लंबी दूरी की परमाणु मिसाइल का सफल परीक्षण
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। चुनावी सरगर्मी के बीच भारत ने एक अहम रणनीतिक कामयाबी दर्ज करते हुए समुद्र के नीचे से दागी जाने वाली लंबी दूरी की बैलेस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया है। पनडुब्बी से वार करने में सक्षम इस नाभिकीय (परमाणु) मिसाइल की प्रहार क्षमता दो हजार किलोमीटर से अधिक है। इसने भारत को धरती वआकाश के बाद अब जल से रणनीतिक

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। चुनावी सरगर्मी के बीच भारत ने एक अहम रणनीतिक कामयाबी दर्ज करते हुए समुद्र के नीचे से दागी जाने वाली लंबी दूरी की बैलेस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया है। पनडुब्बी से वार करने में सक्षम इस नाभिकीय मिसाइल की प्रहार क्षमता दो हजार किलोमीटर से अधिक है। इसने भारत को धरती व आकाश के बाद अब जल से रणनीतिक मारक क्षमता दे दी है।
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उच्च पदस्थ रक्षा सूत्रों के मुताबिक, पश्चिम बंगाल तट के करीब सोमवार को मिसाइल का परीक्षण किया गया और यह सभी पैमाने पर खरा उतरा। रक्षा मंत्री एके एंटनी ने रक्षा वैज्ञानिकों की टीम को बधाई देते हुए इसे एक अहम उपलब्धि करार दिया। महत्वपूर्ण है कि 'के-4' कोड नाम वाली यह मिसाइल भारतीय अस्त्रागार में पानी से नीचे से वार करने वाला सर्वाधिक लंबी दूरी का प्रक्षेपास्त्र है। वैसे इससे पहले जनवरी 2013 में भारत पानी से भीतर से वार में सक्षम मध्यम दूरी की बी-05 मिसाइल का परीक्षण कर चुका है, जिसकी मारक क्षमता 700 किमी थी। ताजा सफलता ने भारत को अमेरिका, रूस, फ्रांस व चीन समेत उन मुल्कों की कतार में खड़ा कर दिया है जिनके पास जल, थल, नभ से नाभिकीय प्रहार क्षमता है।
महत्वपूर्ण है कि नौसेना में तैनाती के लिए तैयार हो रही स्वदेशी नाभिकीय पनडुब्बी आइएनएस अरिहंत को नई नाभिकीय पनडुब्बी से लैस किया जाना है। उल्लेखनीय है कि भारत बीते दो साल में पांच हजार किलोमीटर से अधिक दूरी तक वार करने में सक्ष अग्नि-5 मिसाइल का भी परीक्षण कर चुका है। वैसे बीते साल भारत ने पहली स्वदेशी क्रूज मिसाइल निर्भय का भी परीक्षण किया था। हालांकि मिसाइल के लक्ष्य चूक जाने के कारण यह कामयाब नहीं हो सका था। वैसे भारत कहता रहा है कि नाभिकीय अस्त्रों का वह पहले इस्तेमाल नहीं करेगा। लेकिन इतना जरूर स्पष्ट है कि अगर वार हुआ तो उसका मुंहतोड़ जवाब देगा। भारत अपने मिसाइल कार्यक्रम में अग्नि, पृथ्वी, नाग, आकाश श्रेणी की मिसाइलों का विकास कर चुका है।

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