'यदि जिहाद इतना पवित्र है, तो अलगावादी नेताओं के बेटे क्यों नहीं उठाते बंदूक'
कश्मीर में सुरक्षाबलों के साथ एनकाउंटर में मारे गए बुरहान वानी के मारे जाने के बाद एक प्रमुख अलगाववादी नेता के बेटे ने ही अलगावादियों पर सवाल खड़े कर दिये हैं।

श्रीनगर (एएनआई)। जम्मू-कश्मीर में हिजबुल मुजाहिद्दीन के आतंकी बुरहान वानी के सुरक्षा बलों के साथ हुई मुठभेड़ में मारे जाने और उसके बाद भड़की हिंसा के बाद एक प्रमुख अलगाववादी नेता के बेटे ने अब अलगावादियों पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं।
जिस शख्स ने ये सवाल उठाए हैं उसका नाम है जुनैद कुरैशी, जो राज्य के प्रमुख अलगाववादी नेता और जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के सस्थापक सदस्यों में से एक हाशिम कुरैशी के बेटे हैं जिन्होंने 1971 में लाहौर मे्ं एक भारतीय विमान का अपहरण कर लिया था। जुनैद इस समय नीदरलैंड्स में एक मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं।
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जुनैद ने अलगावादी नेताओं को निशाने पर लेते हुए कहा कि "इन अलगाववादी नेताओं के बच्चे मलेशिया, अमेरिका, लंदन और भारत के बड़े शहरों के सुरक्षित माहौल में पढ़ हैं जबकि गरीब लोगों के बच्चे गोलियों का शिकार हो रहे हैं और अलगावदी इसका गुणगान कर रहे हैं।"
Children of these (separatists) leaders are tucked away in safe environments in schools in Malaysia, America,London or India: Junaid Qureshi
— ANI (@ANI_news) July 9, 2016
जुनैद ने कहा "कश्मीरी नौजवानों इन अलगावदियों से यह पूछना चाहिए कि कि कि अगर जिहाद इतनी पवित्र चीज है तो फिर इन अलगावदियों के बच्चे क्यूं नहीं बंदूक उठाते हैं?"
Kashmiri youth need to ask these leaders “if jihad, if this gun is so pious why don’t you or your children pick it up?- Junaid Qureshi
— ANI (@ANI_news) July 9, 2016
जुनैद ने कहा, कश्मीर में जारी हिंसा और रक्तपात पर रोक लगनी चाहिए, कश्मीर के युवाओं को समझना होगा कि कश्मीर मसले का समाधान केवल बातचीत के जरिए ही सुलझाया जा सकता है।"
This violence,bloodshed must end. Youth of Kashmir & their leaders must understand that Kashmir issue can only be solved on table- J Qureshi
— ANI (@ANI_news) July 9, 2016
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जुनैद ने कहा, "कश्मीर के युवाओं को समझना होगा कि बंदूक उठाना किसी भी समस्य़ा का सामाधान नहीं है। वह युवा (बुरहान) मेरे भाई की उम्र का था और वह डॉक्टर, इंजीनियर, लेखक या कवि या फिर एक्टर बन सकता था। अगर घाटी में हो रही चीजों को लेकर लोगों में गुस्सा था तो वह इसके दूसरे तरीके से पेश कर सकता था, लेकिन हिंसा का रास्ता चुनने के बाद आखिर उसने अपनी नियति को गले लगाया।"

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