गोवा में सरकार बनाने के मुद्दे पर कांग्रेस को SC से मिली निराशा
गोवा में सरकार गठन को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंची कांग्रेस को कड़ी फटकार सुननी पड़ी है। कोर्ट ने कहा है कि आपने यह सब गोवा में राज्यपाल के समक्ष क्यों ...और पढ़ें

पणजी (पीटीआई)। गोवा में सरकार बनाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने पहुंची कांग्रेस को वहां से निराशा हाथ लगी है। कोर्ट ने भाजपा को जल्द से जल्द बहुमत साबित करने को कहा है। यह आदेश देने से पूर्व कांग्रेस को कोर्ट से फटकार भी खानी पड़ी। कांग्रेस द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने साफतौर पर कहा कि 'जो बातें आप यहां कह रहे हैं उन्हें गोवा में गवर्नर के समक्ष क्यों नहीं कहा'। कोर्ट ने यह भी जानना चाहा कि आखिर सबसे बड़ी पार्टी होने के बाद भी काग्रेस ने गवर्नर के समक्ष अपना दावा पेश क्यों नहीं किया।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह भी कि आखिर कांग्रेस जितने विधायकों का दावा कर रही है वह कहां है। इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी माना कि नंबर वास्तव में सरकार बनाने के लिए काफी अहम है। कांग्रेस द्वारा यह याचिका गवर्नर के उस फैसले के खिलाफ की गई है जिसमें राज्यपाल मृदुला सिन्हा ने मनोहर पर्रिकर को राज्य का मुख्यमंत्री नियुक्त किया है।
गवर्नर ने उनसे शपथ लेने के बाद 15 दिन के अंदर बहुमत साबित करने को भी कहा है। राष्ट्रपति कायार्लय द्वारा जारी बयान में कहा गया है, राष्ट्रपति ने संविधान के अनुच्छेद 75 के खंड (2) के तहत मनोहर पर्रिकर का मंत्रीपरिषद से इस्तीफा स्वीकार कर लिया है। इसके अलावा राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सिफारिश पर केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली को रक्षा मंत्रालय का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा है। वहीं कांग्रेस ने गोवा की राज्यपाल द्वारा मनोहर पर्रिकर को मुख्यमंत्री नियुक्त किए जाने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।
इसमें एडिशनल सोलिसिटर जनरल मनिनंदर सिंह सरकार का पक्ष रखेंगे।
गोवा कांग्रेस विधायक दल के नेता चंद्रकांत कवलेकर की ओर से दायर इस याचिका में मांग की गई है कि पर्रिकर के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने पर रोक लगाई जाए। कांग्रेस के वकील ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट पर्रिकर के शपथ लेने पर रोक की मांग वाली याचिका पर मंगलवार सुबह सुनवाई करने को सहमत हो गया है। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जे एस खेहर के आवास पर शनिवार शाम याचिका दायर की गई और न्यायमूर्ति खेहर ने मंगलवार सुनवाई करने पर सहमति जताई। इस सिलसिले में विशेष पीठ का गठन किया गया है क्योंकि शीर्ष अदालत होली पर एक सप्ताह के अवकाश पर है।
कांग्रेस की तरफ से दाखिल याचिका में मांग की गई है कि पर्रिकर को मुख्यमंत्री नियुक्त करने के राज्यपाल के फैसले को रद्द किया जाए। वकील देवदत्त कामथ की ओर से दायर याचिका पर वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी दलील पेश कर सकते हैं। इसमें केंद्र और गोवा को पक्षकार बनाया गया है। गौरतलब है कि भाजपा खेमे की ओर से रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर को मुख्यमंत्री बनाने की शुरू हुई कसरत के बाद दोनों निर्दलीय विधायकों ने भाजपा के साथ जाने के संकेत दे दिए थे।
इसके बाद तीन-तीन विधायकों वाली एमजीपी (महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी) और गोवा फारवर्ड पार्टी ने भी पर्रिकर के मुख्यमंत्री बनने की स्थिति में भाजपा का समर्थन करने का एलान कर दिया था। जबकि तीसरे निर्दलीय विधायक ने पहले ही भाजपा के साथ जाने की घोषणा कर दी थी। इस तरह इन सभी विधायकों को मिलाकर भाजपा को समर्थन देने वाले विधायकों का आंकड़ा 22 पहुंच रहा है जो बहुमत के लिए जरूरी 21 की संख्या से एक ज्यादा है। उसके बाद ही पर्रिकर ने राज्यपाल मृदुला सिन्हा से मिलकर औपचारिक दावा पेश कर दिया था।

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