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    प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, भारत को वैश्विक मध्यस्थता केंद्र बनाने की आवश्यकता

    By Rajesh KumarEdited By:
    Updated: Sun, 23 Oct 2016 09:51 PM (IST)

    पीएम ने विज्ञान भवन में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि यह भरोसा हो कि व्यापारिक विवाद कानूनी फ्रेमवर्क में प्रभावी ढंग से निपटाए जाएंगे।


    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत को वैश्विक मध्यस्थता केंद्र बनाए जाने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि विवादों के निपटारे की वैकल्पिक व्यवस्था बनाना राष्ट्रीय प्राथमिकता है। देश में मध्यस्थता के तंत्र को मजबूत करने की पहल पर आयोजित तीन दिवसीय वैश्विक सम्मेलन में रविवार को प्रधानमंत्री ने कहा कि मध्यस्थता कानून को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुद्रण किया जाना चाहिए ताकि भारत को मध्यस्थता के वैश्विक केंद्र के रूप में विकसित किया जा सके। देश की आर्थिक प्रगति के लिए इस कानून का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होना आवश्यक है।

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    उधर मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर ने भी मध्यस्थता के जरिये वैकल्पिक विवाद निपटारा तंत्र मजबूत करने का समर्थन करते हुए कहा कि मध्यस्थता कानून के ठीक से लागू होने से व्यापार आसान होगा। उन्होंने कहा कि न्यायाधीशों को मध्यस्थता पंचाट के फैसलों का समर्थन करना चाहिए।

    प्रधानमंत्री ने विज्ञान भवन में आयोजित सम्मेलन में कहा कि आज भारत एक तेजी से बढ़ने वाली आर्थिक व्यवस्था है और ये निवेश के लिए पसंदीदा जगह भी है। इसके लिए जरूरी है कि यहां लंबे समय के लिए निवेश हो जिससे नौकरियां सृजित हों और आर्थिक विकास दर बनी रहे। व्यापार के लिए जरूरी है कि भारतीय बाजार में कानून और व्यवस्था लागू रहे। निवेशकों को इस बात का भरोसा होना चाहिये कि यहां मनमाने तरीके से या एक रात में ही नियम नहीं बदल जाएंगे। उन्हे यह भरोसा हो कि व्यापारिक विवाद कानूनी फ्रेमवर्क में प्रभावी ढंग से निपटाए जाएंगे।

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    प्रधानमंत्री ने कहा कि इसके लिए मजबूत वैकल्पिक विवाद निवारण का मध्यस्थता तंत्र जरूरी है। प्रधानमंत्री ने कहा कि दो दिन तक चला यह सम्मेलन मध्यस्थता कानून को भारत में प्रभावी बनाने की राह में मील का पत्थर साबित होगा। इस सम्मेलन में जो निष्कर्ष निकलेंगे उम्मीद है कि उससे वैश्विक स्तर पर इस क्षेत्र में काम करने वाले कानूनी विशेषज्ञों और कारपोरेट घरानों का ध्यान भारत की तरफ आकर्षित होगा। उन्होंने कहा कि सरकार की प्राथमिकता मध्यस्थता कानून के जरिये सभी तरह के कारोबारी विवादों का समाधान निकालना है। मध्यस्थता के जरिये विवादों का निपटारा बहुत आसानी से हो सकता है। इसमें व्यापक संभावनाएं हैं लेकिन इसे प्रभावी बनाने के लिए अभी ठोक प्रयास नहीं हुए हैं। प्रधानमंत्री ने सरकार के किए गए कानूनी सुधारों का भी विवरण दिया।

    इस मौके पर मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर ने न्यायिक व्यवस्था को मजबूत करने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने न्यायाधीशों की कमी और मुकदमों के ढेर के आंकड़े पेश करते हुए कहा कि इससे न्यायपालिका दबाव में रहती है। जजों को मध्यस्थता संबंधी केसों को निपटाने का प्रशिक्षण दिया जाना चाहिये। कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने कहा कि हम मेक इन इंडिया और वर्क इन इंडिया लाए है अब हमें रिसोल्व इन इंडिया को बढ़ावा देना चाहिये। उन्होंने कहा कि हमारे जो घरेलू कानून हैं उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समर्थन पहचान नहीं मिल रही है इसलिए पुराने कानूनों में बदलाव लाने की जरूरत है। जिस तरह की आर्थिक विकास हो रहा है उसमें अन्य देश विवाद निपटारे के नये तंत्र ला रहे हैं हमें अपने मध्यस्थता तंत्र को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लाना होगा।

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    इस सम्मेलन का आयोजन नीति आयोग ने किया था जिसका उद्देश्य भारत में मध्यस्थता के बीच आ रही अड़चनों को चिन्हित करना और मध्यस्थता तंत्र को मजबूत करने का रोडमैप तैयार करना था। इस तीन दिवसीय सम्मेलन में विशेषज्ञों जजों और विभिन्न संबंधित लोगों ने हिस्सा लिया जिसमें देश में मध्यस्थता के त्वरित तंत्र को बढ़ावा देने पर चर्चा और विचार विमर्श हुआ।