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एक बार दागने के बाद 'ब्रह्मोस' को नहीं रोक पाएगी दुनिया की कोई ताकत

ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के लिए एचएएल ने सुखोई विमान में आवश्यक फेरबदल किए हैं जिससे कि वह ढाई टन वजन की भारी भरकम मिसाइल को प्रक्षेपित कर सके।

By Kamal VermaEdited By: Published: Fri, 24 Nov 2017 09:46 AM (IST)Updated: Fri, 24 Nov 2017 10:22 AM (IST)
एक बार दागने के बाद 'ब्रह्मोस' को नहीं रोक पाएगी दुनिया की कोई ताकत
एक बार दागने के बाद 'ब्रह्मोस' को नहीं रोक पाएगी दुनिया की कोई ताकत

22 नवंबर को ब्रह्मोस मिसाइल का सफल परीक्षण करके भारत ने एक और नया मुकाम हासिल कर लिया है। ऐसा इसलिए, क्योंकि इस दिन भारत ने दूसरी बार सुखोई-30 एमकेआइ सुपरसोनिक लड़ाकू विमान से इस मिसाइल का सफल प्रक्षेपण किया है। वर्तमान समय में इस मिसाइल को थल, जल एवं आसमान में कहीं से भी छोड़ा जा सकता है। यह मिसाइल जमीन के नीचे परमाणु बंकरों, कमांड एंड कंट्रोल सेंटर्स और समुद्र के ऊपर उड़ान भर रहे लड़ाकू विमानों को निशाना बनाने में सक्षम है।

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सुखोई-30 एमकेआइ के साथ जोड़कर ब्रह्मोस का पहली बार परीक्षण 25 जून, 2016 को किया गया था। यह परीक्षण हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड यानी एचएएल के हवाई अड्डे पर किया गया था। तब 2500 किलोग्राम वजन के प्रक्षेपास्त्र के साथ उड़ान भरने वाला भारत पहला देश बन गया था। वह विमानन इतिहास में एक यादगार दिन था। अब इस नई सफलता के बाद सुखोई विमानों में ब्रह्मोस मिसाइलों का लगा दिया जाएगा जिससे वायु सेना की मारक क्षमता काफी बढ़ जाएगी। इस परीक्षण का उद्देश्य सुखोई के जरिये हवा से जमीन पर मार करने में सक्षम बनना था।

अब भारतीय वायु सेना पूरी दुनिया की अकेली ऐसी वायु सेना बन गई है जिसके पास सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल प्रणाली है। अब वायु सेना दृश्यता सीमा से बाहर के लक्ष्यों पर भी हमला कर सकेगी। लगभग 40 विमानों में यह प्रणाली लगाए जाने की योजना है।  इस कामयाबी के बाद भारत दुनिया में स्वयं को एक महाशक्ति के रूप में स्थापित करने में भी सफल हुआ है। भारत इस मिसाइल के निर्यात की दिशा में आगे बढ़ने की तैयारी में लग गया है। एमटीसीआर का सदस्य बनने के बाद यह कार्य और आसान हो गया है। वियतनाम 2011 से इस तेज गति की मिसाइल को खरीदने की कोशिश में लगा हुआ है। वह चीन से बचाव के लिए ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल सिस्टम लेना चाहता है।

इस अत्याधुनिक मिसाइल सिस्टम को बेचने के लिए भारत की नजर में वियतनाम के अतिरिक्त 15 अन्य देश भी हैं। वियतनाम के बाद फिलहाल जिन चार देशों से बिक्री की बातचीत चल रही है उनमें इंडोनेशिया, दक्षिण अफ्रीका, चिली व ब्राजील हैं। शेष 11 देशों की सूची में फिलीपींस, मलेशिया, थाईलैंड व संयुक्त अरब अमीरात आदि शामिल हैं। इन सभी देशों के साथ दक्षिण चीन सागर मसले पर चीन के साथ तनातनी चल रही है।दुनिया की सबसे तेज गति वाली मिसाइलों में शामिल ब्रह्मोस मिसाइल सर्वाधिक खतरनाक एवं प्रभावी शस्त्र प्रणाली है। यह न तो राडार की पकड़ में आती है और न ही दुश्मन इसे बीच में भेद सकता है।

एक बार दागने के बाद लक्ष्य की तरफ बढ़ती इस मिसाइल को किसी भी अन्य मिसाइल या हथियार प्रणाली से रोक पाना असंभव है। 300 किलोग्राम वजन के हथियार को ले जाने में सक्षम इस मिसाइल को मोबाइल करियर से भी लांच किया जा सकता है। यह परीक्षण इसी श्रेणी का था। ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का परीक्षण पोखरण क्षेत्र में कई बार किया जा चुका है। पूर्व में विकसित की गई इस मिसाइल में अब कुछ सुधार किए गए हैं। इसकी क्षमता को बढ़ाया गया है। इस मिसाइल की खासियत यह है कि इसे समुद्र और सतह के साथ हवा से भी दागा जा सकता है।

गत वर्ष सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस का नौसेना के युद्धपोत आइएनएस कोच्चि से सफल परीक्षण किया गया था। इस परीक्षण के जरिये युद्धपोत की अत्याधुनिक प्रणाली की क्षमताओं को भी परखा गया था। यह ‘एक्सेप्टेंस टेस्ट फायरिंग’ के तहत परीक्षण किया गया था। ब्रह्मोस का जून 2014 और फरवरी 2015 में आइएनएस कोलकाता से पहले ही सफल परीक्षण किया जा चुका है। यह अमेरिका की सबसोनिक क्रूज मिसाइल टॉमहॉक से तीन गुना अधिक तेज है। यह भारतीय नौसेना का अत्यंत शक्तिशाली व नवीन युद्धपोत है।

सामान्य तौर पर एक पोत की क्षमता आठ मिसाइलों की होती है, लेकिन आइएनएस कोलकाता 16 ब्रह्मोस मिसाइलें दाग सकता है। इसमें खास तरह के यूनिवर्सल वर्टिकल लांचर डिजाइन का प्रयोग किया गया है जिसकी सहायता से क्षैतिज रूप में इस मिसाइल से किसी भी दिशा में हमला किया जा सकता है। ब्रह्मोस का प्रक्षेपण पनडुब्बी, पोत, विमान या जमीन पर आधारित मोबाइल ऑटोनोमस लांचर्स से भी किया जा सकता है। इसकी अधिकतम गति 2.8 मैक अर्थात ध्वनि की गति से लगभग तीन गुनी अधिक है। सुखोई लड़ाकू विमानों को ब्रह्मोस से लैस करने से भारत उन विशिष्ट देशों के क्लब में शामिल हो गया है जिनके लड़ाकू विमान क्रूज मिसाइलों से लैस हैं।

ब्रह्मोस के अब तीन स्वरूप विकसित किए जा रहे हैं। अब पानी के अंदर व हवा में प्रक्षेपित किए जाने वाले संस्करणों पर काम जारी है। सेना की दो रेजीमेंटों में यह मिसाइल पूरी तरह से परिचालन में है। सेना ब्रह्मोस ब्लॉक-2 मिसाइलों की दूसरी रेजीमेंट तैयार कर रही है जिसे लैंड अटैक क्रूज मिसाइल के नाम से जाना जाता है। इस मिसाइल को इस प्रकार से तैयार किया गया है कि घनी आबादी में भी छोटे लक्ष्यों को निशाना बनाया जा सकता है। ब्रह्मोस ब्लॉक-2 से आंतकवादी शिविरों समेत बेहद सटीक लक्ष्यों को भेदा जा सकता है। यह सर्जिकल स्ट्राइक करने में पूरी तरह से सक्षम है। सेना ने अब तीसरी रेजीमेंट में इसकी तैनाती के लिए उत्पादन संबंधी ऑर्डर दिया है।

ब्रह्मोस के ब्लॉक-3 संस्करण का आधुनिक दिशा-निर्देशों और उन्नत सॉफ्टवेयर के साथ सफल परीक्षण किया जा चुका है। इस परीक्षण में विभिन्न बिंदुओं पर इसकी कलाबाजियां सम्मिलित थीं। यह मिसाइल ध्वनि की गति से भी तेज गति से गोते लगा सकती है तथा कठिन से कठिन लक्ष्यों पर भी सटीक निशाना लगा सकती है। इसकी अद्यतन संचालन तकनीक और उन्नत सॉफ्टवेयर ने इसे जमीन पर 10 मीटर उंचाई पर स्थित लक्ष्य को भी भेदने में कुशल बना दिया है। इससे सीमा पार के क्षेत्रों में बिना तबाही मचाए आतंकवादी शिविरों को ध्वस्त किया जा सकता है।

डॉ. लक्ष्मी शंकर यादव

(लेखक सैन्य विज्ञान विषय के प्राध्यापक हैं)

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