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वाड्रा-डीएलएफ डील: गायब दस्तावेज पर फिर मचेगी हाय-तौबा

हरियाणा की भाजपा सरकार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद राबर्ट वॉड्रा और डीएलएफ कंपनी के बीच हुए जमीन सौदे की जांच से जुड़ी फाइल के गायब दस्तावेज नहीं मिल पाए। न तो सरकार की ओर से नियुक्त जांच अधिकारी इन दस्तावेजों का पता लगा सका और न ही

By Rajesh NiranjanEdited By: Published: Tue, 30 Dec 2014 05:22 AM (IST)Updated: Tue, 30 Dec 2014 09:25 AM (IST)

चंडीगढ़। हरियाणा की भाजपा सरकार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद राबर्ट वॉड्रा और डीएलएफ कंपनी के बीच हुए जमीन सौदे की जांच से जुड़ी फाइल के गायब दस्तावेज नहीं मिल पाए। न तो सरकार की ओर से नियुक्त जांच अधिकारी इन दस्तावेजों का पता लगा सका और न ही ये सूचना के अधिकार का इस्तेमाल कर जानकारी जुटाने वाले मोहाली के एक्टिविस्ट के पास हैं।

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राज्य सूचना आयोग में भी इन गायब दस्तावेजों का कोई रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है। मुख्य सचिव कार्यालय के मुख्यमंत्री सचिवालय में तैनात अंडर सेक्रेटरी गायब दस्तावेजों का पता लगाने के लिए पिछले दस दिन से जांच में जुटे हैं। सरकार ने जांच अधिकारी को रिपोर्ट दाखिल करने के लिए दो दिन का समय और दे दिया है।

चकबंदी विभाग के तत्कालीन महानिदेशक डा. अशोक खेमका ने गुडग़ांव के शिकोहपुर में वाड्रा-डीएलएफ के बीच हुए करीब साढ़े तीन एकड़ जमीन के सौदे का इंतकाल रद कर दिया था।

सरकार ने तत्कालीन आइएएस कृष्ण मोहन के नेतृत्व में राजन गुप्ता और केके जालान की एक जांच कमेटी बनाई। इस कमेटी ने अशोक खेमका के फैसले पर न केवल सवाल उठाए, बल्कि वाड्रा-डीएलएफ के जमीन सौदे को वाजिब भी करार दिया। इसके बाद खेमका को चार्जशीट कर दिया गया था। वाड्रा-डीएलएफ डील से जुड़ी फाइल के जिन दो पन्नों के गायब होने की बात कही जा रही है, उन पर इसी जांच कमेटी का ब्योरा दर्ज है। खेमका ने राज्य सरकार को स्वयं इन पन्नों के गायब हो जाने की जानकारी दी थी, जिसके बाद मुख्यमंत्री ने जांच कर दस दिन में रिपोर्ट सौंपने के आदेश दिए।

सोमवार को दस दिन पूरे हो गए मगर नतीजा कुछ नहीं निकला। मुख्य सचिव पीके गुप्ता 31 दिसंबर को रिटायर हो रहे हैं। इसी दिन अंडर सेक्रेटरी को जांच रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है। यानि नए मुख्य सचिव डीएस ढेसी को कार्यभार ग्रहण करने के तुरंत बाद वाड्रा-डीएलएफ डील की जांच संबंधी फाइल के गायब दस्तावेजों तथा जांच रिपोर्ट से जूझना पड़ेगा।

वाड्रा ने नियमों के विपरीत खरीदी जमीनें

चंडीगढ़, जागरण ब्यूरो। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद राबर्ट वाड्रा ने हरियाणा में अधिक जमीन खरीदी थी। हरियाणा सीलिंग आन लैंड होल्डिंग एक्ट के आधार पर राज्य में कोई भी बाहरी व्यक्ति अथवा परिवार सिर्फ 53.8 एकड़ तक जमीन खरीद सकता है, लेकिन वाड्रा ने 79.6 एकड़ जमीन की खरीददारी की थी। इसके लिए सरकार उनके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई कर सकती है।

राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव डा. दिलीप सिंह ने इस संबंध में राज्य सरकार को अपनी रिपोर्ट भेज दी है। वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु के पास यह रिपोर्ट भेजी गई है। कैप्टन फिलहाल विदेश यात्रा पर हैं। उनके वापस लौटने पर ही इस रिपोर्ट पर सरकार कोई फैसला ले सकती है। नियमों की अवहेलना करने पर दो साल की सजा का प्रावधान है।

सूत्रों के मुताबिक रिपोर्ट में वाड्रा लैंड डील मामले की जांच के लिए गठित की गई तीन आइएएस की कमेटी पर भी सवाल उठाए गए हैं। सरकार को सलाह दी गई है कि वह अधिकारियों की कमेटी से भी स्पष्टीकरण मांगे। रिपोर्ट के मुताबिक संबंधित कमेटी ने स्काईलाइट हास्पिटलिटी शिकोहपुर के मामले में तथ्यों को नजरअंदाज किया है।

अतिरिक्त मुख्य सचिव की रिपोर्ट पर राज्य सरकार ने गौर किया तो आने वाले समय में सीएलयू देने के लिए टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग को भी खुली छूट नहीं मिल पाएगी। वर्तमान में लाइसेंस देने के लिए टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग को डायरेक्टर लैंड कंसोलिडेशन से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेना पड़ सकता है।

राजस्व मंत्री कैप्टन अभिमन्यु विदेश से लौटने के बाद इस मामले में कार्रवाई कर सकते हैं। उनके कार्यालय के सूत्रों ने रिपोर्ट के बारे में कुछ भी बताने से इनकार किया, लेकिन इतना जरूर कहा कि मंत्री जी वापस लौटने के बाद ही डाक देखेंगे।

राबर्ट वाड्रा-डीएलएफ मामले में कानून अपना काम कर रहा है। इस प्रकरण में कानून सम्मत कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। -मनोहर लाल, मुख्यमंत्री, हरियाणा

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