नेपाल सीमा से सटे गांवों में होगी कोरोना वायरस के संक्रमण की जांच, सरकार ने बनाई टीमें
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने नेपाल सीमा से सटे गांवों में कोरोना वायरस की जांच के लिए विशेषज्ञों की केंद्रीय टीमें गठित की हैं। ये टीमें जल्द इन गांवों का दौरा करेंगी।
नई दिल्ली, पीटीआइ। चीन में कहर बरपा रहे कोरोना वायरस को लेकर दुनिया के दूसरे मुल्कों में भी बेहद सतर्कता बरती जा रही है। केंद्रीय गृह मंत्रालय भी तमाम एहतियाती कदम उठा रहा है। मंत्रालय ने नेपाल सीमा से सटे गांवों में कोरोना वायरस की जांच के लिए विशेषज्ञों की केंद्रीय टीमें गठित की हैं। समाचार एजेंसी पीटीआइ के मुताबिक, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, सिक्किम, पश्चिम बंगाल के नेपाल सीमा से सटे गांवों में कोरोना वायरस के संक्रमण की जांच केंद्रीय टीमें करेंगी।
इसके लिए सामुदायिक स्तरीय सूचना शिक्षा संचार (IEC) गतिविधियों का आयोजन होगा। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से 15 फरवरी को जारी आदेश में उक्त जानकारी दी गई है। सरकार की ओर से जारी आदेश में बताया गया है कि नेपाल सीमा से सटे गांवों में कोरोना वायरस के संक्रमण की जांच के लिए नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल यानी NCDC, सफदरजंग अस्पताल (Safdarjung Hospital), डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल (Dr Ram Manohar Lohia Hospital) के डॉक्टरों की पांच अलग-अलग टीमें गठित की गई हैं। ये टीमें नेपाल के सीमावर्ती जिलों का दौरा करेंगी। राज्य के स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ कोऑर्डिनेट करके उक्त टीमें नेपाल की सीमा से लगे गांवों का दौरा करेंगी।
मालूम हो कि भारत में कोरोना वायरस के तीन मामलों की पुष्टि हुई है। कोरोना वायरस (coronavirus outbreak) से संक्रमित तीनों मरीजों केरल के हैं। इनमें से एक मरीज को ठीक हो जाने के बाद डिस्चार्ज कर दिया गया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन (Harsh Vardhan) ने बीते दिनों यह जानकारी दी थी। दो अन्य मरीजों की हालत में अपेक्षित सुधार हो रहा है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने नागरिकों से अपील की है कि वे चीन की यात्रा करने से परहेज करें।
नेपाल ने चीन में फंसे अपने 175 नागरिकों को निकाला
इधर, नेपाल सरकार ने कोरोना वायरस संक्रमण के चलते चीन में फंसे अपने 175 नागरिकों को रविवार को निकाल लिया है। इसमें 170 छात्र, एक कर्मचारी, दो विजिटर और दो बच्चे हैं। सबसे अधिक वुहान से 55 लोग निकाले गए। कुल 185 लोगों ने नेपाल आने के लिए आवेदन दिया था, लेकिन चार ने बाद में वहीं रहने का फैसला किया, जबकि छह मेडिकल कारणों के चलते विमान में नहीं चढ़ पाए।