। इस काम के बदले युवाओं को बिना किसी को नुकसान पहुंचाए लाखों रुपये की कमाई हो जाती है। कम मेहनत में जल्दी पैसा कमाने के लिए युवा इस तरह के काम के लिए राजी हो जाते हैं।


    किसान के बेटों ने भी डॉन के लिए चलायी गोली

    एक पुलिस अधिकारी ने बताया, इसी तरह की एक अन्य घटना में पिछले साल अक्टूबर में सुमित चक्रवर्ती नाम के एक बिल्डर के ठाणे स्थित दफ्तर पर गोली चली थी। इस मामले में सोलापुर के दो युवकों 27 वर्षीय हनुमंत गायकवाड और 24 वर्षीय राहुल लोंढे को गिरफ्तार किया गया था। इन दोनों के पिता किसान हैं। उनके परिवार में पैसे की भारी तंगी थी। हनुमंत गायकवाड को अपनी बहन की शादी के लिए पैसे की जरूरत थी। इन दोनों का कोई पुराना आपराधिक रिकॉर्ड नहीं था, फिर भी यह दोनों इस काम के लिए तैयार हो गए। इस मामले में नवी मुंबई के एक हुक्का पार्लर के मालिक और पुणे के कैटरर को भी गिरफ्तार किया गया था।

    गोली चलाने के लिए सेल्समैन का इस्तेमाल

    ठाणे की घटना के करीब एक महीने बाद एंटी एक्सटॉर्शन सेन ने अंकुश इंदुलकर और सागर चव्हाण नाम के दो युवकों को मुंबई के उपनगरीय क्षेत्र ओशीवारा में एक बिल्डर के घर के बाहर के गिरफ्तार किया। यह दोनों मीरा रोड के निवासी हैं। माना जाता है कि इन दोनों को फरार चल रहे गैंगस्टर ऐजाज लकड़ावाला ने बिल्डर पर गोली चलाने के लिए भेजा था। लकड़ावाला के बारे में माना जाता है कि वह कनाडा में रह रहा है। बता दें कि अंकुश एक गैराज में काम करता था, जबकि सागर एक दुकान में सेल्समैन की नौकरी करता था। जब पुलिस ने इस बात की खोजबीन शुरू की कि इन दोनों के अंडरवर्ल्ड के लिए काम करने की शुरुआत कैसे हुई तो चौंकाने वाला तथ्य सामने आया। पता चला कि इन दोनों को मीरा रोड पर हाथापायी के आरोप में न्यायिक हिरासत में भेजा गया था। कैद में रहने के दौरान ही इनकी मुलाकात लकड़ावाला के गुर्गे प्रशांत राव से हुई। माना जाता है कि बाद में राव ने इन्हें लकड़ावाला के लिए काम करने का ऑफर दिया। 

    एक अधिकारी ने बताया कि नौसीखिए शूटर मुंबई अंडरवर्ल्ड में शार्पशूटरों से आगे निकल गए हैं और बड़ी गैंगों के लिए इनसे काम कराना आसान भी है। शार्पशूटर का नाम बड़ा होने से डॉन को ही खतरा महसूस होने लगता है। उदाहरण के लिए दाऊद इब्राहिम गैंग के लिए काम करने वाले फिरोज कोंकणी को ही ले लीजिए। सिर्फ 17 साल की उम्र में फिरोज ने कॉन्ट्रेक्ट किलिंग का काम शुरू कर दिया था। माना जाता है कि मुंबई में 1990 के दशक के मध्य में एके-47 का इस्तेमाल करने वाला फिरोज पहला शूटर था। पुलिस का मानना है कि दाऊद के गुर्गे छोटा शकील और उसके भाई अनीस इब्राहिम ने फिरोज को 2003 में मार दिया था, क्योंकि गैंग में उसका कद बढ़ता जा रहा था।


    पुराने शार्पशूटर काट रहे कन्नी

    एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के अनुसार पुराने शार्पशूटर गैंगस्टरों के लिए शूटआउट में भाग लेने से बच रहे हैं। इसके पीछे कारण सख्त मकोका कानून है। पहले यह शूटर गिरफ्तार होते थे तो कुछ ही महीनों में जेल से छूटकर बाहर आ जाते थे और फिर अपने काम में जुट जाते थे। लेकिन पिछले कुछ सालों में अगर किसी को मकोका के तहत गिरफ्तार किया जाता है तो उसका छूटना मुश्किल हो जाता है। इसके तहत उन्हें कम से कम 3-5 साल तक जेल में बिताने पड़ते हैं, गुनाह साबित हो गया तो यह कैद 10 साल की भी हो सकती है। इसलिए बहुत से लोगों के लिए शार्पशूटर का काम अब आर्थिक तौर पर उतना फलदायी नहीं रहा। पिछले करीब दो-ढाई साल ने पुलिस ने 80-100 ऐसे शूटरों को मकोका के तहत गिरफ्तार किया है।

    अंग्रेजी दैनिक 'द इंडियन एक्सप्रेस' से बात करते हुए डिप्टी कमिश्नर पुलिस दिलिप सावंत कहते हैं, 'आजकल बहुत से गैंग ऐसे नए लड़कों से काम करवाना चाहते हैं, लेकिन ऐसे लड़के मिलना आसान काम नहीं है। कई मामलों में तो नए लड़कों को जितना पैसे का वादा किया जाता है उतना मिलता भी नहीं है। हाल में जिन तीन लड़कों को गिरफ्तार किया गया है उनसे 10 लाख का वादा किया गया था, जबकि हमने उनसे 3 लाख रुपये रिकवरी की है।'

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