गाजा संघर्ष पर किसी का पक्ष नहीं लेगा भारत: सुषमा स्वराज
गाजा संघर्ष में किसी एक की तरफदारी से इन्कार कर भारत ने इजरायल और फलस्तीन से शांति प्रस्ताव स्वीकर कर संघर्षविराम की अपील की है। पश्चिम एशिया हालात पर संसद में हुई चर्चा के दौरान विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा कि केंद्र फलस्तीन को समर्थन और इजरायल के साथ बेहतर रिश्तों की विदेश नीति पर कायम है।
नई दिल्ली। गाजा संघर्ष में किसी एक की तरफदारी से इन्कार कर भारत ने इजरायल और फलस्तीन से शांति प्रस्ताव स्वीकर कर संघर्षविराम की अपील की है। पश्चिम एशिया हालात पर संसद में हुई चर्चा के दौरान विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा कि केंद्र फलस्तीन को समर्थन और इजरायल के साथ बेहतर रिश्तों की विदेश नीति पर कायम है।
सरकार ने गाजा पंट्टी इलाके में इजरायली कार्रवाई के खिलाफ संसद में प्रस्ताव पारित करने की विपक्षी मांग को खारिज कर दिया। नाराज विपक्ष करीब चार घंटे की चर्चा और स्वराज के जवाब के बाद प्रस्ताव की जिद में बहिर्गमन कर गया।
राज्यसभा में सोमवार को बहस के साथ इस मामले पर सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच एक सप्ताह से जारी सियासी टकराव का भी पटाक्षेप हो गया। लंबी चर्चा और नेता विपक्ष गुलाम नबी आजाद समेत 20 सदस्यों के भाषण के बाद सुषमा स्वराज ने सरकार की विदेश नीति पर उठे सवालों को एक-एक कर धराशायी कर दिया।
आजाद ने अल्पकालिक चर्चा शुरू करते हुए सरकार से मामले में अपना रुख स्पष्ट करने में देरी की शिकायत की। इस पर विदेश मंत्री ने कहा कि 16 जुलाई को निर्धारित चर्चा से पहले 15 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ब्रिक्स के मंच से जारी साझा वक्तव्य में इजरायली सैन्य कार्रवाई पर विरोध जता चुके थे।
वहीं, उप-सभापति पीजे कुरियन ने नेता विपक्ष की इजरायल के खिलाफ प्रस्ताव लाने की मांग को यह कहते हुए नकार दिया कि नियम 176 के तहत हुई अल्पकालिक चर्चा में किसी तरह के प्रस्ताव या मतविभाजन का प्रावधान नहीं है। विपक्ष सरकार से सदन में सहमति बनाकर प्रस्ताव लाने का दबाव बना रहा था, जिसे नकार दिया गया।
स्वराज ने कहा, 'मैं दावे से कह सकती हूं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार में मजहब के आधार पर कोई भेदभाव नहीं है।' उन्होंने मक्का में बंद मुस्लिमों की रिहाई और इराक से छुड़ाई गई नर्सो [ज्यादातर ईसाई] की सुरक्षित वापसी का भी जिक्र किया। गाजा संघर्ष के मुद्दे पर बहस से बचने के विपक्ष के आरोपों को लेकर निशाने पर आई सरकार का पक्ष साफ करते हुए स्वराज ने कहा कि विदेश नीति में कोई बदलाव नहीं आया है।
सरकार फलस्तीन को 2 करोड़ डॉलर की बजटीय सहायता दे रही है। साथ ही संयुक्त राष्ट्र संस्था को भी फलस्तीन में राहत कार्य के लिए दस लाख डॉलर की मदद दी जा रही है। माकपा सांसद सीताराम येचुरी की इजरायल से रक्षा खरीद रद करने की मांग को भी सरकार ने नकार दिया। स्वराज ने येचुरी से पूछा कि 2008 में संघर्ष के दौरान 1400 फलस्तीनियों की मौत के वक्त संप्रग सरकार के सहयोगी के तौर पर वाममोर्चा ऐसा फैसला क्यों नहीं करा पाया।
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