गैर-जमानती अपराध बनेगी जमाखोरी
मोदी सरकार महंगाई पर लगाम लगाने के लिए जमाखोरों के नकेल कसने जा रही है। केंद्र जमाखोरी को गैर-जमानती अपराध की श्रेणी में डालने जा रही है। इसके बाद जमाखोरी करने वाले व्यक्ति सजा से नहीं बच सकेंगे। इसके साथ ही सरकार जमाखोरी और कालाबाजारी के दोषियों को जल्द से जल्द कड़ी सजा दिलाने को विशेष अदालतें भी बनाने
नई दिल्ली। मोदी सरकार महंगाई पर लगाम लगाने के लिए जमाखोरों के नकेल कसने जा रही है। केंद्र जमाखोरी को गैर-जमानती अपराध की श्रेणी में डालने जा रही है। इसके बाद जमाखोरी करने वाले व्यक्ति सजा से नहीं बच सकेंगे।
इसके साथ ही सरकार जमाखोरी और कालाबाजारी के दोषियों को जल्द से जल्द कड़ी सजा दिलाने को विशेष अदालतें भी बनाने जा रही है। उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग मंत्री रावसाहेब पाटिल दानवे ने शुक्रवार को एक लिखित सवाल के जवाब में राज्यसभा में उक्त जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि सरकार आवश्यक वस्तु अधिनियम-1955 में संशोधन कर जमाखोरी को गैर-जमानती अपराध बनाने के अलावा विशेष अदालतें गठित करने को फूड स्टफ की परिभाषा तय करेगी। सरकार कालाबाजारी की रोकथाम और आवश्यक वस्तु आपूर्ति रखरखाव कानून- 1980 में संशोधन कर हिरासत में अवधि की सीमा भी बढ़ाएगी।
इसके साथ ही सरकार ऐसे मामलों की सूचना राज्य सरकार द्वारा केंद्र को देने की व्यवस्था बनाने के लिए भी इसमें बुनियादी संशोधन करेगी।
दोनों कानूनों में इन बदलावों के बाद अपराध करने से लोग डरेंगे। राज्यों को कालाबाजारी और जमाखोरी के मामलों से निपटने की पूरी शक्तियां दी गई हैं। दरअसल लागू कराने की शक्तियां राज्यों के पास हैं। जमाखोरी को रोकने के लिए सतर्कता, निगरानी व बाजार की सूचनाएं जुटाने का काम राज्य सरकारों और केंद्रशासित प्रदेशों का है।
मोदी सरकार ने महंगाई को रोकने के लिए कई कदम उठाए हैं, जिसमें खुले बाजार में एक करोड़ टन गेहूं और 50 लाख टन चावल की बिक्री शामिल है। इसके अलावा सरकार ने प्याज और आलू के निर्यात पर भी नियंत्रण लगाया है।
केंद्र ने फलों और सब्जियों को मंडी कानून के दायरे से बाहर रखने का आग्रह भी किया है। ऐसा होने पर किसानों व उपभोक्ताओं के बीच बिचौलियों की गुंजाइश खत्म की जा सकेगी।