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चीन को सताने लगा है डर, भारत को दरकिनार करना नहीं होगा सही

भारत को दरकिनार करना चीन के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है। भविष्‍य में भारत ही चीन को आगे बढने के मौके दे सकता है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Fri, 12 May 2017 03:00 PM (IST)Updated: Sun, 14 May 2017 08:50 AM (IST)
चीन को सताने लगा है डर, भारत को दरकिनार करना नहीं होगा सही
चीन को सताने लगा है डर, भारत को दरकिनार करना नहीं होगा सही

नई दिल्‍ली (स्‍पेशल डेस्‍क)। भारत को लेकर अब चीन की सोच में बदलाव आता साफतौर पर नजर आ रहा है। यह बदलाव भले ही फिलहाल सतही हो लेकिन इसकी शुरुआत जरूर हो चुकी है। चीन के थिंकटैंक भी अब इस बात को मानने लगे हैं। भारत के विकास की ओर बढ़ते कदम इसकी एक बड़ी वजह है। इसके अलावा यदि चीन के नजरिए से इस पर गौर किया जाए तो व्‍यापार के लिए बड़ा बाजार इसकी एक बड़ी वजह है। दोनों ओर से सामने आने वाले ये नजरिए अपने आप में न सिर्फ खास हैं बल्कि मौजूदा दौर में काफी मायने रखते हैं।

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विश्‍व में तेजी से उभरता भारत

चीन का थिंक टैंक इस बात को मानने लगा है कि जिस भारत को वह पहले खारिज कर दिया देता था वह आज एक उभरती हुई ताकत बन रहा है। विश्‍वस्‍तरीय अर्थव्‍यवस्‍था को रेटिंग देने वाली कई एजेंसियां इस बात को सार्वजनिक तौर पर कह भी चुकी हैं कि आने वाले बीस वर्षों में भारत दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था होगा। इतना ही नहीं इन एजेंसियों का यह भी कहना है कि इस दौड़ में भारत चीन को पीछे कर खुद नंबर वन पर काबिज हो जाएगा। दरअसल, भारत की विकास की दर जिस तरह से बढ़ रही है और चीन की विकास दर जिस तरह से गिरने के बाद लगभग रुक गई है, इसके अाधार पर ही इस तरह की संभावनाएं जताई जा रही हैं। यहां एक बात और ध्‍यान देने वाली यह भी है कि वर्ष 2016-17 में 6.7 फीसद रही है, जबकि 2016-17 भारतीय जीडीपी 7.1 फीसद रहने का अनुमान है।

एक बड़ा बाजार है 'भारत'

मौजूदा समय में किसी भी देश के विकास का अहम हिस्‍सा व्‍यापार है। चीन के लिए अपने सामान को खपाने के लिए एक बड़ा बाजार चाहिए। इसके लिए भारत से बेहतर और कुछ नहीं हो सकता है। भारतीय बाजार न सिर्फ उसकी उम्‍मीदों पर खरा उतर सकता है बल्कि यहां पर अपना सामान बेचकर वह अधिक मुनाफा भी कमा सकता है। पिछले कुछ वर्षों में चीन-भारत के बीच होने वाला व्‍यापार करीब छह गुणा बढ़ गया है। वर्ष 2015-16 में अप्रैल से जनवरी की अवधि के दौरान चीन ने 52.26 अरब डॉलर का आयात किया है। चीन का मानना है कि भारतीय जीडीपी काफी पीछे रहेगी, लेकिन फिर भी इसमें उभरते हुए बाजार की संभावना बनी रहेंगी। इसके अलावा यह वैश्विक पूंजी के लिए भी आकर्षक बना रहेगा। एक सर्वे में चीन ने भारत को निवेश के लिए दुनिया का सबसे आकर्षक स्थल बताया था। विशाल घरेलू बाजार, निम्न श्रम लागत और कुशल कामगारों का बाजार भारत की सबसे आकर्षक विशेषताएं हैं।

अंतरिक्ष कार्यक्रम में भारत की साख

अंतरिक्ष में भारत के बढ़ते कदम हर किसी के लिए चर्चा का विषय बने हुए हैं। ऐसे में भारत को दरकिनार करना भी चीन के लिए सही नहीं होगा। हाल ही में भारत ने अंतरिक्ष में अपने एक मिशन के तहत सबसे अधिक सैटेलाइट भेजकर जो वर्ल्‍ड रिकार्ड बनाया था, उसके बाद भी चीन ने भारत की तारीफ की थी। लेकिन इसमें चीन की कोई हिस्‍सेदारी नहीं थी। इसकी वजह चीन का अपना अंतरिक्ष कार्यक्रम है जिसको वह आगे बढ़ाना चाहता है।

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विश्‍व का सबसे नौजवान देश

भारतीय प्रधानमंत्री लगातार इस बात का उल्‍लेख अपने भाषणों में करते रहे हैं कि भारत विश्‍व का सबसे युवा देश है। इसकी वजह है कि यहां पर आधे से ज्यादा आबादी 25 साल से कम आयु की है। इसका फायदा भारत को ही मिलेगा, क्योंकि यह न सिर्फ कामगारों की बड़ी फौज है, बल्कि संभावित उपभोक्ताओं का बड़ा समूह भी है। इसको देखते हुए यह भी कहा जा सकता है कि भारत में आगे निकलने की संभावनाएं काफी प्रबल हैं।

चीन पाक आर्थिक गलियारा

चीन और पाकिस्‍तान के बीच बन रहा आर्थिक कॉरिडोर पर जहां भारत की ओर से लगातार सवाल उठाए जाते रहे हैं वहीं इसका नाम बदलने का सुझाव देने वाले राजनयिक को चीन हटा चुका है। लेकिन यहां यह दिलचस्‍प है कि आखिर कहीं न कहीं भारत का दबाव काम जरूर कर रहा है, तभी इस विचार ने जन्‍म लिया है। यह भी भारत के लिए एक जीत ही है। 

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