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मैंने खाया गोमांस, पाबंदी अलोकतांत्रिक : मार्कंडेय काटजू

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्‍यायाधीश मार्कंडेय काटजू ने गौ हत्या पर प्रतिबंध को अलोकतांत्रिक व सामंती सोच का परिचायक बताते हुए विरोध किया है। उन्होंने यह भी कहा कि मैंने गोमांस खाया है और मौका मिलेगा तो फिर खाऊंगा।

By anand rajEdited By: Published: Mon, 06 Apr 2015 08:06 AM (IST)Updated: Mon, 06 Apr 2015 10:59 AM (IST)
मैंने खाया गोमांस, पाबंदी अलोकतांत्रिक : मार्कंडेय काटजू

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश मार्कंडेय काटजू ने गौ हत्या पर प्रतिबंध को अलोकतांत्रिक व सामंती सोच का परिचायक बताते हुए विरोध किया है। उन्होंने यह भी कहा कि मैंने गोमांस खाया है और मौका मिलेगा तो फिर खाऊंगा। न्यायमूर्ति काटजू ने कहा कि गौ हत्या पर पाबंदी की मांग सिर्फ राजनीतिक है।

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उन्होंने अपने ब्लॉग में गौ हत्या पर रोक के खिलाफ पांच तर्क दिए हैं

1. सस्ते प्रोटीन का एक अच्छा स्रोत है गोमांस। उत्तर-पूर्वी राज्यों में गोमांस की बिक्री पर बैन नहीं है। नागालैंड, मिजोरम, त्रिपुरा और केरल में गोमांस की बिक्री पर रोक नहीं है।

2. मैंने इसे खाया है और परिवार की इच्छा से इसे बंद किया है, मौका मिला तो फिर खाऊंगा।

3. गोमांस पर पाबंदी से दुनिया को हम पर हंसने का मौका मिलता है।

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4. गौ हत्या के खिलाफ शोर मचाने वाले लोगों को उन गायों की भी फिक्र करनी चाहिए, जिन्हें ठीक से खाना नहीं मिलता है। मैंने गायों को कचरा खाते हुए देखा है।

5. दुनिया में ज्यादातर लोग गोमांस खाते हैं। क्या वे सभी लोग पापी हैं। मुझे गोमांस खाने में कुछ गलत नहीं दिखता।

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