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रॉफेल लड़ाकू विमान सौदा अब भरेगा उड़ान

पीएम मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट की सुरक्षा मामलों की समिति की बुधवार को हुई बैठक में रॉफेल विमान सौदे को लेकर काफी चर्चा हुई।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Wed, 21 Sep 2016 09:31 PM (IST)Updated: Wed, 21 Sep 2016 09:56 PM (IST)
रॉफेल लड़ाकू विमान सौदा अब भरेगा उड़ान

संजय मिश्र, नई दिल्ली। ताकतवर लड़ाकू विमानों की बाट जोह रहे भारतीय वायुसेना को अति आधुनिक रॉफेल विमान मिलने की राह शुक्रवार को खुल जाएगी। भारत ने इसके लिए फ्रांस के साथ सौदे की पूरी रुपरेखा तय कर ली है। फ्रांसीसी रक्षामंत्री ज्यां यीव ली ड्रियान की शुक्रवार से शुरू हो रही नई दिल्ली यात्रा में 36 रॉफेल विमान खरीदने के सौदे पर दोनों देशों की आखिरी मुहर लग जाएगी। सौदे पर मुहर लगने के तीन साल के भीतर पहला रॉफेल लड़ाकू विमान भारतीय वायुसेना को मिल जाएगा। जबकि साढे पांच साल में सभी 36 विमान भारत को मिल जाएंगे।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट की सुरक्षा मामलों की समिति की बुधवार को हुई बैठक में रॉफेल विमान सौदे को लेकर काफी चर्चा हुई। समझा जाता है कि अब सरकार ने वायुसेना की तात्कालिक अपरिहार्य जरूरतों को देखते हुए इस सौदे को हकीकत में तब्दील करने का फैसला कर लिया है। रॉफेल का निर्माण करने वाली फ्रांसीसी कंपनी डसाल्ट इन विमानों को न केवल वायुसेना को उपलब्ध कराएगी बल्कि इसके साथ हवा से दुश्मन पर अचूक निशाना लगाने वाले हथियार प्रणाली भी मुहैया कराएगी।

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हालांकि करीब 60 हजार करोड रुपए के रॉफेल विमानों की डसाल्ट से सीधे खरीदने की बजाय भारत ने फ्रांस सरकार के साथ समझौता कर यह विमान खरीदने का फैसला किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हर रक्षा सौदे में दलाली के उठने वाले सवालों को देखते हुए कंपनी की बजाय फ्रांस सरकार के जरिए रॉफेल सौदे को अमलीजामा पहनाने का फैसला किया था। मोदी की फ्रांस यात्रा में ही इसके लिए समझौता भी हुआ था। लेकिन पिछले डेढ साल से विमानों की कीमत और सौदे की शर्तो को लेकर रस्साकशी चल रही थी।

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रॉफेल खरीद समझौते की इस रकम में इसके रखरखाव से लेकर मिसाइल प्रणाली आदि भी शामिल होंगे। डसाल्ट इसमें भारतीय वायुसेना और उसके पायलटों को प्रशिक्षण भी देगी। समझौते में यह प्रावधान भी होगा कि विमानों के साथ मिलने वाले हथियारों और मिसाइलों के रख रखाव का डिपो तैयार नहीं होने की स्थिति में फ्रांस छह माह तक अतिरिक्त इन सामनों को अपने यहां बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के रखेगा।

इतना ही नहीं विमान के कल पुर्जे समझौते के तहत सात साल तक शुरुआती मूल्य पर ही डसाल्ट मुहैया कराएगी। गौरतलब है कि शुरूआती समझौते के तहत पहले यह प्रावधान पांच साल का था। लेकिन कीमतों पर भारत की फ्रांस से हुई डील में इसे दो साल और बढ़ाया गया। सौदे की कुल राशि में से भी भारत ने 4200 करोड रुपए कम कराए हैं। फ्रांसीसी रक्षामंत्री और रक्षामंत्री मनोहर पार्रीकर की शुक्रवार को होनेवाली अहम बैठक में इस समझौते पर आखिरी मुहर लगाने की रुपरेखा बन गई है।


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