आइएनएस कोलकाता भारत के तकनीकी बुद्धिबल का प्रतीक : नरेंद्र मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को अपने देश में निर्मित सबसे बड़े युद्धपोत आइएनएस कोलकाता को राष्ट्र को समर्पित किया। उन्होंने इसे भारत के तकनीकी बुद्धिबल का प्रतीक करार दिया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि यदि हमारी सेना हर तरह से सामर्थ्यवान होगी तो कोई हमें आंख दिखाने की हिम्मत नहीं करेगा।
मुंबई [ओमप्रकाश तिवारी]। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को अपने देश में निर्मित सबसे बड़े युद्धपोत आइएनएस कोलकाता को राष्ट्र को समर्पित किया। उन्होंने इसे भारत के तकनीकी बुद्धिबल का प्रतीक करार दिया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि यदि हमारी सेना हर तरह से सामर्थ्यवान होगी तो कोई हमें आंख दिखाने की हिम्मत नहीं करेगा।
मुंबई के ही मझगांव डॉकयार्ड में स्वदेशी तकनीक से तैयार आइएनएस कोलकाता ब्रह्मोस मिसाइलों से लैस देश में बना अब तक का सबसे बड़ा विध्वंसक पोत है। प्रधानमंत्री ने इसे तैयार करनेवाले इंजीनियरों, वैज्ञानिकों एवं तकनीशियनों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि आइएनएस कोलकाता हमारे वैज्ञानिक एवं तकनीकी बुद्धि बल का प्रतीक बनकर दुनिया के सामने आया है। मोदी के अनुसार, युद्ध लड़ना और जीतना अब उतना कठिन नहीं रह गया है लेकिन युद्ध हो ही नहीं, इसकी गारंटी तब होती है, जब हम सामर्थ्यवान हों। यदि हमारी सेना सामर्थ्यवान होगी तो कोई आंख ऊंची करके हमारी ओर देखने का साहस ही नहीं करेगा।
प्रधानमंत्री ने हाल ही में रक्षा क्षेत्र के लिए घोषित सरकारी नीतियों की ओर इशारा करते हुए कहा कि एक समय था जब हम ज्यादातर रक्षा सामग्री बाहर से आयात करते थे। नई सरकार ने विदेश से उन्नत तकनीक मंगाकर यहां उनका उत्पादन करने का निर्णय किया है। इससे देश आत्मनिर्भर बनेगा और हम बड़ी संखया में युद्धपोत एवं अन्य चीजों का उत्पादन कर उन्हें निर्यात भी कर सकेंगे। तब हम ज्यादा सुरक्षित रहेंगे। आइएनएस कोलकाता जैसे युद्धपोतों को व्यावसायिक सुरक्षा के लिए भी उपयोगी बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आज विश्व व्यापार के लिए समुद्री सुरक्षा एक चुनौती बन गई है। ऐसे युद्धपोत हमारी व्यावसायिक सुरक्षा में भी सहायक होंगे। इस अवसर पर उनके साथ रक्षामंत्री अरुण जेटली एवं नौसेना अध्यक्ष आर.के.धोवन भी मौजूद थे। आइएनएस कोलकाता को नौसेना के पश्चिमी कमान के बेड़े में शामिल किया जाएगा।
इसके बाद जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट (जेएनपीटी) के निकट विशेष आर्थिक क्षेत्र(एसई़जेड) का शिलान्यास करते हुए भी प्रधानमंत्री ने पोत निर्माण क्षेत्र में भारत को दक्षिण कोरिया की तर्ज पर विशेष प्रयास करने की सलाह दी। बता दें कि भारत के पास 7 हजार 615 किलोमीटर लंबा समुद्री किनारा है। भारत के अंतरराष्ट्रीय व्यापार का दो तिहाई बंदरगाहों के जरिये होता है। इस ओर ध्यान दिलाते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि बंदरगाह भारत की संपन्नता का रास्ता खोल सकते हैं।
एक शहर को रोशनी दे सकता है यह युद्धपोत
आइएनएस कोलकाता युद्धपोत की लंबाई 164 मीटर और चौड़ाई करीब 18 मीटर है। इसका वजन 6 हजार 800 टन है। यह 30 नॉट यानी 55.56 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकता है। इस पर 30 अधिकारी और 300 नौसैनिक तैनात रहेंगे। इसमें चार शक्तिशाली गैस टर्बाइन जेनरेटर लगे हैं इसके अलावा एक डीजल अल्टरनेटर भी है जो मिलकर 4.5 मेगावाट बिजली उत्पादन करने में सक्षम हैं। इतनी बिजली एक छोटे शहर को रोशनी देने के लिए पर्याप्त है।
शिवाजी को याद किया
प्रधानमंत्री ने शनिवार को पहले नौसेना के समारोह में और उसके बाद जेएनपीटी के समारोह में भी महाराष्ट्र के योद्धा महापुरुष छत्रपति शिवाजी महाराज को याद करना नहीं भूले। आइएनएस कोलकाता को राष्ट्र को समर्पित करते हुए मोदी ने कहा कि सबसे पहले नौसेना की परिकल्पना शिवाजी महाराज ने की थी। उसके बाद दुनिया ने इसे अपनाया। फिर जेएनपीटी के विशेष आर्थिक क्षेत्र का शिलान्यास करते हुए भी उन्होंने शिवाजी को याद किया। उन्होंने कहा कि हम शिवाजी की भूमि रायगढ़ में आकर स्वयं को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। माना जा रहा है कि इस प्रकार दोनों स्थानों पर शिवाजी का स्मरण कर मोदी ने चुनावी वर्ष में स्थानीय लोगों का दिल जीतने की कोशिश की है, क्योंकि महाराष्ट्र के लोग छत्रपति शिवाजी का बहुत सम्मान करते हैं।
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