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    जब इंदिरा गांधी ने अधिकृत राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी का किया था विरोध

    By Lalit RaiEdited By:
    Updated: Mon, 19 Jun 2017 05:03 PM (IST)

    1969 का राष्ट्रपति चुनाव सियासत से इतर इसलिए भी महत्वपूर्ण था, जब कोई भी उम्मीदवार पहली वरीयता की गिनती में जरूरी मत हासिल करने में नाकाम रहा था।

    जब इंदिरा गांधी ने अधिकृत राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी का किया था विरोध

    नई दिल्ली [स्पेशल डेस्क] । राष्ट्रपति चुनाव में आमतौर पर सत्तारूढ़ दल का उम्मीदवार ही विजयी होता है। लेकिन एक ऐसा चुनाव भी था, जिसमें प्रधानमंत्री ने अपनी ही पार्टी के उम्मीदवार का समर्थन नहीं किया और उसे हार का सामना करना पड़ा। यह रोचक चुनाव 1969 में हुआ था, जब निर्दलीय उम्मीदवार वीवी गिरि कांग्रेस के अधिकृत उम्मीदवार नीलम संजीव रेड्डी को हराकर राष्ट्रपति बने थे।

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    यह चुनाव अब तक का एकमात्र ऐसा चुनाव था, जिसमें कोई भी उम्मीदवार पहले दौर की मतगणना में जीत के लिए जरूरी मत हासिल नहीं कर सका था। दूसरी वरीयता के मतों की गणना तथा निचले क्रम के उम्मीदवारों को एक-एक करके बाहर किए जाने के बाद चुनाव में जीता का फैसला हो सका था।

    तत्कालीन राष्ट्रपति जाकिर हुसैन की मई 1969 में मृत्यु के बाद राष्ट्रपति पद का चुनाव कराना पड़ा। उस समय तक उप-राष्ट्रपति को ही राष्ट्रपति बनाने की परंपरा थी। इंदिरा गांधी के विरोधी नेताओं ने वीवी गिरि की जगह नीलम संजीव रेड्डी को उम्मीदवार बनाने का प्रस्ताव किया। इंदिरा गांधी ने तब बाबू जगजीवन राम का नाम आगे किया। कांग्रेस संसदीय बोर्ड में बहुमत में न होने की वजह से इंदिरा गांधी की नहीं चली और मजबूरन नीलम संजीव रेड्डी को उम्मीदवार के तौर पर स्वीकार करना पड़ा। लेकिन इसी बीच वीवी गिरि ने उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देकर निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर पर्चा भरा। उस वक्त कांग्रेस सांसदों के लिए इंदिरा गांधी ने ह्विप जारी करने से मना कर दिया।


    रेड्डी और गिरी के बीच रोचक चुनाव

    16 अगस्त 1969 को हुआ चुनाव।

    20 अगस्त को मतों को गणना हुई।

    कुल 8,36,637 मत डाले गए।

    जीत के लिए जरूरी मतों की संख्या थी 4,18, 469

    पहले दौर की मतगणना में गिरी को 4,01,515 मत मिले। जबकि रेड्डी को 3,13, 548 मत हासिल हुए।

    निचले क्रम से 15 उम्मीदवार मतगणना से हुए बाहर।

    दूसरी वरीयता के मतों की गिनती में वीवी गिरी को 4, 20, 077 मत मिले। जबकि रेड्डी को 4,05,427 मत मिले।

    राष्ट्रपति चुनाव 2017

    राष्ट्रपति पद के लिए 17 जुलाई को होने वाले मतदान की तैयारी चुनाव आयोग ने शुरू कर दी है। राज्यों को दिए निर्देश में आयोग ने कहा है कि सांसदों के लिए मतपत्रों की छपाई हरे रंग के कागज पर होगी। जबकि विधायकों के लिए मतपत्रों की छपाई गुलाबी रंग के कागज पर होगी। 

    खास पेन से होगा मतदान

    मुख्य निर्वाचन आयुक्त नसीम जैदी ने बताया कि राष्ट्रपति चुनाव में मत देने के लिए आयोग खास तरह के पेन की आपूर्ति करेगा। मतदन केंद्रों पर जब नामित अधिकारी मतपत्र सौंपेगा तभी मतदाताओं को यह पेन दिया जाएगा।किसी भी दूसरे पेन से मत देने पर वोट को अमान्य घोषित किया जा सकता है। चुनाव पैनल द्वारा भविष्य में होने वाले चुनावों में विवादों को दोहराने से बचने के तरीकों को सुझाव देने के लिए गठित कार्यकारी समूह की सिफारिशों के आधार पर खास पेन के इस्तेमाल का फैसला किया गया है।

    इन राज्यों में वहां की भाषाओं में भी छपेगा मतपत्र

    आंध्र प्रदेश, असम, गोवा, गुजरात, जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, ओडिशा, तमिलनाडु, पंजाब, तेलंगाना, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल और पुड्ड्चेरी शामिल हैं

    इन राज्यों के लिए मतपत्रों की हिंदी और अंग्रेजी में होगी छपाई

    अरुणाचल, उत्तर प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, हरियाणा, हिमाचल, झारखंड, मध्य प्रदेश, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, राजस्थान, उत्तराखंड और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली शामिल है।

    राष्ट्रपति चुनाव से जुड़ी खास बातें

    10,98,903 है निर्वाचक मंडल के मतों का मूल्य

    4896 मतदाता होते हैं निर्वाचन मंडल में

    देशभर में 4120 निर्वाचित विधायकों की संख्या

    776 निर्वाचित सांसद जिनमें 543 लोकसभा और 233 राज्यसभा के हैं।

    20 जुलाई को मतपेटियों को मतगणना के लिए दिल्ली लाया जाएगा।

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