पाकिस्तानी कैद से छूटे जवान चंदू चव्हाण ने सुनाई दिल दहलाने वाली दास्तां
पाकिस्तान द्वारा छोड़े गए भारतीय जवान चंदू बाबूलाल चव्हाण ने कहा है कि पाकिस्तान की कैद में रहकर उसको लगता था कि अब वह कभी वापस नहीं जा सकेगा।
नई दिल्ली (पीटीआई)। पाकिस्तान से लौटे भारतीय जवान चंदू बाबूलाल चव्हाण ने वहां उसके ऊपर हुए जुल्मों की दास्तां बयान की है। एक मराठी चैनल से हुई बातचीत के दौरान उसने कहा कि पाकिस्तान में उसको दिन-रात टॉर्चर किया जाता था। उसको मारा जाता था। उसको लगता था कि अब वह कभी वापस नहीं जा सकेगा। वह बार-बार पाकिस्तानी अधिकारियों से कहता था कि इससे बेहतर है कि उसको मार दिया जाए। भारत की काफी कोशिशों के बाद पाकिस्तान ने चव्हाण को 12 जनवरी को भारत को सौंपा था। वह महाराष्ट्र में धुले जिले के बोरविहिर गांव का निवासी है।
22 वर्षीय चव्हाण 29 सितंबर को गलती से पाकिस्तानी सीमा में घुस गया था। इसी दिन भारतीय सेना के कमांडो ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में मौजूद आतंकी ठिकानों को निशाना बनाते हुए वहां सर्जिकल स्ट्राइक की थी। यह सर्जिकल स्ट्राइक उड़ी हमले के ठीक दस दिन बाद की गई थी, जिसमें आतंकियों को जबरदस्त नुकसान हुआ था। चव्हाण पुंछ सेक्टर में तैनात था। चैनल से बातचीत के दौरान भारतीय जवान ने सिलसिलेवार तरीके से उस वक्त हुई बातों का खुलासा किया। उसने बताया कि गलती से पाकिस्तान की सीमा में घुसने के बाद उसको पाकिस्तान के जवानों ने पकड़ लिया। पहले उसकी तलाशी ली गई और उसकी आंखों पर पट्टी बांधकर उसको एक गाड़ी में बैठा दिया गया।
वहां से उसको किसी अज्ञात स्थान पर एक कमरे में ले जाया गया, जहां बिल्कुल अंधेरा था। वह कुछ समझ नहीं पा रहा था। जिस कमरे में उसको बंद किया गया था, वहीं बॉथरूम और टॉयलेट भी था। वहां उसको पाकिस्तानी सेना के जवान और अधिकारियों द्वारा यातनाएं दी जाती थीं। उसको इंजेक्शन लगाए जाते। एक समय ऐसा भी आया जब उसकी आंखों से आंसू भी सूख चुके थे।
कमरे में बंद चव्हाण को यह भी नहीं पता चलता था कि बाहर दिन है या फिर रात। उसको हर पल अपने परिवार की याद सताती रहती थी, लेकिन लगता था कि अब वह वापस जिंदा नहीं जा सकेगा। पाकिस्तान द्वारा दी गई यातनाओं से उसके शरीर पर कई जगह जख्म हो गए थे, आंखों और कान से भी खून आ रहा था। उस वक्त उसके कान में कुछ दवाई डाली गई थी। उसने कहा कि पाकिस्तान की सेना के जवानों द्वारा दी गई यातनाओं के बाद उसने कहा था कि वह यहां उड़ी हमले का बदला लेने आया था।
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