Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    'निर्यात सिरे चढ़ा तो ब्रह्मोस की बिक्री पांच साल में हो सकती है दोगुनी'

    By Ravindra Pratap SingEdited By:
    Updated: Mon, 09 Oct 2017 08:21 PM (IST)

    मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रिजाइम में शामिल होने के बाद भारत को इनकी खरीद फरोख्त का अधिकार मिल चुका है। ...और पढ़ें

    Hero Image
    'निर्यात सिरे चढ़ा तो ब्रह्मोस की बिक्री पांच साल में हो सकती है दोगुनी'

    नई दिल्ली, प्रेट्र। ब्रह्मोस अंतरिक्ष परियोजना के सीईओ सुधीर कुमार मिश्रा का कहना है कि निर्यात सिरे चढ़ा तो ब्रह्मोस मिसाइल की बिक्री पांच साल में दोगुनी हो सकती है। इंडो-रसियन संयुक्त उपक्रम की 1998 में शुरुआत हुई थी। पिछले बीस साल में सात अरब डॉलर के घरेलू आर्डर मिल चुके हैं, लेकिन अभी सबसे अहम जरूरत निर्यात सिरे चढ़ने की है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    डेफटेक-2017 (भारतीय उद्योग व रक्षा मंत्रालय के संघ) में सीईओ का कहना था कि संयुक्त मिशन के जरिये सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों का निर्माण किया जाता है। इन्हें पनडुब्बी, जहाज, विमान या फिर जमीन से छोड़ा जा सकता है। भारत की तीनों सेनाएं थल, नभ व जल इन मिसाइलों का इस्तेमाल कर रही हैं। अंतरराष्ट्रीय समझौतों के चलते 2016 से पहले इनका निर्यात नहीं किया जा सकता था, लेकिन एमसीटीआर (मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रिजाइम) में शामिल होने के बाद भारत को इनकी खरीद फरोख्त का अधिकार मिल चुका है।

    सीईओ का कहना है कि बीस साल का सफर आसान नहीं था। कई बार पैसे की दिक्कतें थीं तो कुछ मौकों पर अन्य चुनौतियां थीं। उनका कहना है कि कंपनी लाभ की स्थिति में स्थापना के 14वें साल में आ सकी। समय के साथ ही मिसाइलों की मारक क्षमता में वृद्धि हो सकी, लेकिन यह यात्रा फलदायक थी। तीस करोड़ डॉलर खर्च करने के बाद आज हमारे पास सात करोड़ के आर्डर हैं। एमटीसीआर में जुड़ने के बाद ही वियतनाम जैसे देशों ने मिसाइल खरीद के आर्डर देने शुरू किए हैं।

    हालांकि मिसाइलों के निर्यात को लेकर किए सवाल पर उनका कहना था कि इस बारे में वह ज्यादा कुछ नहीं बता सकते। ये ब्योरा रक्षा मंत्रालय बेहतर तरीके से दे सकता है। उल्लेखनीय है कि अगस्त माह में वियतनाम को लेकर चर्चाएं सरगर्म थीं, लेकिन बाद में विदेश मंत्रालय ने इसका सिरे से खंडन कर दिया था। उद्घाटन सत्र में रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार जी सथीश रेड्डी ने कहा कि स्वनिर्मित रक्षा तकनीक विकसित करने के लिए जरूरी है कि विकास व अनुसंधान के कार्यक्रम तेजी से हों।

    यह भी पढ़ें: केरल में सभी मिथकों को तोड़कर यह दलित बना पुजारी