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    तीन दिन से दिल्ली में 'एकांतवास' में राज्‍यपाल रामनरेश यादव

    By manoj yadavEdited By:
    Updated: Sun, 01 Mar 2015 08:25 AM (IST)

    तीन दिन से दिल्ली में डेरा डाले मध्यप्रदेश के राज्यपाल रामनरेश यादव संभवत: रविवार को भोपाल लौट सकते हैं। वे मप्र भवन में ठहरे हुए हैं और शनिवार को भी ...और पढ़ें

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    नईदुनिया ब्यूरो, नई दिल्ली। तीन दिन से दिल्ली में डेरा डाले मध्यप्रदेश के राज्यपाल रामनरेश यादव संभवत: रविवार को भोपाल लौट सकते हैं। वे मप्र भवन में ठहरे हुए हैं और शनिवार को भी दिनभर अपने कमरे में ही रहे।दिल्ली में वे राष्ट्रपति से मिलने के प्रयास कर रहे हैं।

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    व्यापमं मामले में एफआईआर दर्ज होने के बाद राज्यपाल यादव की दिल्ली यात्रा काफी महत्वपूर्ण है,यहां वे किसी से मुलाकात नहीं कर रहे हैं,मीडिया से भी उन्होने दूरी बना रखी है। हालांकि पहले से तय कार्यक्रम के मुताबिक राज्यपाल यादव को शनिवार शाम दिल्ली से भोपाल लौटना था, लेकिन उन्होंने वापसी का कार्यक्रम टाल दिया।

    सूत्र बताते हैं कि अब रविवार दोपहर को उनकी यहां से भोपाल वापसी का कार्यक्रम बन रहा है,यद्यपि अभी इसे अंतिम रूप नहीं दिया जा सका है।माना जा रहा है कि उन्होंने राष्ट्रपति से मिलने की कोशिश नहीं छोड़ी है।

    राष्ट्रपति के प्लेजर पर राज्यपाल

    यादव के मामले को लेकर दिल्ली के राजनीतिक गलियारों में भी हलचल है।जानकारों का मानना है कि केंद्र सरकार उनके मामले में जल्द ही कोई कदम भी उठा सकती है। इधर सात राज्यों के राज्यपाल रह चुके भीष्म नारायण सिंह ने नईदुनिया से चर्चा में कहा है कि संविधान की धारा 156 के दो भागों में राज्यपालों के विषय में स्पष्ट कहा गया है कि राज्यपाल अपने पदों पर राष्ट्रपति के प्लेजर (खुशी) पर रह सकते हैं और राज्यपालों का कार्यकाल पांच वर्ष का होगा। वर्ष 2010 में जस्टिस बालाकृष्णन की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा है कि गवर्नर को हटाने का उचित कारण होना जरूरी है।

    सिंह का कहना है कि राज्यपालों पर किसी तरह की कानूनी कार्रवाई जैसी स्थिति आती है तो सुप्रीम कोर्ट की यह व्यवस्था उनका बचाव नहीं कर सकेगी। गृह मंत्रालय ऐसे मामले में राज्यपाल को हटाने का प्रस्ताव राष्ट्रपति को भेज सकता है। संविधान के जानकार भीष्म नारायण सिंह कहते हैं- 'मुझे नहीं लगता कि कोई भी राज्यपाल ऐसी किसी नौबत को आने देना चाहेंगे,जिसमें उन्हें पद से हटाया जाए।पद की गरिमा के मुताबिक राज्यपाल द्वारा पद छोड़ना ही सही रास्ता है। इस मामले में शीला दीक्षित का उदाहरण सामने हैं, जिन्होने इस्तीफा दे दिया था।'