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    एक दिन पहले जहां था मातम, अब दुआओं और मिठाई का दौर

    By Manoj YadavEdited By:
    Updated: Wed, 10 Feb 2016 08:25 AM (IST)

    कर्नाटक के धारवाड जिले के बेटादुर गांव में भी सीन बदल गया है। एक दिन पहले तक जहां लोग परिवार को सांत्वना देने आ रहे

    धारवाड/नई दिल्ली। सियाचिन में बर्फ के 35 फीट मोटे सफेद कफन को चीर कर बाहर निकाल लाए गए भारतीय सेना के जवान लांस नायक हनुमनथप्पा कोप्पड़ के लिए अब पूरा देश प्रार्थना कर रहा है।

    वहीं, कर्नाटक के धारवाड जिले के बेटादुर गांव में भी सीन बदल गया है। एक दिन पहले तक जहां लोग परिवार को सांत्वना देने आ रहे थे, अब वे मिठाई लेकर आ रहे हैं। दुआ की जा रही है।

    परिवार के पुरुष सेना में अपने दोस्तों से लगातार संपर्क में हैं और हनुमनथप्पा की सेहत को लेकर पल-पल की खबर ले रहे हैं। उन्होंने हनुमनथप्पा के घर के केबल कनेक्शन काट दिया है, ताकि जांबाज जवान की मां और पत्नी को कोई दुखद खबर न मिले।

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    12 वर्षों में सियाचिन में 800 जवान गंवा चुके हैं जान

    इससे पहले, मंगलवार को हनुमनथप्पा को दिल्ली में सेना के रिसर्च एंड रेफरल (आरएंडआर) अस्पताल में भर्ती कराया गया। शाम को जारी बुलेटिन में बताया गया कि वे कोमा में हैं। अगले 48 घंटे बेहद अहम हैं।

    यहां तो मातम ही मातम

    सियाचिन में दुनिया की सबसे दुर्गम तैनाती पर मौजूद मद्रास रजिमेंट की 19वीं बटालियन के दस फौजियों में से बाकी नौ के पार्थिव शरीर पूरे सम्मान के साथ उनके परिवार वालों तक पहुंचाए जा रहे हैं। वहां तीन फरवरी को आए हिमस्खलन में बर्फ में फंस गए इन दस फौजियों में सिर्फ हनुमनथप्पा को ही बचाया जा सका। 20,500 फीट की ऊंचाई पर दुनिया की सबसे दुर्गम सैन्य ड्यूटी कर रहे भारतीय सेना के लांसनायक हनुमनथप्पा ने 35 फीट मोटे बर्फ के सफेद कफन में भी जीवन की जंग नहीं हारी।

    लांसनायक हनुमनथप्पा की हालत नाजुक, अगले 48 घंटे संवेदनशील