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    बाढ़ पीड़ितों का गुस्सा जायज, सरकार पर आरोप गलत: उमर

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    Updated: Wed, 10 Sep 2014 02:33 PM (IST)

    जम्मू-कश्मीर में चारों तरफ बाढ़ से बरबादी का मंजर दिख रहा है। अब तक 150 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। कई जगहों पर लोग अपने-अपने घरों में फंसे हुए ...और पढ़ें

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    श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में चारों तरफ बाढ़ से बरबादी का मंजर दिख रहा है। अब तक 200 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। कई जगहों पर लोग अपने-अपने घरों में फंसे हुए हैं। इस बीच, जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि अगर बाढ़ पीड़ित गुस्सा हो रहे हैं तो उनका गुस्सा जायज है। इस तरह की विभीषिका के बारे में किसी ने सोचा भी नहीं होगा। 109 साल में यह सबसे खराब स्थिति आई है। ऐसा कभी नहीं हुआ था। इसके बाढ़ संकट से निपटने में सरकार पर लगे आरोपों को भी उन्होंने सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि प्रशासनिक स्तर पर बाढ़ संकट से निपटने के लिए विभिन्न एजेंसियां संयुक्त प्रयास कर रही हैं। केंद्र सरकार की तरफ से मदद मिल रही है। मैं लगातार सेना और नेवी के संपर्क में हूं। साथ ही इस बात का पूरा खयाल रखा जा रहा है कि पीड़ितों तक राहत सामग्री सही तरीके से पहुंच पा रही है कि नहीं। वहीं, जल स्तर गिरने के बाद बीमारी का खतरा बढ़ेगा। इस बात की चिंता बनी हुई है।

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    बाढ़ के कारण राज्य के 390 गांव पानी में डूबे हुए हैं, जिनमें 50 बुरी तरह प्रभावित हैं, हालांकि राहत की खबर यह है कि मौसम विभाग ने अगले तीन दिनों में राज्य में भारी बारिश की संभावना से इन्कार किया है, जिसकी वजह से यह उम्मीद जताई जा रही है कि आज राहत और बचाव कार्य में तेजी आएगी।

    सेना और एनडीआरएफ की टीमें बचाव कार्य में जुटी हैं। हेलीकॉप्टरों के जरिये लोगों को बाहर निकालने का काम और उन तक रसद, दवाई, टेंट पहुंचाने का काम जारी है। सेना ने अब तक एक लाख से अधिक लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला है।

    थल सेना अध्यक्ष जनरल दलबीर सिंह ने कहा है कि जब तक अंतिम व्यक्ति को भी सुरक्षित नहीं निकाल लिया जाता तब तक सेना अपने कैंप में नहीं जाएगी।

    सेना ने ऑपरेशन मेघ राहत के लिए करीब 20,000 जवानों को लगाया है। सेना की 215 टुकड़ियां, 65 मेडिकल टीम और 15 इंजीनियर कश्मीर घाटी में बचाव कार्य में लगे हुए हैं। संचार सेवा पूरी तरह से ठप पड़ चुकी है। जिसको शुरू करने का प्रयास किया जा रहा है।

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