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    दक्षिण कोरिया के नए राष्ट्रपति मून भारत के लिए होंगे कितने फायदेमंद

    By Rajesh KumarEdited By:
    Updated: Mon, 15 May 2017 12:22 PM (IST)

    मून ने अमरीका, जापान और चीन समेत अन्य दुनिया की महाशक्तियों के साथ संबंधों को बेहतर करने की अपनी इच्छा ज़ाहिर की।

    दक्षिण कोरिया के नए राष्ट्रपति मून भारत के लिए होंगे कितने फायदेमंद

    नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति चुनाव में 64 वर्षीय मून जे इन की बड़ी जीत ने ना सिर्फ कोरियाई प्रायद्वीप बल्कि पूरे क्षेत्र में एक उम्मीद की किरण लेकर आई है। राष्ट्रपति चुनाव में करीब 72.2 प्रतिशत मतदान हुआ, जो पिछले दो दशक के राष्ट्रपति चुनाव में सबसे ज्यादा था। मून जे इन के चुनाव लड़ने और राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद देश में जारी गतिरोध पर विराम लग गया है।

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    उत्तरी कोरिया की तरफ से परमाणु युद्ध की धमकी ने पूरे क्षेत्र में शांति और स्थायित्व के माहौल को बिगाड़ कर रख दिया है। सत्ता संभालते के फौरन बाद अपनी नीतियों के बारे में साफ करते हुए राष्ट्रपति मून ने कहा कि उनकी कोशिश सही समय पर प्योंगयोंग तक पहुंचने की होगी।

    दुनिया की महाशक्तियों से बेहतर संबंध करेंग राष्ट्रपति 'मून'

    क्षेत्र में जारी गतिविधियों से पूरी तरह वाकिफ राष्ट्रपति मून ने अमरीका, जापान और चीन समेत अन्य दुनिया की महाशक्तियों के साथ संबंधों को बेहतर करने की अपनी इच्छा ज़ाहिर की। उनकी यह संतुलित रणनीति सही मायने में कोरियाई प्रायद्वीप में उत्तरी कोरिया की तरफ से लगातार परमाणु परीक्षण के बाद गर्माए हुए माहौल को ठंडा करने का काम करेगी। वहां पर यह काफी साकारात्मक प्रगति है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मून को उनकी शानदार जीत पर बधाई दी है। सियोल में राजनीतिक स्थायित्व और मज़बूत नेतृत्व से भारत और दक्षिण कोरिया के संबंध को और बेहतर करने में मदद मिलेगी जो लगातार गहरी हो रही है।

    लूक ईस्ट पॉलिसी में रिपब्लिक ऑफ कोरिया महत्वपूर्ण

    भारत के ‘लूक ईस्ट पॉलिसी’ में ‘रिपब्लिक ऑफ कोरिया’ का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। यहां पर यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि साल 2015 के मई में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कोरिया दौरे के वक़्त भारत और ‘रिपब्लिक ऑफ कोरिया’ ने अपने संबंधों को आगे बढ़ाते हुए ‘विशेष सामरिक भागीदार’ तक पहुंचा दिया। लोकतंत्र के साझा मूल्यों के अलावा दोनों देशों के आर्थिक और सामरिक हित भी एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। भारत भी वहां पर शांति और स्थायित्व की लगातार वकालत करता रहा है और 1950 से वह लगातार कोरियाई क्षेत्र में शांति के लिए सक्रिय भूमिका निभा रहा है।

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    कोरियाई देशों से भारत का संबंध अच्छा

    भारत ने उत्तरी कोरिया की तरफ से किए गए परमाणु परीक्षण की आलोचना की। हालांकि, हाल के वर्षों में संयुक्त राष्ट्र वर्ल्ड फूड प्रोग्राम के अंतर्गत भारत ने प्योंगयोंग पहुंचकर खाद्य मदद पहुंचाई और वहां पर अपनी राजनियक सक्रियता भी जारी रखी। साल 2015 के अप्रैल महीने में उत्तरी कोरिया के विदेश मंत्री भारत आए और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी से चर्चा की थी।

    'मेक इन इंडिया' के लिए कोरिया काफी मददगार

    ऐसे समय में जब भारत ने आर्थिक विकास के लिए महत्वाकांक्षी कार्यक्रम की शुरूआत की है तो सियोल में मजबूत और निर्णायक नेतृत्व से जरूर दोनों देशों के आपसी हितों के लिए आर्थिक संबंधों में और नयापन आएगा और गहरा होगा। इससे भारत के फ्लैगशिप प्रोग्रम जैसे ‘मेक इन इंडिया’, ‘स्टार्ट अप इंडिया’ को फायदा मिलेगा। बुनियादी विकास में भारत की विशाल क्षमता जैसे सड़क, राजमार्ग और एक्सप्रेस वे, बंदरगाहों का विकास, पोत परिहवन और रक्षा के क्षेत्र में अपार संभावनाएं दोनों ही देशों के लिए फायदेमंद है।

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