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    सरकार ने रोकी राजोआना की फांसी

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    Updated: Thu, 29 Mar 2012 03:24 PM (IST)

    पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या में शामिल रहे बलवंत सिंह राजोआना की फांसी पर फिलहाल रोक लग गई है। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति [एसज ...और पढ़ें

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    नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या में शामिल रहे बलवंत सिंह राजोआना की फांसी पर फिलहाल रोक लग गई है। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति [एसजीपीसी] की ओर से राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल को दी गई दया याचिका के बाद केंद्र सरकार ने यह फैसला किया है। बुधवार को पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल की राष्ट्रपति से मुलाकात के तुरंत बाद केंद्र सरकार ने इस रोक की जानकारी दे दी। उधर, भाजपा ने पंजाब में अपने सहयोगी अकाली दल की इस मांग का साथ देने से इन्कार कर दिया है।

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    पिछले कुछ दिनों से जिस मुद्दे पर पंजाब उबल रहा था, वह अब फिलहाल ठंडे बस्ते में चला गया है। बुधवार की शाम गृह मंत्रालय ने पंजाब सरकार को पत्र जारी कर जानकारी दी कि राजोआना की फांसी संबंधी दया याचिका पर राष्ट्रपति का फैसला आने तक इस पर रोक रहेगी। यह जानकारी केंद्र ने यहां पहुंचे पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल को सीधे दी। बादल यहां फांसी पर रोक के संबंध में राष्ट्रपति से मुलाकात करने आए थे।

    फांसी पर रोक की घोषणा से ठीक पहले बादल शाम साढ़े छह बजे अकाली दल के दूसरे सांसदों और अपने पुत्र एवं राज्य के उप-मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल के साथ राष्ट्रपति से मुलाकात करने पहुंचे थे। उनके साथ एसजीपीसी के अधिकारी भी मौजूद थे। इस मुलाकात के दौरान उन्होंने राष्ट्रपति से अनुरोध किया कि वे एसजीपीसी की ओर से राजोआना के लिए दायर की गई दया याचिका पर विचार करें। मुलाकात के बाद बादल ने कहा कि मुख्यमंत्री के नाते उनका हमेशा प्रयास रहा है कि राज्य में अमन और शांति कायम रहे। लेकिन यह ऐसा भावनात्मक मुद्दा आ गया जिस पर शांति बिगड़ने की स्थिति आ गई। इसलिए उन्होंने राष्ट्रपति से इस संबंध में अनुरोध किया है।

    आम तौर पर राष्ट्रपति को मिलने वाली ऐसी याचिका को कानून मंत्रालय और संबंधित राज्य सरकार को उनकी राय के लिए भेजा जाता है। चूंकि राजोआना की फांसी 31 मार्च को ही होनी थी, इसलिए इस मामले में राष्ट्रपति भवन ने याचिका पर तुरंत कार्रवाई करते हुए इसे गृह मंत्रालय को भेज दिया। वर्ष 1995 में बेअंत सिंह की हत्या में राजोआना भी शामिल था।

    इससे पहले मंगलवार की शाम बादल ने भाजपा के केंद्रीय नेताओं से भी मुलाकात की थी। भाजपा संसदीय दल के नेता लाल कृष्ण आडवाणी, लोकसभा में पार्टी की नेता सुषमा स्वराज और राज्य के प्रभारी शांता कुमार से मुलाकात कर बादल ने उनसे इस मांग का समर्थन करने का अनुरोध किया था। लेकिन भाजपा नेताओं ने स्पष्ट कर दिया था कि पार्टी के सिद्धांतों के कारण वे इस तरह की मांग का समर्थन नहीं कर सकते।

    फांसी टलने से कांग्रेस-भाजपा चुप

    नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के हत्यारे बलवंत सिंह राजोआना की फांसी के मामले पर आखिरकार राजनीति हावी हो गई। दया याचिका के सहारे फिलहाल रुकी फांसी की सजा जहां पंजाब के राजनीतिक दलों के लिए जीत बन गई है, वहीं कानून का हवाला देती रही कांग्रेस और अफजल गुरु के मामले में कांग्रेस को कठघरे में खड़ा करती रही भाजपा भी इसे तूल देने से बच रही है। दोनों दल सिर्फ इतना कहकर अपना चेहरा बचाने की कोशिश में हैं कि कानून अपना काम करेगा।

    गौरतलब है कि राजोआना को लेकर हो रही राजनीति में जहां अकाली दल नेतृत्व ले रहा है, वहीं उसके साथ सरकार में शामिल प्रदेश भाजपा और विपक्ष में खड़ी प्रदेश कांग्रेस के मुंह सिले हुए हैं। बल्कि प्रदेश कांग्रेस ने आगे बढ़कर इसका समर्थन कर दिया है। राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा और कांग्रेस के लिए खुल कर राजोआना की फांसी की बात करने का नैतिक बल नहीं है। कानून का हवाला देकर चेहरा बचाने की कोशिश होती रही है।

    अब जब दया याचिका के कारण 31 मार्च को होने वाली फांसी टल गई है तो अकाली दल अपनी पीठ थपथपा रहा है। कांग्रेस के प्रवक्ता राशिद अल्वी ने कहा कि यह संवेदनशील मुद्दा है और कानून अपना काम करेगा। ध्यान रहे कि कानूनी प्रावधान के अनुसार ही दया याचिका के बाद फांसी टल गई है। वहीं भाजपा कोई प्रतिक्रिया देने से बचती रही।

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