सरकार गठन को लेकर गोवा-मणिपुर में भी सत्ता की दौड़ में पिछड़ी कांग्रेस
गोवा और मणिपुर के चुनाव में त्रिशंकु विधानसभा में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी के रुप में उभरी है। ...और पढ़ें

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। गोवा और मणिपुर में भी भाजपा सरकार गठन के लिए मंच तैयार हो गया है। गोवा में जहां भाजपा की ओर से दावा भी पेश हो गया है वहीं मणिपुर में तैयारी पूरी हो चुकी है। विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी के रुप में उभरने के बाद दोनों राज्यों में सरकार बनाने के लिए कांग्रेस ने भले ही पूरी ताकत झोंक दी है। मगर भाजपा के मुकाबले पिछड़ गई है।
हालांकि अभी भी यह संकेत दिया जा रहा है कि कांग्रेस सबसे बडे़ दल के रुप में उभरने के आधार पर सरकार बनाने का दावा पेश करने के विकल्प पर विचार कर रही है।
गोवा और मणिपुर के चुनाव में त्रिशंकु विधानसभा में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी के रुप में उभरी है। गोवा में कांग्रेस को 17 सीटें मिली है और उसे बहुमत के लिए चार सीटों की जरूरत है। कांग्रेस को चुने गए तीन में से दो निर्दलीय विधायकों और एनसीपी के एक विधायक ने समर्थन देने का भरोसा दिया था। दूसरी ओर केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी सुबह ही गोवा पहुंच गए थे।
उन्होंने बैठक की और मगर भाजपा खेमे की ओर से रक्षा मंत्री मनोहर पर्रीकर को मुख्यमंत्री बनाने की शुरू हुई कसरत के बाद इन दोनों निर्दलीय विधायकों ने भाजपा के साथ जाने के संकेत दे दिया। तीन-तीन विधायकों वाली एमजीपी और गोवा फारवर्ड पार्टी ने भी पर्रीकर के सीएम बनने की स्थिति में भाजपा का समर्थन करने का एलान किया है। जबकि तीसरे निर्दलीय विधायक ने पहले ही भाजपा के साथ जाने की घोषणा कर दी थी। इस तरह इन सभी विधायकों को मिलाकर भाजपा को समर्थन देने वाले विधायकों का आंकड़ा 22 पहुंच रहा है जो बहुमत के लिए जरूरी 21 की संख्या से एक ज्यादा है। उसके बाद ही पर्रीकर ने औपचारिक दावा पेश कर दिया है। जबकि एनसीपी के एक विधायक के साथ कांग्रेस 18 तक ही पहुंच पा रही है।
हालांकि गोवा में कांग्रेस की सरकार बनाने के लिए पार्टी के राष्ट्रीय प्रभारी महासचिव दिग्विजय सिंह गोवा में मौजूद हैं और छोटी पार्टियों को साधने की कसरत भी की है। भाजपा की सरकार बनाने की कोशिशों में कांग्रेस को पिछड़ते देख दिग्विजय ने सबसे बड़ी पार्टी के रुप में उभरने के आधार पर सरकार बनाने का दावा बनने की बात कह संकेत दिया कि भाजपा की कोशिशों को रोकने के लिए वह इसे आखिरी दांव के रुप में चलेगी। हालांकि उसे पता है कि आंकड़ों के खेल में वह पिछड़ चुकी है।
मणिपुर में भी कांग्रेस की हालत कमोबेश यही है। पार्टी वहां 28 सीटों के साथ बहुमत के नंबर से केवल तीन अंक दूर है। मगर मणिपुर में 21 सीटें जीतने वाली भाजपा नगालैंड पीपुल्स पार्टी और नेशनल पीपुल्स पार्टी के चार-चार विधायकों और लोक जनशक्ति पार्टी के एक विधायक के समर्थन देने की वजह से 30 की संख्या तक पहुंचती दिख रही है। एक निर्दलीय विधायक के सहारे वह बहुमत के लिए जरूरी 31 की संख्या को हासिल करती दिख रही है। हालांकि कांग्रेस ने अब भी अपनी कोशिशें नहीं छोड़ी है।
पार्टी के प्रभारी महासचिव सीपी जोशी इंफाल में कैंप कर समर्थन जुटाने की कोशिशों में लगे हैं तो निर्वतमान मुख्यमंत्री इबोबी सिंह को रविवार को विधायक दल का नेता चुन सरकार बनाने की कसरत तेज की गई। मगर विधायकों के जरूरी नंबर नहीं जुट पाने की वजह से कांग्रेस सरकार बनाने का दावा अभी तक नहीं कर पायी और शाम होते-होते मणिपुर में सरकार बनाने के सारे समीकरण भाजपा के पक्ष में बदलते दिखाई देने लगे।

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