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    इशरत जहां केस : खोई फाइलों को ढूंढने के लिए जांच शुरू, निशाने पर कई अधिकारी

    By Abhishek Pratap SinghEdited By:
    Updated: Mon, 14 Mar 2016 08:32 PM (IST)

    इशरत जहां केस से जुड़ी फाइलों के गायब होने के मामले में केंद्र ने उच्च स्तरीय जांच कमिटी का गठन कर गृह मंत्रालय द्वारा गठित कमिटी इशरत जहां केस में दाखिल किए गए दूसरे हलफनामे की पड़ताल शुरू भी कर दी है।

    नई दिल्ली। इशरत जहां केस से जुड़ी फाइलों के गायब होने के मामले में केंद्र ने उच्च स्तरीय जांच कमिटी का गठन कर गृह मंत्रालय द्वारा गठित कमिटी इशरत जहां केस में दाखिल किए गए दूसरे हलफनामे की पड़ताल शुरू भी कर दी है।

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    इस मामले में केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि जांच हेतु उच्च स्तरीय दल का गठन किया गया है। मिली जानकारी के अनुसार गृह मंत्रालय के अलावा सचिव बीके प्रसाद की अध्यक्षता में दल तैयार किया गया है। यह दल इस बात को लेकर जांच करेगा कि इशरत जहां प्रकरण में किस तरह से दूसरे एफिडेविट का ड्राफ्ट गुम हो गया।

    दल द्वारा यह भी पता लगाने की बात कही गई है कि दूसरे एफिडेविट का ड्राफ्ट आखिर किसने तैयार किया। इस मामले में यह कहा गया है कि जो भी अधिकारी ड्राफ्ट तैयार करने वाले दल में शामिल थे उनसे पूछताछ की जाएगी।

    उल्लेखनीय है कि इशरत जहां के मसले पर पूर्ववर्ती सरकार ने जो हलफनामा दायर किया था उसे गलत बताए जाने के बाद वर्तमान केंद्र सरकार ने परिवर्तित किया है। दरअसल इशरत मामले में दो हलफनामे दायर किए गए थे। जहां गुजरात पुलिस के हलफनामे में इशरत को लेकर अलग जानकारी थी तो दूसरी ओर पूर्ववर्ती केंद्र सरकार द्वारा दायर किए गए हलफनामे में इशरत को लश्कर ए तैयबा का आतंकी नहीं बताया गया था।

    जिसके बाद मुंबई में 26/11 को हुए आतंकी हमले के अहम गवाह बने डेविड हैडली के बयान ने इशरत को लश्कर का आतंकी बताया था। जिसके बाद देशभर में हंगामा हुआ, राजनीति तेज़ हुई और फिर वर्तमान केंद्र सरकार ने पुराना हलफनामा बदलकर नया हलफनामा दायर किया।

    उल्लेखनीय है कि 15 जून 2004 को अहमदाबाद में एक मुठभेड़ में 4 आतंकियों को मार दिया गया था। इन आतंकियों में एक काॅलेज की स्टूडेंट भी थी। जिसकी पहचान इशरत जहां के तौर पर हुई। बाद में यह बात सामने आई कि वह लश्कर की आत्मघाती आतंकी थी।

    गृह मंत्रालय ने यह कदम पूर्व गृह सचिव जीके पिल्लई के उस दावे के बाद किया गया है जिसमें पिल्लई ने कहा था कि इशरत जहां मामले में गृह मंत्रालय ने जो हलफनामा दिया था वो पूर्व गृह मंत्री पी चिदम्बरम के कहने पर बदला गया था। पूर्व केन्द्रीय गृह सचिव जी.के. पिल्लई का कहना है कि राजनैतिक कारणों से गृह मंत्रालय ने इशरत से जुड़ा ऐफिडेविट बदला था।


    जानकारी के मुताबिक गृह मंत्रालय इशरत से जुड़ी हुई फाइलों की जांच कर रहा है। ये पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि पूर्व गृह सचिव ने क्या नए ऐफिडेविट पर दस्तखत करने से पहले अपना ऐतराज दर्ज करवाया था या नहीं। और अगर नहीं तो किस आधार पर नए ऐफिडेविट पर दस्तखत किए। वैसे इशरत मामले से जुड़ी कई फाइलें गायब हैं जिन्हें ढूंढा जा रहा है।


    चिदंबरम ने स्वीकारा दावा


    पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम ने स्वीकार किया है कि उन्होंने हलफनामे में बदलाव किए थे। चिदंबरम ने कहा है कि बदलाव सही किए थे। चिदंबरम ने कहा कि वह बदलावों की जिम्मेदारी लेते हैं। हालांकि, साथ ही उन्होंने कहा कि हलफनामे में बदलाव के लिए पिल्लई भी बराबर के जिम्मेदार हैं।


    हलफनामा स्पष्ट नहीं था


    चिदंबरम ने कहा कि दूसरा हलफनामा इसलिए देना पड़ा क्योंकि पहला हलफनामा स्पष्ट नहीं था। उन्होंने इस पर निराशा जताई कि पिल्लई ने इस मामले से खुद को अलग कर लिया। पूर्व गृह मंत्री ने कहा कि पिल्लई भी इसके लिए बराबर के जिम्मेदार हैं। हालांकि, इस बारे में पिल्लई ने कहा क्योंकि फाइल तत्कालीन गृह मंत्री (चिदंबरम) के पास से आई थी, इसलिए मैंने बदलावों का कोई विरोध नहीं किया।


    दो सालों से वहीं अटका


    वैसे सीबीआइ ने इशरत जहां मामले में आरोप पत्र तो दायर कर दिया है लेकिन आरोप अभी तय नहीं हुए हैं। इसपर गृह मंत्रालय ने सीबीआइ को आईबी के रजिंदर कुमार और बाकी के अफसरों के खिलाफ मामला दर्ज करने की इजाजत भी नहीं दी थी क्योंकि उनके खिलाफ मंत्रालय को सीबीआइ द्वारा एकत्रित किए सबूत नाकाफी लगे थे। यानी मामला दो सालों से वहीं अटका पड़ा है जहां से शुरू हुआ था।

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