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जानें, कैसे पकड़ा गया पाकिस्‍तानी आतंकी उस्मान

बुधवार सुबह जम्‍मू-श्रीनगर नेशनल हाईवे पर ऊधमपुर से 10 किमी दूर सनरूली से गुजर रहे बीएसएफ के काफिले को आतंकियों ने निशाना बनाया। इसमें जहां बीएसएफ के 2 जवान शहीद हो गए वहीं 10 अन्‍य घायल हो गए। इसके बाद सुरक्षाबलों के साथ हुई मुठभेड़ में जहां एक आतंकी मारा

By Manoj YadavEdited By: Published: Wed, 05 Aug 2015 04:36 PM (IST)Updated: Wed, 05 Aug 2015 09:08 PM (IST)
जानें, कैसे पकड़ा गया पाकिस्‍तानी आतंकी उस्मान

जम्मू। बुधवार सुबह जम्मू-श्रीनगर नेशनल हाईवे पर ऊधमपुर से 10 किमी दूर सनरूली से गुजर रहे बीएसएफ के काफिले को आतंकियों ने निशाना बनाया। इसमें जहां बीएसएफ के 2 जवान शहीद हो गए वहीं 10 अन्य घायल हो गए।

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इसके बाद सुरक्षाबलों के साथ हुई मुठभेड़ में जहां एक आतंकी मारा गया वहीं दूसरा जिंदा पकड़ा गया है। इस आतंकी का नाम उस्मान बताया जा रहा है। उस्मान को ग्राम सुरक्षा समिति के सदस्यों की सूझबूझ और हिम्मत की वजह से पकड़ा जा सका है।

ऐसे आया पकड़ में

बताया जा रहा है कि सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच घंटों मुठभेड़ चली जिसमें एक आतंकी को मार गिराया गया। साथी के मरने के बाद जब उस्मान को भी अपनी मौत नजर आने लगी तो उसने खुद के बचने का रास्ता ढूंढना शुरू किया। कुछ देर बाद उस्मान मौका पा बंधकों को बंदूक की नोक पर रखकर भागने की कोशिश करने लगा। बंधक उसे पास के गांव ले गए।

यहां उस्मान ने गांव वालों से कहा कि मेरा साथी मारा गया है और मैं खुदा की मदद से बच निकला हूं। मुझे पाकिस्तान वापस जाने में मदद चाहिए। इतना सुनने के बाद ग्रामीण उसे पहाड़ी पर लेकर आए और यहां उसे ग्राम सुरक्षा समिति के सदस्यों ने धर दबोचा। उस्मान को पकड़ने के बाद ग्रामीण उसे लेकर सुरक्षाबलों के पास पहुंचे।

वापस पाकिस्तान जाना चाहता था कासिम

हमले के दौरान बंधक बनाए गए एक व्यक्ति विक्रमजीत सिंह ने बताया कि उस्मान को अपने साथी के मारे जाने की खबर नहीं थी। वो लगातार उन्हें धमका कर पूछ रहा था कि उसका दूसरा साथी कहां हैं। जब उस्मान को पता लगा कि उसका साथी मारा गया है उसने बंधकों को धमकाते हुए कहा कि वो पाकिस्तान वापस जाना चाहता है।

एक अन्य बंधक राकेश ने बताया कि उसने मुझ पर बंदूक तान दी और बार-बार किसी सुरक्षित जगह ले जाने के लिए दबाव बना रहा था। राकेश ने बताया कि आतंकी उससे पाकिस्तान वापस लौटने के लिए रास्ता पूछ रहा था। हमारे पास कोई विकल्प नहीं था और फिर हमने उसे गलत रास्ता बताया और पकड़ लिया।

दूसरे बंधक विक्रमजीत सिंह ने बताया वो काफी भूखा था इसलिए हम कुछ देर रूके। इस दौरान सभी बंधक इकठ्ठा हुए और उसे हथियार फेंकने के लिए मजबूर कर दिया।

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