संयुक्त राष्ट्र महासभा में सुनाई देगी उड़ी हमला समेत बलूचिस्तान की गूंज
संयुक्त राष्ट्र महासभा में इस बार भारत उड़ी हमले समेत बलूचिस्तान के मुद्दे पर पाकिस्तान को बेनकाब करेगा। इसके साथ ही मानवाधिकार के मुद्दे पर वह पाक को घेरेगा।
नई दिल्ली (जेएनएन)। उड़ी हमले के बाद भारत ने अंतरराष्ट्रीय जगत में पाकिस्तान को अलग-थलग करने की मुहिम शुरू कर दी है। संयुक्त राष्ट्र महासभा में भी उड़ी हमले की गूंज पूरे जोर-शोर के साथ सुनाई देगी। विदेश मंत्री भारत की तरफ से महासभा को 26 सितंबर को संबोधित करेंगी। अपने संबोधन के दौरान वह पाकिस्तान को बेनकाब कर उड़ी समेत पठानकोट हमले का भी मुद्दा वहां उठाएंगी। इसके सााथ ही मुंबई हमले का भी जिक्र संयुक्त राष्ट्र के मंच से किया जाएगा। इन तीन हमलों का जिक्र इसलिए भी किया जाएगा क्योंकि तीनों ही हमले बेहद बड़े थे और तीनों ही बार भारत ने पाकिस्तान को सबूत मुहैया करवाए थे, लेकिन इन्हें पाकिस्तान ने नहीं माना। पाकिस्तान हर बार इसको भारत द्वारा रचा गया हमला करार देता आया है। भारत यहां पर पाकिस्तान को बलूचिस्तान में हो रहे मानवाधिकार उल्लंघन के मुद्दे पर भी घेरेगा।
यूएनजीए के दौरान विभिन्न राष्ट्राध्यक्षों से बैठक
भारत की कूटनीतिक कोशिशों के तहत संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान विदेश मंत्री वहां आए राष्ट्राध्यक्षों से मुलाकात कर पाकिस्तान को अलग-थलग करने की अपनी रणनीति पर काम करेंगी। राष्ट्राध्यक्षों के साथ होने वाली बैठक में सुषमा उन्हें कश्मीर में पाकिस्तान द्वारा फैलाए जा रहेे आतंकवाद की जानकारी देंगी और उनसे भारत के लिए समर्थन भी मांगेंगी। भारत की कोशिश है कि पाकिस्तान को संयुक्त राष्ट्र आतंकवादी देश घोषित करे। इसके साथ ही भारत इस्लामी सहयोग संगठन से भी यूएन से इतर बात करेगा। ओआईसी ने कश्मीर मुद्दे पर भारत के खिलाफ रिजोल्यूशन पास किया है।
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हमले के तुरंत बाद कूटनीतिक प्रयास शुरू
अपनी कूटनीतिक प्रयासों के तहत ही उड़ी हमले के तुरंत बाद विदेशों में मौजूद भारतीय राजदूतों ने वहां के राष्ट्राध्यक्षों से इस बारे में बात की थी। गौरतलब हैै कि कई देशों ने उड़ी हमले की तीखी आलाेचना की है। संयुक्त राष्ट्र में भारत के प्रतिनिधी सैयद अकबरुद्दीन ने भी इसको लेकर प्रयास तेज कर दिए हैं। मुंबई हमले के बाद यह दूसरा ऐसा मौका है जब पाकिस्तान की करतूतों के चलते भारत से उसके संबंध सबसे निचले स्तर पर पहुंच गए हैं।
बान की मून ने की हमले की निंदा
ब्रिटेन मेंं मौजूद भारतीय राजदूत नवतेज सरना ने ब्रिटेन के विदेश सचिव बोरिस जॉनसन और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से बात की थी। सोमवार को भी कई देशों ने बयान जारी कर उड़ी हमले की कड़ी शब्दों में निंदा की। संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने भी हमले के तुंरत बाद ही इसकी कड़ी आलोचना की थी। उन्होंने दोनों देशों से अपील की थी कि वह बातचीत के जरिए कश्मीर में शांति बनाए रखने की कोशिश करें।
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फ्रांस ने भी की हमले की कड़ी आलोचना
हमले के बाद फ्रांस के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर उड़ी हमले की कड़ी निंदा की और भारत से आतंकवादियों के खिलाफ सख्त रुख अपनाने की भी अपील की है। बयान में साफतौर पर आतंकी ठिकानों को नष्ट करने पर विचार करने को भी कहा गया था। फ्रांस के विदेश मंत्रालय ने कहा कि हमले से साबित होता है कि भारत भी फ्रांस की ही भांति आतंकवाद से पीडि़त देश है। हमले के बाद चौतरफा आलोचनाओं से घिरे पाकिस्तान ने न चाहते हुए इस हमले की निंदा की। पाकिस्तान ने इस हमले को इस्लाम के खिलाफ बताते हुए इसकी निंदा की। फ्रांस ने लश्कर समेत हिजबुल के ठिकानों को नष्ट करने और कश्मीर का अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत समाधान करने की भी बात भारत से की है।
रूस, चीन और अफगानिस्तान ने भी दर्द किया साझा
अमेरिका ने भी कड़े शब्दों में इस हमले की निंदा की है। इसके अलावा रूस और चीन ने भी खुलकर इस हमले की कड़ी निंदा की है। अफगानिस्तान ने पाकिस्तान की तरफ इशारा करते हुए यहां तक कहा कि यह देश आतंकवाद को अपनी विदेश नीति का हिस्सा मानता आया है। एक बयान में कहा गया अफगानिस्तान भारत के दुख से वाकिफ है। इन सभी के अलावा यूएन ह्यूमन राइट काउंसिल में भी उड़ी हमले पर भारत ने पाकिस्तान को घेरने की पूरी कोशिश की है। इसके अलावा यहां पर बलूचिस्तान की भी गूंज सुनाई पड़ी।
संयुक्त राष्ट्र महासभा में सुनाई देगी उड़ी हमला समेत बलूचिस्तान की गूंज