याकूब के आखिरी बोल, 'मुझे पता है कि मैं मरने वाला हूं'
'मेरी फांसी का राजनीतिकरण किया जा चुका है। मुझे पता है कि मैं मरने वाला हूं। कोई चमत्कार ही मुझे बचा सकता है।' यह बात याकूब ने बुधवार की सुबह अपने बैरक के पास तैनात एक होमगार्ड से कही थीं।
पुणे, मिड-डे। 'मेरी फांसी का राजनीतिकरण किया जा चुका है। मुझे पता है कि मैं मरने वाला हूं। कोई चमत्कार ही मुझे बचा सकता है।' यह बात याकूब ने बुधवार की सुबह अपने बैरक के पास तैनात एक होमगार्ड से कही थीं।
हवलदार ने बताया कि आमतौर पर बेहद शांत रहने वाला कैदी याकूब बुधवार को बहुत परेशान लग रहा था। हवलदार ने कहा, 'उसने हमसे कभी बात नहीं की थी, लेकिन दिनभर में मुझसे कई बार पूछा कि सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ।' याकूब का कहना था कि उसकी फांसी का राजनीतिकरण कर दिया गया है। कोई चमत्कार ही उसे बचा सकता है। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के बाद उसकी फांसी पर मुहर लग गई।
नहीं खाया दोपहर का खाना
याकूब ने सुबह नाश्ते में मिला उपमा खाया लेकिन दोपहर का खाना खाने से इन्कार कर दिया था। खाने में उसे दो चपाती, दाल, चावल तथा बैंगन और आलू की सब्जी उपलब्ध कराई गई थी।