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'सीमा पर महिला जवानों को नहीं मिलेंगी‍ विशेष सुविधा, सहने होंगे हर कष्‍ट'

जनरल रावत का कहना है कि महिला जवानों की सीमा पर तैनाती के लिए उन्‍हें कोई विशेष सुविधा नहीं दी जाएगी। अपने अन्‍य साथी की तरह उन्‍हें भी विपरीत परिस्थितियों का मुकाबला करना होगा।

By Kamal VermaEdited By: Published: Sat, 14 Jan 2017 11:06 AM (IST)Updated: Sat, 14 Jan 2017 03:02 PM (IST)
'सीमा पर महिला जवानों को नहीं मिलेंगी‍ विशेष सुविधा, सहने होंगे हर कष्‍ट'
'सीमा पर महिला जवानों को नहीं मिलेंगी‍ विशेष सुविधा, सहने होंगे हर कष्‍ट'

नई दिल्ली (पीटीआई)। सेना में फ्रंट लाइन पर महिलाओं की नियुक्ति को लेकर उठ रहे सवालों पर जनरल बिपिन रावत ने यह कहते हुए विराम लगा दिया है कि उन्हें वहां पर कोई और सुविधाएं नहीं दी जा सकेंगी। उन्हें अपने पुरुष सहयोगी की तरह ही विपरीत परिस्थितियों में हर वक्त तैनात रहना होगा। यदि इसके लिए वह तैयार हैं तो बताएं, फिर इस पर विचार किया जाएगा।

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हर हाल में कर्तव्य का पालन

अपनी सालाना प्रेस कांफ्रेंस के दौरान पूछे गए एक सवाल के जवाब में उन्होंने यह साफ कर दिया कि सीमा पर डटे जवानों को बेहद मुश्किल परिस्थितियों में अपने कर्तव्य का पालन करना होता है। वहां न तो कोई टॉयलेट होता है और न ही खाने पीने की सुविधा। ऐसे में यदि महिला को वहां पर नियुक्त किया जाता है तो उन्हें भी कोई अलग से सुविधा नहीं दी जाएगी। उन्हें भी वही सब सहना होगा जो पुरुष सहता है। उन्होंने कहा कि जहां महिलाओं को पुरुषों की बराबर अधिकार देने की बातें कही जाती हैं तो फ्रंट लाइन पर मौजूद महिलाओं को भी हर परेशानी के लिए तैयार रहना होगा।

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कंफर्ट जॉन में नहीं होंगी महिलाएं

अपनी इस पहली सालाना प्रेस कांफ्रेंस में उन्होंने इस बात को समझाने की भी कोशिश की। जनरल रावत का कहना था एक टैंक में तीन जवान होते हैं। उन्हें वहां पर खाना, सोना होता है। उन्होंने सवाल भी किया कि क्या ऐसे में दो पुरुष सहयोगियों के बीच एक महिला अपने को कंफर्ट महसूस करवा सकेगी। यह उनकी ड्यूटी का हिस्सा होता है। वह उससे दूर नहीं जा सकतेे हैं।

पेट्रोलिंग में नहीं होती टॉयलेट जाने की इजाजत

जनरल रावत ने कहा कि पेट्रोलिंग के दौरान किसी जवान को टॉयलेट जाने की इजाजत नहीं होती है और इसके लिए कोई विशेष सुविधा भी नहीं होती है। वायुसेना में महिलाओं की नियुक्ति पर पूछे गए सवालों के जवाब में उन्होंने कहा कि इसमें महिलाओं की नियुक्ति की गई है लेकिन फ्रंटलाइन पर इन्हें भेजना अब भी तय नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि जब हम पुरुष और महिलआों को समान हक देने की बात करते हैं तो यह भी ध्यान में रखना बेहद जरूरी है कि महिलाओं को भी वहीं सब करना होगा तो पुरुष साथी करते हैं। उन्हें भी वैसी ही परेशानियों का सामना करना पड़ेगा।

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