जल्लीकट्टू का रास्ता साफ, केंद्र सरकार ने दी हरी झंडी
कानून मंत्रालय ने जल्लीकट्टू आयोजित करने की अनुमति देने वाले तमिलनाडु के अध्यादेश मसौदे को मंजूरी दे दी है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। जल्लीकट्टू पर रोक के विरोध में उमड़ते जनसैलाब और उसे मिलते जा रहे सैलिब्रेटी के समर्थन को देखते हुए केंद्र और तमिलनाडु सरकार ने कानूनी हल निकाल लिया है। जल्लीकट्टू आयोजन का रास्ता साफ हो गया है। कानून मंत्रालय ने जल्लीकट्टू आयोजित करने की अनुमति देने वाले तमिलनाडु के अध्यादेश मसौदे को मंजूरी दे दी है। अब राष्ट्रपति से मंजूर होने के बाद अध्यादेश वापस तमिलनाडु जाएगा और तमिलनाडु सरकार उसे जारी करेगी। चेन्नई के मरीना बीच पर जल्लीकट्टू पर रोक के विरोध में चल रहे प्रर्दशन की तपिश शुक्रवार को दिल्ली में महसूस हुई।
तमिलनाडु सरकार की ओर से गृहमंत्रालय को भेजे गये अध्यादेश के मसौदे पर एक तरफ तो सरकार के तीन तीन मंत्रालय और अटार्नी जनरल ने कानूनी बारीकियां खंगाली और दूसरी ओर सुप्रीमकोर्ट से एक सप्ताह के लिए फैसला टलवाया। गृह मंत्रालय ने तमिलनाडु से आया अध्यादेश का मसौदा राय के लिए कानून मंत्रालय, पर्यावरण मंत्रालय और पशु धन विभाग को भेजा। दिन में कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद, पर्यावरण मंत्री अनिल दवे और अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने मसौदे पर बैठक करके विचार विमर्श किया। कानूनी बारीकियां देखने के बाद शाम को कानून मंत्रालय ने अध्यादेश के मसौदे को मंजूरी दे दी।
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अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी प्रक्रिया बताते हुए कहते हैं कि इस मामले में केंद्रीय कानून शामिल है इसलिए संविधान के अनुच्छेद 213 के तहत राज्य सरकार को अध्यादेश जारी करने से पहले राष्ट्रपति से मंजूरी लेनी पड़ेगी। इसीलिए तमिलनाडु सरकार ने अध्यादेश का मसौदा गृह मंत्रालय भेजा था। अब कानून मंत्रालय से मंजूर होने और राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद मसौदा वापस तमिलनाडु सरकार को भेजा जाएगा। जहां राज्यपाल अध्यादेश जारी करेंगे। केंद्रीय कानूनों से मामला जुड़ा होने के कारण राज्यपाल से जारी होने के बाद अध्यादेश अनुच्छेद 254 के तहत दोबारा मंजूरी के लिए राष्ट्रपति को भेजा जाएगा। शुक्रवार को सुबह ही अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने केन्द्र सरकार की ओर से सुप्रीमकोर्ट के समक्ष मामले का जिक्र किया। उन्होंने न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ से कहा कि तमिलनाडु के लोग जल्लीकट्टू को लेकर बहुत संजीदा हैं।
राज्य सरकार और केंद्र सरकार मिलकर मामले का हल निकालने का प्रयास कर रही हैं। ऐसे में अनुरोध है कि कोर्ट कम से कम एक सप्ताह तक इस पर कोई फैसला न सुनाए। पीठ ने रोहतगी का अनुरोध स्वीकार कर लिया। उधर दूसरी तरफ तमिलनाडु सरकार की ओर से गृह मंत्रालय को भेजे गए अध्यादेश के मसौदे पर केन्द्र सरकार के मंत्रालयों का विचार विमर्श शुरू हो गया जो शाम को मंजूरी में तब्दील हुआ। तमिलनाडु के सांसदों ने जल्लीकट्टू के सिलसिले में गृह मंत्री से मुलाकात भी की थी जिसमें गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने उन्हें मामले पर जल्दी निर्णय लेने का आश्वासन दिया था। दिन में कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने पत्रकारों को बताया कि सरकार समस्या का कानूनी हल निकालने की कोशिश कर रही है।
इस सिलसिले में उनका पर्यावरण मंत्री अनिल दवे और अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी के साथ विचार विमर्श हुआ है। प्रसाद ने कहा कि नरेन्द्र मोदी सरकार तमिलनाडु की संस्कृति का सम्मान करती है और शांतिपूर्ण ढंग से विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों की भावनाओं का भी उन्हें ख्याल है। मालूम हो कि जल्लीकट्टू पर सुप्रीमकोर्ट ने रोक लगा दी थी। तमिलनाडु में जल्लीकट्टू को तमिल संस्कृति से जोड़ कर रोक हटाने के लिए प्रदर्शन हो रहे हैं। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री पन्नीरसेल्वम ने गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात की थी और जल्लीकट्टू आयोजित करने के लिए अध्यादेश लाने का आग्रह किया था।
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