भारतीय अर्थव्यवस्था के ये हैं कुछ चौंकाने वाले आंकड़े
भारत में सबसे अधिक भूमिहीनों में दलितों की संख्या सबसे अधिक है। इसके बाद इसमें मुस्लिम आते हैं।
नई दिल्ली (स्पेशल डेस्क)। भारत की अर्थव्यवस्था जहां लगातार वृद्धि पर है वहीं गरीब और अमीरों के बीच की खाई लगातार बढ़ती जा रही है। जहां एक ओर भूमिहीन किसानों की संख्या में इजाफा हुआ है वहीं दूसरी और रोजगार सृजन में गिरावट आई है। यह हम नहीं बल्कि इंडिया एक्सक्लूजन रिपॉर्ट 2016 से मिले आंकड़े बता रहे हैं। यह आंकड़ें कहीं न कहीं सरकार के लिए चिंता की बात जरूर हो सकते हैं। आंकड़ों की मानें तो भूमिहीन किसानों की बढ़ती तादाद और खेती के लिए कम होती जमीन से भविष्य में भारत के लिए अनाज का संकट पैदा हो सकता है।
इससे भी चिंता की बात यह है कि वर्ष 2001 से 2011 के दौरान 90 लाख लोग कृषि क्षेत्र से पलायन कर चुके हैं। वहीं 1994 से 2014 के बीच करीब तीन लाख से अधिक किसानों ने आत्महत्या की है। इतना ही नहीं है कि आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि श्रमिक वर्ग की तरफ पलायल करने वालों में जबरदस्त इजाफा हुआ है। यह आंकड़े बेहद चिंताजनक हैं। लेबर ब्यूरो के आंकड़े यह भी बताते हैं कि देश में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने करीब 13.5 लाख लोगों को नए रोजगार प्रदान किए हैं।
अर्थशास्त्री राधिका पांडे का मानना है कि सरकार ने हर वर्ग के लिए योजनाएं तो चलाई हैं लेकिन जमीनी स्तर पर अभी काफी कुछ किया जाना बाकी है। इसके अलावा बैंकों की अपनी कुछ समस्याएं हैं जिनकी वजह से वह हर सेक्टर में कर्ज नहीं दे पा रहे हैं। इसका सीधा असर रोजगार के अवसरों पर पड़ रहा है। वहीं कृषि क्षेत्र की यदि बात की जाए तो यह पूरी तरह से सीजनल होती है लिहाजा यहां पर रोजगार के अवसर भी इसी तरह से होते हैं। दलितों और मुस्लिमों के पास कम जमीन होने की वजह वह सामाजिक तानेबाने को मानती हैं। इसके अलावा सरकारी नीतियों के जमीनी स्तर पर काम न कर पाने को भी वह एक बड़ी वजह मानती हैं।
यह भी पढ़ें: इस खबर को पढ़कर भारत का पाकिस्तान से डरना जरूरी है
वहीं दूसरी और यदि देश में भूमिहीनों की बात की जाए जो इसमें सबसे ऊपर दलित आते हैं जिनके पास या तो नाम मात्र की जमीन है या फिर है ही नहीं। देश के केवल दो फीसद दलितों के पास ही दो हैक्टेयर से अधिक जमीन मौजूद है। वहीं इस लिस्ट में दूसरे नंबर पर मुस्लिम आते हैं, जिनके पास सबसे कम जमीन मौजूद है। भारत में ऐसे दलित जिनके पास जमीन नहीं हैं, करीब 57.3 फीसद हैं तो वहीं मुस्लिम करीब 52.5 फीसद हैं। एक चौंकाने वाला तथ्य यह भी है कि देश की जेलों में सबसे ज्यादा लोग दलित और मुस्लिम ही हैं।
आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2015 में महाराष्ट्र में सबसे अधिक किसानों ने आत्महत्या की थी। यहां पर यह आंकड़ा कर करीब 4291 है चहरं कर्नाटक में यह 1569, तेलंगाना में 1400, मध्य प्रदेश में 1290, छत्तीसगढ़ में 954, आंध्र पद्रेश में 916 है। आंकड़े यह भी बताते हैं वर्ष 2013 से 201 5 के बीच किसानों की आत्महत्या के मामलों में लगातार तेजी आ ई है। 2013 में जहां इस तरह के 11772 मामले सामने आए थे वहीं 2 014 में यह बढ़कर 12 360 पहुंच गया और 2015 में यह 12602 तक जा पहुंचा। हालांकि इसी दौरान खेतीहर मजूदर की संख्या में जरूर गिरावट दर्ज की गई है। 2013 में इनकी संख्या जहां 6710 थी, वहीं 2014 में समान रही लेकिन 2015 में यह 4595 तक आ पहुंची।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।