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    चूमार की चौकी पर भारत फिर लगाएगा कैमरा

    By Edited By:
    Updated: Fri, 12 Jul 2013 09:36 PM (IST)

    नई दिल्ली [प्रणय उपाध्याय]। लद्दाख के चूमार सेक्टर में सीमा चौकी पर लगे निगरानी कैमरे को तोड़ने की घटना और चीनी एतराज के बावजूद भारत फिर से उसे लगाएगा। ...और पढ़ें

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    नई दिल्ली [प्रणय उपाध्याय]। लद्दाख के चूमार सेक्टर में सीमा चौकी पर लगे निगरानी कैमरे को तोड़ने की घटना और चीनी एतराज के बावजूद भारत फिर से उसे लगाएगा। इतना ही नहीं, सेना मुख्यालय पाकिस्तान से सटी नियंत्रण रेखा और चीन से लगी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर कैमरों और रडार की निगरानी बढ़ाने जा रहा है।

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    सूत्रों के मुताबिक चूमार में वास्तविक नियंत्रण रेखा स्थित उस पोस्ट पर भारत निगरानी कैमरों को फिर से लगाएगा, जहां गत 17 जून को चीनी सैनिकों ने उसे तोड़ दिया था। इस घटना पर भारतीय एतराज के बाद 3 जुलाई को चुशूल में हुई बॉर्डर पर्सनल मीटिंग में चीन से कैमरा वापस हासिल भी कर लिया गया था। सूत्रों के अनुसार ऊंचाई पर बनी चूमार की निगरानी पोस्ट पर लगे इस कैमरे की मदद से भारतीय सेना को चीनी सेना के गश्ती दल की पहले ही जानकारी मिल जाती थी। लिहाजा भारतीय गश्ती दल भी प्रतिक्रिया में वहां पहुंच जाता था। बताया जाता है कि 17 जून को कैमरा खराब था और चीनी गश्ती दल ने इसका लाभ उठाते हुए इस तोड़ा और अपने साथ ले गए।

    अप्रैल में लद्दाख के दिपसांग क्षेत्र में चीन और भारत की सेनाओं के बीच तीन हफ्तों तक चले गतिरोध के पीछे चूमार में मजबूत रणनीतिक मोर्चेबंदी को लेकर चीनी एतराज भी वजह थी। दोनों देशों के बीच चार हजार किमी से लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा को लेकर विवाद हैं।

    इस बीच, सेना मुख्यालय जम्मू-कश्मीर में चीन और पाकिस्तान से लगे सीमांत इलाकों में निगरानी कैमरों और रडार का नेटवर्क मजबूत करने में लगा है। सीमांत इलाकों में लगे लोरोस कैमरों को उन्नत कर मार्क-4 श्रेणी का बनाया जाएगा। वहीं स्वाति रडार का भी नेटवर्क भी तैयार किया जाना है। नए रडार 2014 तक तैनात किए जाने हैं।

    लोरोस कैमरों की मदद से भारतीय सेना चीनी इलाके में दिन के वक्त 20 किमी और रात में 26 किमी दूर तक की हर हलचल पर नजर रख सकती है। लोरोस की तस्वीरों और रडार से मिली सूचनाओं को कुछ ही मिनटों में दिल्ली के सेना मुख्यालय तक पहुंचाने के लिए सेना ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क को भी मुस्तैद कर रही है।

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