कश्मीर में आजादी की आड़ में इस्लामिक जिहाद
राज्य पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कश्मीर में कहीं भी आजादी की मूवमेंट नहीं है। यह सिर्फ एक नारा है जो किसी हद तक कश्मीरियों की भावनाओं का शोषण करता है।
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। आतंकी कमांडर बुरहान की मौत के बाद वादी में शुरू हुए हिंसा चक्र ने साबित कर दिया है कि कश्मीर इस्लामिक कटटरपंथियों ने आजादी के नाम पर जिहाद छेड़ रखा है। आजादी के नाम पर लोगों को भारत के खिलाफ उकसाने वाला अलगाववादी खेमा सिर्फ हड़ताली कैलेंडर तक सिमट चुका है और हिंसक प्रदर्शनों, भारत विरोधी रैलियों की कमान कश्मीर में शरिया का सपना पालने वाले मजहबी संगठनों ने अपने हाथ में ले ली है।
जमायत-ए-इस्लामी, सौऊत उल इस्लाम, सौऊत उल आलिया, सौऊत-उल-हक, जमायत-ए-अहल-ए-हदीस समेत विभिन्न मजहबी संगठनों द्वारा संयुक्त रूप से बीते दो माह से वादी के विभिन्न हिस्सों में राष्ट्रविरोधी रैलियां, जलसे व रोड शो हो रहे हैं। रैलियों को संबोधित करने वालों में बेशक हुर्रियत के नेता भी शामिल हें, लेकिन मुख्य वक्ता जिहाद का पाठ पढ़ाते विभिन्न इस्लामिक विचारधाराओं के आलिम व मौलवी ही रहते हैं।
पाकिस्तान से नाता क्या ला इलाहा इल्लल्लाह, यहां क्या चलेगा निजाम-ए-मुस्तफा, अल जिहाद-अल जिहाद, लश्कर आई लश्कर आई-भारत तेरी मौत आई, यह वह चंद नारे हैं जो पाकिस्तान के झंडों के बीच कहीं कहीं आईएसआईएस के झंडे जैसे बैनर लहराती भीड़ इन रैलियों में लगाती है।
कश्मीर मामलों के विशेषज्ञ अहमद अली फैयाज ने कहा कि यहां सक्रिय विभिन्न मजहबी संगठन भारत से अलगाव के समर्थक हैं। उनमें से कई हुर्रियत कांफ्रेंस के सदस्य भी हैं, लेकिन उनका एजेंडा कश्मीर की भौगोलिक आजादी से कहीं ज्यादा है। इन्हीं संगठनों का हर जिले, मोहल्ले में कैडर है। यह रैलियां भी उन्हीं इलाकों में हो रहीं हैं, जहां आतंकी संगठनों की पोषक विचारधारा के संगठनों का कैडर ज्यादा है।
हुर्रियत नेताओं को भी इस सच का पता है और कश्मीर में जारी रैलियां इस सच्चाई को दुनिया के सामने ला रही हैं। कश्मीर की सियासत में बने रहने के लिए हुर्रियत के पास हड़ताली कैलेंडर जारी करने व इस्लाम के नाम पर आजादी का नारा लगाने के सिवाय कोई चारा नहीं है। राज्य पुलिस द्वारा जुटाए गए आंकड़ों के मुताबिक, बीते 63 दिनों में कश्मीर में ऐसी छोटी बड़ी 530 से ज्यादा रैलियां व जलसे हो चुके हैं। इनमें आतंकी भी बंदूके लहराते हुए नजर आए हैं।
डा अजय चुरंगु कहते हैं कि कश्मीर में आजादी का कोई आंदोलन नहीं है। इस्लामिक कटटरवाद ही कश्मीर में हिंसा की जड़ है। हिजबुल मुजाहिदीन, लश्कर-ए-ताईबा, जैश ए मोहम्मद, तहरीकुल मुजाहिदीन, हरकतुल जेहादे इस्लामी समेत आप किसी भी संगठन का नाम लें, वह इस्लाम किसी न किसी कटटरपंथी विचारधारा से जुड़ा है। विभिन्न इस्लामिक विचारधाराओं से जुढ़े मदरसों, मस्जिदों व संगठनों में शरियत लागू करने की वकालत रहती है।
राज्य पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कश्मीर में कहीं भी आजादी की मूवमेंट नहीं है। यह सिर्फ एक नारा है जो किसी हद तक कश्मीरियों की भावनाओं का शोषण करता है। अन्यथा यह पूरी तरह से कटटरवादी आतंकी हिंसा है।

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