जम्मू-कश्मीर के युवाओं में इंजीनियर, डॉक्टर बनने का बढ़ा रुझान
अकेले कश्मीर घाटी के करीब दो हजार छात्रों को मिली स्कॉलरशिप।
अरविंद पांडेय, नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर को लेकर केंद्र सरकार की नीतियों का असर अब दिखने लगा है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है, कि एक तरफ जहां घाटी में खून-खराबा करने वाले आतंकवादियों को चुन-चुनकर ढेर किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर इसी मुस्तैदी से भटके युवकों और छात्रों को मुख्यधारा में लाने की भी कोशिशें चल रही है।
ताजा उदाहरण जम्मू-कश्मीर में लिए विशेष तौर पर चलाई जा रही प्रधानमंत्री विशेष छात्रवृत्ति योजना से जुड़ा है। जिसके तहत बड़ी संख्या में छात्र डॉक्टर और इंजीनियर बनने के लिए आगे आ रहे है। अकेले इस साल घाटी के करीब चार हजार छात्रों को डाक्टर, इंजीनियर सहित दूसरी प्रोफेशनल पढ़ाई के लिए छात्रवृत्ति दी गई है।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय के मुताबिक वर्ष 2017-18 के लिए अब इस स्कीम के तहत जिन पाठ्यक्रमों के लिए छात्रवृत्ति मंजूर की गई है, उनमें करीब 24 सौ छात्रों को इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए छात्रवृति दी गई है। इसके साथ ही करीब 230 छात्रों को फार्मेसी और करीब 15 छात्रों को डाक्टरी की पढ़ाई के लिए छात्रवृति दी गई है। इसके अलावा भी नर्सिग, आर्कीटेक्ट, एचएमसीटी और पॉलीटेक्निक आदि के लिए भी काफी बड़ी संख्या में छात्रों को छात्रवृत्ति दी गई है। खासबात यह है कि इस साल जितने छात्रों को छात्रवृत्ति दी गई है, उनमें अकेले कश्मीर घाटी के करीब दो हजार छात्र है, जबकि जम्मू के करीब 14 सौ छात्र और लद्दाख क्षेत्र के भी दो सौ छात्र है।
छात्रवृत्ति योजना के तहत पिछले साल की तुलना में इस साल छात्रों की संख्या करीब 12 सौ से ज्यादा बढ़ी है। योजना के तहत उच्च शिक्षा या प्रोफेशनल कोर्स करने वाले छात्रों को केंद्र की ओर से पूरी फीस और रखने-खाने का पूरा पैसा दिया जाता है। मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों की मानें तो योजना के तहत वैसे तो ज्यादा छात्र आवेदन आते है, लेकिन छात्रवृत्ति सिर्फ उन्हें ही प्रदान की जाती है, जो योजना में फिट बैठते है।
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