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    एक ऐसा गांव, जहां वीर जवानों की नहीं है कोई कमी

    By Edited By:
    Updated: Tue, 13 Aug 2013 04:10 PM (IST)

    गांव पंडोरी सिधवां, जिला तरनतारन के आम गांवों जैसा गांव है, पर यहां की खासियत सबसे जुदा है। यहां की सोंधी मिट्टी में पले-बढ़े बाशिंदों में देश की सीमा ...और पढ़ें

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    तरनतारन [धर्मवीर सिंह मल्हार]। गांव पंडोरी सिधवां, जिला तरनतारन के आम गांवों जैसा गांव है, पर यहां की खासियत सबसे जुदा है। यहां की सोंधी मिट्टी में पले-बढ़े बाशिंदों में देश की सीमाओं की रक्षा करने का जज्बा देखने लायक है। यही जज्बा इस गांव के बाशिंदों को दूसरे गांवों के लोगों को जुदा करता है। बेशक, कोई जमाना था, जब ऊंचे लंबे कद काठी वाले युवाओं को सिपाही व सेना में भर्ती करने के लिए अफसर गांवों में चक्कर काटते थे। मगर समय ने अब ऐसी करवट ली कि पंजाब के युवा न पहले जैसे कद काठी वाले हैं और न ही उनमें देश सेवा के लिए जज्बा।

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    पंजाब के मदमस्त पंजाबी गबरुओं को नशे ने गुलाम' बना लिया और आतंकवाद की भट्ठी में पंजाब की जवानी झुलस गई, पर सदके जाएं गांव पंडोरी सिधवां के, जहां के 200 के करीब युवा आज भी देश की सीमाओं के रक्षक हैं। बात यहीं पर खत्म नहीं होती। इस गांव के दर्जनों युवक रोजाना कसरत कर देश सेवा के लिए भावी सैनिक बनने की तैयारी में भी जुटे हुए हैं।

    सबकी सैनिक बनने की चाह :-

    गांव पंडोरी सिधवां के अधिकतर बुजुर्ग (बाबे) पेंशनधारक हैं। इन बुजुगरें के लाल सीमाओं के रखवाले हैं और पोते बाप-दादा की सोच पर पहरा देते हुए सैनिक बनने की इच्छा पाले हुए हैं।

    इन्हें गांव के सैनिकों पर नाज :-

    कारगिल शहीद कश्मीर सिंह का पुत्र दलजीत सिंह फौज से सेवामुक्त हो चुका है, जिसका गांव में काफी सम्मान है। गांव मन्नण की रुपिंदरजीत कौर का 2007 में गांव के हरप्रीत सिंह के साथ विवाह हुआ तो उसको फौजण कहकर संबोधित किए जाने लगा। छुंट्टी पर आए पति हरप्रीत की मौत के बाद अपने दो बच्चों के साथ रुपिंदरजीत कौर जिंदगी बसर कर रही है। वह अपने दोनों बेटों को वंशदीप सिंह व अमनप्रीत सिंह को सैनिक के रूप में देखना चाहती है।

    जसबीर कौर का दामाद बलदेव सिंह फौजी है। वहीं बीबी कर्म कौर भी खुद को खुशकिस्मत मानती है, क्योंकि उसकी इच्छा मुताबिक देश की रक्षा करना के लिए उसका बेटा दलबीर सिंह सैनिक बना है। दलजीत कौर पत्नी सुरजीत सिंह ने बताया कि उसका बेटा दलबीर बीएसएफ में है। गांव की परमजीत कौर का पति हरजिंदर सिंह फौज की वर्दी पहनकर जब छुट्टी पर घर आता है तो घर के आंगन में बहार जा जाती है। जसबीर कौर का पति मित्तर सिंह सीमा पर तैनात होकर दुश्मनों से लोहा लेता है। कुलदीप कौर ने बताया कि गांव के बाकी परिवारों जैसे उनके घर पर बाबे दी फुल कृपा है। उसका पति साहब सिंह व देवर प्रताप सिंह फौज में हैं। मजदूर परिवार से संबंधित सर्बजीत कौर पत्नी हरनाम सिंह का इकलौता पुत्र जसबीर सिंह फौजी है। गांव की बुर्जुग महिला अमर कौर का पति बलदेव सिंह फौज से रिटायर होकर गांव आ गया, लेकिन कुछ समय बाद उसकी मौत हो गई।

    कई लोग हैं सरकारी सेवा में :-

    गांव के सरपंच सविंदर सिंह बताते हैं कि गांव के बलराज सिंह सिद्धू पंजाब पुलिस में एसपी हैं जो बरनाला में तैनात हैं। जत्थेदार अर्जन सिंह एसजीपीसी में उच्च पद पर हैं। चार शख्सियतें विभिन्न बैंकों में बतौर मैनेजर सेवानिवृत्त हुए हैं।

    शराब नहीं, यहां देशसेवा का नशा :-

    इस गांव में सब नशा करते हैं, पर शराब का कोई ठेका नहीं है। इन्हें नशा है सैनिक बनने का, देश की सेवा करने और खुद को फौजी कहलाने का। तभी तो गांव में एक भी शराब का ठेका नहीं है, जोकि अपने आप में एक मिसाल है।

    गांव पर है गर्व - संधू

    सीपीएस हरमीत सिंह संधू का कहना है कि देश की सीमाओं पर एक ही गांव के रिकार्डतोड़ जवानों की संख्या होना समाज व देश लिए गर्व वाली बात है। उन्होंने कहा कि गांव पंडोरी सिधवां के दर्जनों लोगों की सेवानिवृत्ति के बाद अपने बच्चों को सैनिक बनाने का सपना बहुत अच्छा प्रयास है। अन्य गांवों को भी इससे प्रेरणा लेनी चाहिए। गांव पंडोरी सिधवां के लोगों ने एक मिसाल कायम की है। मुझे गांव पर गर्व है।

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