'ड्रीम गर्ल' को मथुरा में दिखाना होगा असली 'भरतनाट्यम'
चुनावी बिगुल बजने के साथ ही मथुरा में भाजपा के शंखनाद की बेकरारी कल देर शाम जैसे ही खत्म हुई, सियासी हलकों में गूंज हो गई। धार्मिक नगरी में हेमा मालिनी सियासत की पारी खेलेंगी। अभिनेत्री हेमामालिनी भरतनाट्यम की कलाकार के तौर पर मथुरा के लिए पहचाना चेहरा हैं, मगर मथुरा के सियासी मैदान में उन्हें ड्रीम गर्ल के रूप मे
लखनऊ। चुनावी बिगुल बजने के साथ ही मथुरा में भाजपा के शंखनाद की बेकरारी कल देर शाम जैसे ही खत्म हुई, सियासी हलकों में गूंज हो गई। धार्मिक नगरी में हेमा मालिनी सियासत की पारी खेलेंगी। अभिनेत्री हेमामालिनी भरतनाट्यम की कलाकार के तौर पर मथुरा के लिए पहचाना चेहरा हैं, मगर मथुरा के सियासी मैदान में उन्हें ड्रीम गर्ल के रूप में अलग पहचान दिखानी होगी।
मथुरा लोकसभा सीट से टिकट पाने की लाइन में करीब दो दर्जन भाजपाई थे। इन सभी ने प्रदेश से लेकर केंद्रीय स्तर तक के नेताओं और आरएसएस से जुड़े कई लोगों की टिकट के लिए पैरवी कराई थी। अपने-अपने तरीके से जोरदार फील्डिंग सजाई गई। पार्टी में अंदर व बाहर का मुद्दा लंबे समय से उफान मार रहा था। दावेदारों को कहीं न कहीं बाहरी का अहसास था। इसी कारण बाहरी को रोकने के लिए स्थानीय स्तर पर लामबंद भी हो गए थे। टिकट के सभी दावेदारों ने तीन दिन पहले से दिल्ली में डेरा डाल दिया था। वहां भी बाहरी बनाम स्थानीय का मुद्दा भी जोर-शोर से उठाया गया।
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हेमामालिनी के नाम का कल देर शाम एलान कर भाजपा ने कयासों को एक झटके में खत्म कर दिया। मथुरा में हेमा मालिनी को बतौर कलाकार के तौर पर ही जाना जाता रहा है। वृंदावन में अक्सर उनकी मौजूदगी किसी न किसी रंगमंच या धार्मिक मंच पर ही रही है। वे स्वामी हरिदास महोत्सव में भी प्रसिद्ध भरतनाट्यम की प्रस्तुति करती रही हैं। वैसे सिने स्टार हर वर्ष तीन-चार बार वृंदावन बिहारी जी व अन्य मंदिरों के दर्शन करने आती हैं।
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पैनल में नहीं चर्चाओं में था नाम
भाजपा के पैनल में हेमामालिनी का नाम नहीं था। सूत्रों के मुताबिक पैनल में पूर्व मंत्री एस के शर्मा, तेजवीर सिंह और अरुण सिंह के नाम थे। माना जा रहा है कि दावेदारों की लंबी सूची और अपने तरीके से अलग-अलग लॉबिंग को देखने के बाद हेमामालिनी के नाम पर मुहर लगा दी गई। दावेदारों की असलियत जानने को भाजपा हाईकमान ने कई अन्य नेटवर्क से भी पड़ताल करायी थी। मगर सर्वे की रिपोर्ट पैनल में शामिल उम्मीदवारों में से किसी के पक्ष में संतोषजनक नहीं थी। हेमामालिनी को टिकट मिलने की संभावना देख विरोधी कई राजनीतिक दलों के नेता भी भाजपा के स्थानीय बड़े नेताओं के संपर्क में रहे। उनकी नजरें दिल्ली पार्टी कार्यालय पर टिकटार्थियों व उनके समर्थकों की गतिविधियों पर लगी रहीं।
तीसरी बार नहीं मिला स्थानीय को टिकट
यह तीसरा मौका है जब भाजपा ने मथुरा लोकसभा सीट पर किसी स्थानीय को टिकट नहीं दिया है। वर्ष 1957 के चुनाव में अटल बिहारी वाजपेयी और 1991 के चुनाव में सच्चिदानंद हरि साक्षी महाराज को टिकट मिला था। इसमें वाजपेयी हार गए थे और राम मंदिर लहर में साक्षी महराज जीते गए थे। अब हेमा का परिणाम 16 मई को पता चलेगा।
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हेमामालिनी ने कराया है मथुरा में काम
राज्यसभा सदस्य होने के नाते हेमामालिनी ने वृंदावन में अक्रूर गांव की रोड बनवाई थी। वृंदावन और करनावल में एक-एक स्कूल को आर्थिक सहायता मुहैया कराई।