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    भारत का 'देसी जीपीएस' सिस्टम IRNSS-1E होगा बेहद फायदेमंद

    By Mohit TanwarEdited By:
    Updated: Wed, 20 Jan 2016 03:38 PM (IST)

    भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने आज सफलता की तरफ एक कदम और बढ़ा लिया है। ISRO ने देसी जीपीएस सिस्टम की तरफ अहम कदम बढ़ाया है। PSLV के जरिये हुआ लॉन्च कामयाब रहा है। IRNSS-1E नाम की यह सैटेलाइट भारत के नेविगेशन सिस्टम को खड़ा करने में अहम साबित

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    श्रीहरिकोटा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने आज सफलता की तरफ एक और कदम बढ़ाया। ISRO ने देसी जीपीएस सिस्टम की तरफ अहम कदम बढ़ाते हुए PSLV के जरिये IRNSS-1E लॉन्च किया जो कामयाब रहा। IRNSS-1E नाम की यह सैटेलाइट भारत के नेविगेशन सिस्टम को खड़ा करने में अहम साबित होगा।

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    पीएसएलवी यानी पोलर सैटेलाइट लॉन्च वीइकल। 44.4 मीटर की ऊंचाई और 1425 किलोग्राम के इस उपग्रह पर 1400 करोड़ का खर्च आया है इसे दस साल तक काम करने की उम्मीद जताई जा रही है।

    क्या है IRNSS-1E

    IRNSS-1E आईआरएनएसएस अंतरिक्ष प्रणाली का 5वां दिशासूचक उपग्रह है। इस प्रणाली के तहत कुल सात उपग्रह हैं और इन सभी का प्रक्षेपण हो जाने के बाद यह प्रणाली अमेरिका आधारित जीपीएस के समकक्ष हो जाएगी। ये उपग्रह लगातार डाटा भेजते हैं जिन्हें किसी स्मार्टफोन या दूसरे उपकरण से पढ़ा जा सकता है। इसरो 20 मीटर से कम तक की ऐक्युरेसी सुनिश्चित करता है। भारतीय सैटेलाइट सिस्टम सरहद के चारों तरफ़ 1500 किलोमीटर के दायरे को कवर करता है। भारत को जहां से ख़तरे का अंदेशा है, उस पूरे इलाक़े को कवर करता है।

    अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत की एक और छलांग, नेविगेशन सैटेलाइट IRNSS-1E हुआ प्रक्षेपित

    वैसे, भारत ऐसा छठा देश होगा, जिसके पास इस प्रकार का सिस्टम है। इस सिस्टम के आने से भारतीय सेनाओं को काफी मजबूती मिलेगी।इस सैटेलाइट से आम लोगों को भी काफी लाभ होगा।

    भारत अब तक चार क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह (आईआरएनएसएस-1ए, 1बी, 1सी और 1डी) लांच कर चुका है और यह आईआरएनएसएस का पांचवा उपग्रह होगा। जिसे आज सफलता हासिल हुई है।

    भारत ने कब लॉन्च किए आईआरएनएसएस

    इससे पहले चार उपग्रहों 1 जुलाई, 2013 को आईआरएनएसएस -1 ए, 4 अप्रैल, 2014 को आईआरएनएसएस -1 बी, 16 अक्टूबर, 2014 को आईआरएनएसएस -1 सी, 28 मार्च, 2015 को आईआरएनएसएस -1 डी को लांच किया गया है।

    इसरो के वैज्ञानिकों की मार्च, 2016 तक इस कक्षा में सभी सात नेविगेशन उपग्रहों लांच करने की योजना है।