कोलेजियम व्यवस्था बदलने के लिए विकल्पों पर विचार कर रही सरकार
सरकार न्यायाधीशों की नियुक्ति की मौजूदा कोलेजियम प्रणाली को खत्म करने के लिए इसी सत्र में विधेयक लाने की तैयारी में है। कोलेजियम की जगह नई व्यवस्था कैसी हो इसके विकल्पों पर विचार-विमर्श चल रहा है। कानून के कुछ विशेषज्ञों का मत है कि प्रस्तावित ज्यूडिशियल अप्वांटमेंट कमीशन [जेएसी] यानी न्यायिक नियुक्ि
नई दिल्ली। सरकार न्यायाधीशों की नियुक्ति की मौजूदा कोलेजियम प्रणाली को खत्म करने के लिए इसी सत्र में विधेयक लाने की तैयारी में है। कोलेजियम की जगह नई व्यवस्था कैसी हो इसके विकल्पों पर विचार-विमर्श चल रहा है।
कानून के कुछ विशेषज्ञों का मत है कि प्रस्तावित ज्यूडिशियल अप्वांटमेंट कमीशन [जेएसी] यानी न्यायिक नियुक्ति आयोग को एक स्थाई निकाय होना चाहिए जिसके अध्यक्ष और सदस्यों का एक निश्चित कार्यकाल हो। दूसरे मानते हैं कि इसका एक एक्स ऑफिसियो यानी पदेन निकाय रहना पर्याप्त है। इससे पहले की संप्रग सरकार ने अपने विधेयक में ऐसा ही प्रस्ताव दिया था।
विधेयक पेश करने की तैयारी में जुटी सरकार के बारे में माना जा रहा है कि वह दोनों विकल्पों पर विचार कर रही है। स्थाई निकाय का मतलब है कि उसके अध्यक्ष और अन्य सदस्यों का एक पहले से निर्धारित कार्यकाल होगा, पदेन आयोग में इसके सदस्य अन्य पद पर रहते हुए इसका हिस्सा होंगे।
संप्रग के विधेयक में प्रस्ताव था कि जेएसी के अध्यक्ष भारत के मुख्य न्यायाधीश होंगे, सुप्रीम कोर्ट के दो न्यायाधीश, दो प्रतिष्ठित व्यक्ति और कानून मंत्री इसके सदस्य होंगे। पदेन व्यवस्था में कोई व्यक्ति तब तक उस आयोग का हिस्सा रहेगा जब तक वह उस पद पर बना रहेगा। सूत्रों का कहना है कि राजग सरकार भी पूर्व की संप्रग सरकार के प्रस्तावित जेएसी के स्वरूप और उसके काम के बारे में लाए जाने वाले विधेयक की योजना के खिलाफ नहीं है। इस प्रस्तावित आयोग को संवैधानिक दर्जा देने पक्ष लेकर संप्रग ने न्यायपालिका के इस डर को सही ठहराने की कोशिश की थी कि ऐसा नहीं करने पर इसके स्वरूप और काम को भविष्य की कोई भी सरकार बदल सकती है। बताया जाता है कि राजग सरकार प्रस्तावित आयोग में कितने लोग रखे जाएं इस बारे में नए सिरे से विचार कर रही है।
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