8वीं में स्कूल छोड़ने वाले छात्र ने बनाया पैराग्लाइडर, अब भर रहा ऊंची उड़ान
एक स्कूल ड्राॅपआउट ने सस्ता पैराग्लाइडर बनाकर वह कर दिखाया है जिसकी अक्सर कल्पना भी नहीं की जा सकती है।
मदुरई (जेएनएन)। मदुरई के 35 वर्षीय एक ड्रापआउट ने वो कारनामा कर दिखाया है जिसकी अकसर कल्पना भी नहीं की जा सकती है। दरअसल, राजन गणप्रकाशम ने घर की माली हालत को देखते हुए आठवीं क्लास के बाद स्कूल छोड़ दिया था। इसके बाद उन्होंने अपने पिता का हाथ बटाना शुरू कर दिया था। लेकिन उनकी पढ़ाई की चाह बरकरार बनी रही। फिलहाल वह वैल्लोर गांव में दिहाड़ी पर मजदूरी करते हैं। इसमें भी हर रोज काम मिल सके इसकी कोई गारंटी नहीं है। लेकिन उन्होंने अपने हौंसलों की बदौलत काफी ऊंची छलांग लगाई है। उन्होंने बेहद कीमत वाला पैराग्लाइडर बनाया है।
पैराग्लाइडर को बनाने में लगे आठ वर्ष
एक अंग्रेजी अखबार की खबर के मुताबिक उन्हें इस पैराग्लाइडर को बनाने में करीब 8 वर्ष का समय लगा। लेकिन उनकी इच्छाशक्ति की बदौलत वह इसमें सफल हुए। अखबार की खबर के मुताबिक उनका बचपन से ही हवा में उड़ान भरने का सपना था। लेकिन घर की माली हालत और खुद पढ़ाई में पिछड़ने के कारण वह इस सपने को सच कर पाने में नाकाम थे। लिहाजा उन्होंने अपने सपनों को नए पंख लगा दिए और नई उड़ान भरने को तैयार हो गए। आठ वर्षों की कड़ी मेहनत के बाद वह तीन पैराग्लाइडर बनाने में सफल हुए हैं। इसमें से एक सिंगल सीट तो दो डबल सीट वाले पैराग्लाइडर हैं। आमतौर पर एक पैराग्लाइडर की कीमत 4 लाख के करीब होती है। लेकिन उन्होंने इसको महज 60 हजार रुपये में तैयार किया है।
आमतौर पर काम में आने वाली चीजों का इस्तेमाल
अपने ग्लाइडर को बनाने के लिए गणप्रकाशम ने अपने काम में आने वाली कई चीजों का इस्तेमाल किया है। इसमें उन्होंने कृषि के काम में आने वाले 230 CC से 300 CC के इंजन का इस्तेमाल किया है। इसके साथ ही हवा की स्पीड को देखने के लिए एन्मोमीटर और उड़ान के दौरान जमीन से ऊंचाई को देखने के लिए एल्टीमीटर भी लगाया गया है। इसको बनाने के लिए उन्होंने अपनी खेत की कुछ भूमि का भी इस्तेमाल किया। इस पर उन्होंने इस पैराग्लाइडिंग की टेस्टिंग के लिए रनवे बनाया।
उड़ान भरने का सपना हुआ साकार
सप्ताह में एक बार वह अब अपने पैराग्लाइडर की बदौलत आसमान की ऊंचाई को छूते हैं। करीब 60 से 70 किमी की ऊंचाई तक उन्होंने इस पैराग्लाइडर से उड़ान भरी है। उनके लिए सबसे अधिक मजेदार बात यह है कि किसी तरह के पावर ग्लाइडर के लिए कोई लाइसेंस की जरूरत नहीं होती है, न ही 500 फीट की उड़ान भरने तक किसी तरह की इजाजत ही लेनी होती है। हालांकि वह बताते हैं कि अपने पैराग्लाइडर से वह एयरपोर्ट के 40 किमी के दायरे में उड़ान नहीं भर सकते हैं।
समय निकालकर की पढ़ाई
सिविल एविएशन से इजाजत के बाद वह कुछ ऊंचाई पर उड़ पाते हैं। उनकी कामयाबी सिर्फ यही नहीं रही कि उन्हाेंने सस्ती कीमत का एक पैराग्लाइडर बना डाला है बल्कि यह भी है कि उन्होंने अपनी पढ़ाई की इच्छा को मरने नहीं दिया। किसी तरह से समय निकालकर उन्होंने अपनी पढ़ाई भी पूरी की। फिलहाल वह इतिहासमें एमए कर चुके हैं।
विफलता के बाद भी नहीं मानी हार
उन्होंने बताया कि वह अपनी इस उड़ान में कई बार विफल भी हुए लेकिन फिर भी हार नहीं मानी। वह चाहते हैं कि युवा भी इसमें आगे आएं और इस तरह के प्रोजेक्ट में हाथ बढ़ाएं। आज वह अपने बनाए पैराग्लाइडर से करीब 120 किमी की स्पीड से उड़ान भर पाते हैं। उनके पैराग्लाइडर में 14 लीटर का एक फ्यूल टैंक हैं, जो कुछ घंटों की उड़ान के लिए काफी है। सबसे मजे की बात यह है कि इसके लिए उन्हें कभी किसी ने बताया नहीं। इस पैराग्लाइडिंग में हर चीज उनके दिमाग की उपज का ही हिस्सा है।
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