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    दुश्मन को शिकस्त की तैयारी

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    Updated: Tue, 03 Sep 2013 04:44 AM (IST)

    पूरा का पूरा युद्धक टैंक देश की सीमाओं पर रखने की क्षमता वाले मालवाहक सी-17 ग्लोब मास्टर-3 विमान को भारतीय वायुसेना में औपचारिक रूप से शामिल कर लिया गया है। सोमवार को इस विमान का हिंडन एयरबेस पर उड़ान परीक्षण किया गया। अपेक्षाकृत छोटे रनवे पर उतर स्

    नई दिल्ली। पूरा का पूरा युद्धक टैंक देश की सीमाओं पर रखने की क्षमता वाले मालवाहक सी-17 ग्लोब मास्टर-3 विमान को भारतीय वायुसेना में औपचारिक रूप से शामिल कर लिया गया है। सोमवार को इस विमान का हिंडन एयरबेस पर उड़ान परीक्षण किया गया। अपेक्षाकृत छोटे रनवे पर उतर सकने वाले इस विमान ने हमें रणनीतिक रूप से चीन के मुकाबले मजबूत किया है। इसके अलावा आतंकवाद और आपातकाल से निपटने के लिए विशेष दस्तों के आवागमन में यह विमान सुविधाजनक होगा।

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    सी-17 ग्लोब मास्टर-3

    -70 टन वजन और एक सौ पचास सशस्त्र सैनिकों को लेकर यह 4,200 किमी तक उड़ान भर सकता है।

    -महज 3,500 फीट लंबी हवाई पट्टी पर उतरने में सक्षम।

    -रिमोट एयर फील्ड और स्थल रुद्ध क्षेत्रों में आसान लैंडिंग।

    रणनीतिक बढ़त:

    -40 हजार सैनिक क्षमता वाली माउंटेन स्ट्राइक बटालियन को इससे सुविधा मिलेगी क्योंकि यह पलक झपकते ही उनको पहाड़ की चोटी तक पहुंचाने में सक्षम होगा। तिब्बत स्वायत्तशासी क्षेत्र में जिस तरह चीनी गतिविधियां बढ़ रही हैं, उसको देखते हुए ग्लोब मास्टर से चीन के खिलाफ विशेष रणनीतिक बढ़त मिलेगी।

    सौदा:

    -सरकार ने मालवाहक के रूप में जून, 2009 में ग्लोब मास्टर सी-17 का चयन किया।

    -2011 में अमेरिकी कंपनी बोइंग के साथ 10 सी-17 विमानों के लिए 5.1 अरब डॉलर में करार हुआ।

    -इस श्रेणी के तीन विमान अमेरिका पहले ही दे चुका है। दो विमान साल के अंत तक और बाकी पांच अगले साल के अंत तक मिलेंगे।

    अन्य मालवाहक विमान:

    हाल के वर्षो में वायुसेना ने रूस पर निर्भरता कम करते हुए अमेरिकी विमानों को तरजीह देनी शुरू की है :

    -अमेरिकी सी-130जे सुपर

    हरक्युलिस भारतीय वायुसेना के पास इस तरह के छह विमान हैं। भविष्य में छह और खरीदने की योजना है।

    -रूसी इल्यूशिन आइएल-76

    भारतीय वायुसेना में इसको गजराज के नाम से जाना जाता है। ग्लोबमास्टर से पहले वायुसेना का सबसे बड़ा मालवाहक विमान यही था। 40 टन भार ले जाने में सक्षम। वर्तमान बेड़े में 17 विमान हैं। ग्लोबमास्टर इसी का स्थान लेंगे

    -रूसी एंटोनोव एएन-32

    सतलज के नाम से मशहूर मध्यम श्रेणी का विमान है। बम गिराने और पैरा-ड्रॉपिंग आपरेशन में भी इसका उपयोग किया जाता है। वर्तमान में वायुसेना के पास इस तरह के 105 विमान है।

    -डोर्नियर डो-228

    हल्के श्रेणी का मालवाहक विमान है।

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