लड़ाकू विमान, मिसाइलें निर्यात करने की क्षमता है भारत के पास
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन [डीआरडीओ] के प्रमुख अविनाश चंदर ने कहा है कि भारत लड़ाकू विमान और मिसाइलों के निर्यात की क्षमता रखता है। यही नहीं, इनकी निर्माण लागत चीन जैसे देशों की ओर से बेचे जा रहे हथियारों से काफी कम होगी। डीआरडीओ प्रमुख ने कहा, हथियार प्रणालियों के निर्यात के लिए देश को एक 'नीति तंत्र' क
नई दिल्ली। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन [डीआरडीओ] के प्रमुख अविनाश चंदर ने कहा है कि भारत लड़ाकू विमान और मिसाइलों के निर्यात की क्षमता रखता है। यही नहीं, इनकी निर्माण लागत चीन जैसे देशों की ओर से बेचे जा रहे हथियारों से काफी कम होगी। डीआरडीओ प्रमुख ने कहा, हथियार प्रणालियों के निर्यात के लिए देश को एक 'नीति तंत्र' की जरूरत है।
डीआरडीओ ने मित्र राष्ट्रों को समयबद्ध तरीके से हथियारों की बिक्री के लिए एकल खिड़की मंजूरी का सुझाव दिया है। चंदर ने कहा कि हम लड़ाकू विमान तेजस, वायु रक्षा प्रणाली आकाश, प्रहार श्रेणी की मिसाइलें व सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस समेत कई अन्य प्रणालियों का निर्यात करने की क्षमता रखते हैं। डीआरडीओ प्रमुख से प्रधानमंत्री के उस हालिया बयान पर टिप्पणी मांगी गई थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत को अपने लिए हथियार विकसित करने के साथ ही अन्य देशों को इन्हें निर्यात करने की क्षमता भी विकसित करनी चाहिए। चंदर ने कहा कि भारत के हथियार कहीं ज्यादा सस्ते होंगे। अगर आप सामरिक मिसाइलों को ही लें तो लंबी दूरी की मिसाइल जिसे चीन सऊदी अरब को बेचता है, उसे हम भी बनाते हैं और उसकी कीमत एक-तिहाई या एक-चौथाई है।' उन्होंने यह भी कहा कि हथियार निर्यात कारोबार में कदम रखने से पहले देश को एक ऐसे ढांचे की जरूरत है जिसमें यह स्पष्ट हो कि हम क्या बेच सकते हैं, किन देशों को बेचें और इन्हें गलत इस्तेमाल से कैसे रोका जा सके।' फिलहाल भारत की गिनती सबसे बड़े हथियार आयातक देशों में होती है। भारत अपने 65 फीसद हथियार आयात करता है।
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