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    कैशलेस लेनदेन को नहीं समझना चाहता है विपक्ष : अरुण जेटली

    By Gunateet OjhaEdited By:
    Updated: Mon, 26 Dec 2016 09:40 AM (IST)

    डिजिधन कार्यक्रम में जेटली ने कहा, 'कैश वाली अर्थव्यवस्था ने जो कुरीतियां पैदा की थीं, वे कैशलेस व्यवस्था से दूर हो जाएंगी।'

    अरुण जेटली (फाइल फोटो)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि सरकार कैशलेस इकोनॉमी बनाना चाहती है, इसका मतलब यह नहीं है कि इस सिस्टम में कैश नहीं होगा। होगा, लेकिन कम कैश होगा। उन्होंने विपक्ष पर तंज कसा कि जनता इस बात को समझ गई है लेकिन वे इसे समझने में वक्त लगा रहे हैं।

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    डिजिधन कार्यक्रम में उन्होंने यह भी कहा, 'कैश वाली अर्थव्यवस्था ने जो कुरीतियां पैदा की थीं, वे कैशलेस व्यवस्था से दूर हो जाएंगी।' इसलिए जरूरी है कि इस व्यवस्था को आम उपयोग में लाने के लिए प्रोत्साहन दिया जाए। जेटली ने बताया कि आधार कार्ड पेमेंट खासतौर पर उन लोगों के लिए शुरू किया गया, जिनके पास कार्ड्स और मोबाइल फोन्स नहीं है और लेन-देन के लिए वे सिर्फ अपने अंगूठे या अंगुली के निशान का ही इस्तेमाल कर सकते हैं।

    लकी ड्रॉ स्कीम से होगा अच्छा प्रमोशन

    जेटली ने कहा लकी ड्रॉ स्कीम से देश में डिजिटल ट्रांजेक्शन्स को प्रोमोट करने में बड़ी मदद मिलेगी। उन्होंने दक्षिण कोरिया का हवाला देते हुए कहा कि ऐसी स्कीमें वहां बहुत लोकप्रिय हुईं। साथ ही, उन्होंने भरोसा दिलाया कि ऐसी मुहिम से एक बेहतर देश और साफ-सुथरी इकोनॉमी का निर्माण होगा। जेटली का कहना है कि कैश इकोनॉमी के ऊपर भारी निर्भरता की वजह से ही नकली करंसी से लेकर आतंकवाद जैसी समस्याएं पनपीं।

    जेटली ने कार्यक्रम के दौरान दुनिया के शीर्ष उद्योगपतियों में शामिल बिल गेट्स द्वारा डिजिटल इकोनॉमी पर उनको दिए गए एक बड़े सुझाव का जिक्र किया। जेटली ने बताया कि माइक्रोसॉफ्ट के सह-संस्थापक गेट्स ने उनसे कहा था कि भारत में 100 करोड़ से ज्यादा लोगों के पास मोबाइल फोन्स और 109 करोड़ के पास आधार कार्ड हैं, इसलिए भारत में डिजिटल इकोनॉमी जरूर बूम करेगी।

    कैपिटल गेन्स पर ज्यादा टैक्स नहीं : जेटली

    बाजार की बेचैनी को शांत करने के लिए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने रविवार को सफाई देते हुए कहा कि शेयरों की खरीद-फरोख्त में दीर्घकालीन पूंजीगत लाभ पर ज्यादा टैक्स लगाने का सरकार का कोई इरादा नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुंबई में शनिवार के भाषण के संदर्भ में जेटली ने कहा कि मोदी के भाषण की मीडिया में जो व्याख्या की गई, वह सही नहीं है।

    उन्होंने स्पष्ट किया, 'मीडिया के एक हलके ने उस भाषण की गलत व्याख्या की है और उसने यह अर्थ निकालना शुरू किया कि इसमें परोक्ष रूप से प्रतिभूतियों के कारोबार में दीर्घकालीन पूंजीगत लाभ पर कर आरोपित किए जा सकने का संकेत है।' जेटली ने कहा कि यह व्याख्या बिलकुल गलत है।

    उन्होंने कहा, 'प्रधानमंत्री ने प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से ऐसा कोई बयान नहीं दिया। इसलिए मैं यह बिलकुल स्पष्ट करना चाहता हूं कि किसी के लिए इस निष्कर्ष पर पहुंचने का कोई आधार नहीं है, क्योंकि प्रधानमंत्री ने ऐसा कुछ नहीं कहा है और ना ही सरकार की ऐसी कोई मंशा है जैसा कि मीडिया में कहा गया है।'

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