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    वायुसेना में शामिल हुआ ग्लोब मास्टर-3

    By Edited By:
    Updated: Mon, 02 Sep 2013 11:30 PM (IST)

    हिंडन एयर फोर्स गाजियाबाद के एयर बेस के लिए दो सितंबर यानी सोमवार का दिन बेहद खास रहा। भारतीय वायु सेना के बेड़े में अमेरिका से खरीदे गए सी-17 ग्लोब मास्टर-3 विमान को शामिल किया गया है। हिंडन एयर बेस में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में रक्षामंत्री एके एंटनी और वायु सेनाध्यक्ष एनएके ब्राउन ने विमान के कमांडर को सोने की चाबी देकर इसको शामिल करने की घोषणा की। वायु सेना के बैंड ने मनमोहक धुन बजाकर इस लम्हे को और खुशनुमा बना दिया।

    हिंडन एयर बेस, [गौरव शशि नारायण]। हिंडन एयर फोर्स गाजियाबाद के एयर बेस के लिए दो सितंबर यानी सोमवार का दिन बेहद खास रहा। भारतीय वायु सेना के बेड़े में अमेरिका से खरीदे गए सी-17 ग्लोब मास्टर-3 विमान को शामिल किया गया है। हिंडन एयर बेस में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में रक्षामंत्री एके एंटनी और वायु सेनाध्यक्ष एनएके ब्राउन ने विमान के कमांडर को सोने की चाबी देकर इसको शामिल करने की घोषणा की। वायु सेना के बैंड ने मनमोहक धुन बजाकर इस लम्हे को और खुशनुमा बना दिया।

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    पढ़ें : चीन की सीमा पर उतारा सी 130 जे सुपर हरक्युलिस

    पढ़ें: भारतीय वायुसेना का बड़ा युद्धाभ्यास शुरू

    रक्षा मंत्री एके एंटनी ने कहा कि वायु सेना को ग्लोब मास्टर सौंपते हुए उन्हें बहुत हर्ष हो रहा है। इससे भारतीय वायु सेना और ताकतवर होगी। एयर चीफ मार्शल ब्राउन ने कहा कि ग्लोब मास्टर को हम पूर्वोत्तर के पहाड़ी क्षेत्रों में भी उतार सकते हैं। इसका संचालन अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में उन्नत लैडिंग क्षेत्र तैयार कर किया जाएगा। भारतीय वायु सेना ने एक समझौते के तहत वर्ष 2011 में सी-17 के खरीदने का प्रस्ताव पास किया था। जिसके तहत भारत के पास तीन विमान आ चुके हैं। साल के अंत तक सात और विमान आने की संभावना है। वायु सेनाध्यक्ष ब्राउन का कहना है कि इसके बेहतर परिणाम होने पर विमानों की संख्या बढ़ाई जा सकती है। कार्यक्रम मे केंद्रीय गृह राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह, अमेरिका सहित कई देशों के दूतावास के अधिकारी, वायु सेना के पूर्व अधिकारी समेत कई लोग मौजूद थे। इस दौरान सैकड़ों लोगों ने इसे यादगार पल मानते हुए मोबाइल व कैमरे से फोटो भी खींचे।

    बहुत कुछ खास है ग्लोब मास्टर में

    ग्लोब मास्टर को दुनिया की तमाम वायु सेनाओं में एक बड़ा सैन्य परिवहन विमान माना जाता है। अमेरिकी वायु सेना ने इसे विकसित किया है। 10 विमानों के सौदे के साथ ही भारतीय वायुसेना ग्लोब मास्टर की संख्या में अमेरिका के बाद दूसरे स्थान पर है। ग्लोब मास्टर साढ़े तीन हजार फीट से कम के स्थान पर भी उड़ान भर सकता है। आपदा और युद्ध के दौरान माल के साथ सेना को भी उतारा जा सकता है। इसमें हथियारों से लैस पूरी एक बटालियन सफर कर सकती है।

    -सी-17 ग्लोब मास्टर-3 174 फीट लंबा है।

    -इसकेडैने 170 फीट में फैले हैं।

    -इसका कुल वजन 2,65,350 किलोग्राम है

    -अत्याधुनिक माल लदान की क्षमता से युक्त है ।

    -माल वहन क्षमता- 76,519 किलोग्राम

    -रफ्तार- 830 किलोमीटर प्रति घंटा

    -ईधन क्षमता- 1,34556 लीटर

    विशेषता

    -ये आधुनिक मालवाहक विमान है

    -विपरीत मौसमी परिस्थितियों में काम करने में सक्षम है

    -लंबी दूरी तक भारी माल लेकर जा सका है

    -छोटे और कम सुविधाओं वाले रनवे पर भी उतरने में सक्षम है।

    नए रणनीतिक ठिकाने के रूप में उभरा हिंडन एयर बेस

    गाजियाबाद, [अशोक ओझा]। अमेरिका से आए सी-17 जे (ग्लोब मास्टर) के भारतीय वायु सेना में शामिल होने के साथ ही गाजियाबाद का हिंडन एयर बेस भारतीय वायु सेना के नए रणनीति ठिकाने के रूप में उभरा है। भारत की अग्रिम चौकियों पर सैनिक, रसद या सैन्य साजो सामान पहुंचाने में वायु सेना को बहुत कम समय लगेगा।

    2010 में अमेरिका से आए परिवहन विमान सी-130 जे सुपर हरक्युलिस को वायु सेना पहले ही हिंडन एयर बेस पर स्थापित कर चुकी है। सुपर हरक्युलिस ने 20 अगस्त को लद्दाख में चीन से लगी वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास स्थित हवाई पट्टी दौलत बेग ओल्डी पर सफलता पूर्वक उतारा था। यह हवाई पट्टी 1962 के भारत-चीन युद्ध के समय बनाई गई थी। हिंडन एयर बेस से मात्र डेढ़ घंटे में सुपर हरक्युलिस लद्दाख पहुंचा था।

    देश की राजधानी दिल्ली की सीमा पर स्थित हिंडन एयर बेस पर सुपर हरक्युलिस के बाद सोमवार को जे-17 जे परिवहन विमान को भी स्थापित कर दिया गया। वायु सेना के अधिकारी बताते हैं कि यह विमान अपनी स्क्वाडन समेत हिंडन एयर बेस पर ही रहेगा। जिस प्रकार सुपर हरक्युलिस मात्र डेढ़ घंटे में हिंडन से लद्दाख पहुंचा था उसे भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। हिंडन एयर फील्ड से किसी भी आपात स्थित में कुछ ही समय में देश के किसी भी कोने में सैन्य साजो सामान के साथ ही रसद व सैनिकों को नियंत्रण रेखा पर पहुंचाया जा सकता है।

    महत्वपूर्ण तथ्य यह भी है कि उत्तराखंड में आई भीषण दैवीय आपदा के समय भी हिंडन एयर बेस से ही राहत सामग्री के साथ ही सैनिकों व एनडीआरएफ की टीम को उत्तराखंड में राहत व बचाव कार्य के लिए भेजा गया था। अमेरिका से आए परिवहन एवं माल वाहक विमानों की तैनाती से कुछ वर्ष पूर्व तक हिंडन एयर बेस पर लड़ाकू विमान मिग की तैनाती भी रह चुकी है। अब हिंडन एयर बेस रणनीतिक दृष्टि से भारतीय वायु सेना का महत्वपूर्ण एयर बेस हो गया है।

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