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    गुजरात में होने वाले उपचुनाव में आनंदीबेन के नेतृत्व की होगी परीक्षा

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    Updated: Tue, 19 Aug 2014 08:06 AM (IST)

    अगले महीने गुजरात में होने वाला उपचुनाव हाल ही मुख्यमंत्री पद पर आसीन आनंदीबेन पटेल के लिए किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं होगा। गुजरात की बची हुई लोकसभा और विधानसभा सीटों के लिए अगले महीने उपचुनाव होने हैं। अब ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा प्रस्तावित मुख्यमंत्री आनंदीबेन के लिए सभी सीटों पर जीत दर्ज करना एक बड़ी चुनौती होगी।

    अहमदाबाद। अगले महीने गुजरात में होने वाला उपचुनाव हाल ही मुख्यमंत्री पद पर आसीन हुई आनंदीबेन पटेल के लिए किसी परीक्षा से कम नहीं होगा। गुजरात की बची हुई लोकसभा और विधानसभा सीटों के लिए अगले महीने उपचुनाव होने हैं। अब ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा प्रस्तावित मुख्यमंत्री आनंदीबेन के लिए सभी सीटों पर जीत दर्ज करना एक बड़ी चुनौती होगी।

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    बीजेपी विधायकों द्वारा वर्ष 2014 लोकसभा चुनाव में हिस्सा लेने के बाद रिक्त हुई कुल नौ विधानसभा सीटों और एक लोकसभा के लिए 13 सितंबर को उपचुनाव कराए जाएंगे। आपको बात दें कि एकमात्र वडोदरा सीट प्रधानमंत्री मोदी द्वारा यूपी के वाराणसी सीट चुनने के बाद रिक्त हुई है। उपचुनाव में शामिल विधानसभा सीटों में आनंद लिमखेड़ा [दाहोद], देसा [बनासकांठा], मतर [खेड़ा], माणिनगर [अहमदाबाद], तलाजा [भावनगर], तंकारा [राजकोट], खंभालिया [जामनगर] और मंगरोल [जूनागढ़] के लिए चुनाव होना है।

    हाल के कुछ महीनों में राज्य में भ्रष्टाचार व महंगाई के मुद्दों को आक्रामक तरीके से उठाया गया। मोदी के गुजरात छोड़ने के विपक्षी पार्टी कांग्रेस सत्तारूढ़ भाजपा को परास्त करने के लिए पूरी तरह से तैयार है। इसपर कांग्रेस प्रवक्ता मनीष दोषी ने कहा कि इस उपचुनाव में मुख्यमंत्री आनंदीबेन की मुख्य परीक्षा होगी कि जनता उनके काम को सराहती है या फिर नकारती है। दोषी ने कहा भाजपा प्रधानमंत्री मोदी के नाम पर जीत हासिल की मंशा रखे हुए है, परंतु इस बार स्थानीय मुद्दे अधिक महत्वपूर्ण अधिक रहेगी। कांग्रेस क्षेत्रिय मुद्दों को लेकर प्रदेश सरकार को उपचुनाव में पटखनी देने की कोशिश में जुटी है।

    गौरतलब है कि वर्ष 2001 के बाद नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने गुजरात विधानसभा चुनाव में लगातार शानदार जीत हासिल की। ऐसे में राज्य की पहली महिला मुख्यमंत्री की अगुवाई में पार्टी कैसा प्रदर्शन करती है ये देखना अहम होगा। हालांकि सत्ता में आते ही आनंदीबेन ने महिला सशक्तिकरण और शौचालय बनाने जैसे मुद्दों को उठाया था। परंतु, अन्य मोर्चो पर उनकी परीक्षा अभी बाकी है।

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