हमले के दिन हो गया था बदले का फैसला
मोदी सरकार मणिपुर में सेना पर उग्रवादी हमले के अगले ही दिन इसका बदला लेना चाहती थी, लेकिन सेना की तैयारियों के कारण इसे टाल देना पड़ा। चार जून को हमले के तत्काल बाद गृहमंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई उच्च स्तरीय बैठक में आतंकियों को सबक सिखाने का
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। मोदी सरकार मणिपुर में सेना पर उग्रवादी हमले के अगले ही दिन इसका बदला लेना चाहती थी, लेकिन सेना की तैयारियों के कारण इसे टाल देना पड़ा। चार जून को हमले के तत्काल बाद गृहमंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई उच्च स्तरीय बैठक में आतंकियों को सबक सिखाने का फैसला लिया गया। इसके बाद ऑपरेशन की तैयारियों की जिम्मेदारी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और सेनाध्यक्ष जनरल दलबीर सुहाग ने संभाल ली।
चार जून को हुए उग्रवादी हमले में सेना के 18 जवानों के शहीद होने के तत्काल बाद राजनाथ सिंह ने वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक बुलाई थी। बैठक में राजनाथ सिंह के अलावा, रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, आइबी प्रमुख, रॉ प्रमुख, सुरक्षा सचिव और गृह सचिव मौजूद थे। बैठक में 72 घंटे के भीतर म्यांमार के भीतर आतंकी शिविरों पर हमले का फैसला लिया गया। लेकिन छह और सात को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बांग्लादेश दौरे के कारण यह संभव नहीं था। वहीं सेनाध्यक्ष जनरल सुहाग ने अगले दिन पांच जून को ऑपरेशन से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि उन्हें तैयारियों के लिए वक्त चाहिए। इसके बाद अंतत: आठ जून यानी सोमवार को ऑपरेशन पर सहमति बनी। इस फैसले के बारे में तत्काल प्रधानमंत्री को बताया गया और उनकी सहमति भी ले गई।
उच्च पदस्थ सूत्रों के बैठक में ऑपरेशन के विभिन्न तरीकों पर भी विस्तार से चर्चा हुई। इनमें मिग या सुखोई विमान से उग्रवादी शिविरों पर बम गिराना भी शामिल था। लेकिन इस विकल्प को बाद में छोड़ दिया गया, क्योंकि इसमें आतंकियों के साथ-साथ कुछ स्थानीय लोगों के चपेट में भी आने की आशंका थी। अंतत: एमआइ 17 हेलीकाप्टर से सेना के विशेष दस्ते के कमांडो को म्यांमार में भेजना तय हुआ। फैसला होने के बाद अजीत डोभाल और जनरल सुहाग ऑपरेशन की तैयारियों में जुट गए। इस कारण अजीत डोभाल ने प्रधानमंत्री के साथ अपना बांग्लादेश दौरा और जनरल सुहाग ने ब्रिटेन का दौरा रद्द कर दिया। पांच जून को दोनों मणिपुर पहुंचे और हालात की समीक्षा की।
सूत्रों के अनुसार आठ जून के ऑपरेशन को एक दिन के लिए टालना भी पड़ा, क्योंकि कुछ बिन्दुओं पर प्रधानमंत्री की मंजूरी जरूरी थी। रविवार को देर शाम को प्रधानमंत्री के आने के बाद यह मंजूरी ली गई और सोमवार को देर शाम विशेष कमांडो दस्ते को म्यांमार में आतंकी कैंपों के आसपास उतार दिया गया। इन कैंपों को पूरी तरह घेरने के बाद रात तीन बजे ऑपरेशन शुरू हुआ, जो लगभग 13 घंटे तक चलता रहा। मंगलवार की शाम को सफल ऑपरेशन कर जवानों के लौटने के बाद सेना ने इस बारे में बताया।