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    संसद सत्र की कामयाबी पर सरकार और विपक्ष के अपने दावे

    By Sachin BajpaiEdited By:
    Updated: Tue, 11 Apr 2017 09:43 PM (IST)

    कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पूर्व वित्तमंत्री चिदंबरम ने बजट सत्र को लेकर खास तौर पर प्रेस कांफ्रेंस किया।

    संसद सत्र की कामयाबी पर सरकार और विपक्ष के अपने दावे

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली । संसद के बजट सत्र में सरकार और विपक्ष ने कामयाबी और विफलता के अपने-अपने दावे किए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद बजट सत्र के बेहद कामयाब रहने पर संतोष जाहिर करते हुए भाजपा संसदीय दल की बैठक में कहा कि जीएसटी समेत सरकार सभी अहम जरूरी विधायी कार्य करने में सफल रही। वहीं मुख्य विरोधी दल कांग्रेस ने जहां संसद सत्र के सफल संचालन का श्रेय विपक्ष की अपनी रचनात्मक भूमिका को दिया। तो दूसरी ओर सरकार पर बजट सत्र के दौरान देश की आर्थिक तस्वीर सही तरीके से पेश नहीं कर पाने का आरोप लगाया।

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    कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पूर्व वित्तमंत्री चिदंबरम ने बजट सत्र को लेकर खास तौर पर प्रेस कांफ्रेंस किया। चिदंबरम ने कहा कि वास्तव में बजट सत्र कांग्रेस की रचनात्मक विपक्ष की भूमिका की वजह से चला है और वित्त विधेयक, बजट के साथ सरकार जीएसटी जैसा अहम कानून पारित करा सकी।

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    उन्होंने कहा कि सत्र के इस सकारात्मक नतीजों के बावजूद अफसोस है कि सरकार ने बजट में देश को बेहतर आर्थिक गति देने का अवसर खो दिया। मगर गनीमत रही कि नोटबंदी के बाद बजट में ऐसा कोई कदम नहीं उठाया गया जिससे अर्थव्यवस्था पर और वज्रपात हो।

    जीएसटी बिल पारित होने की चर्चा करते हुए चिदंबरम ने कहा कि कांग्रेस ने लोकतंत्र की बेहतर परंपरा का निर्वाह करते हुए इसका समर्थन किया। जबकि सरकार ने इसे गैर मनी बिल के रुप में लाने की हमारी मांग अनसुनी कर दी। चिदंबरम ने कहा कि बेशक जीएसटी से देश के कर ढांचे में सकारात्मक बदलाव आएगा मगर इसके लिए सरकार को 1 जुलाई से जल्दबाजी में लागू करने से परहेज करना चाहिए। इसकी जगह जीएसटी को 1 अक्टूबर से लागू किया जाना चाहिए। ताकि सभी बिजनेस संस्थानों और लोगों को जीएसटी टैक्स के अनुपालन के लिए तैयारी का वक्त मिल सके।

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    जीएसटी से देश को फायदे के सवाल पर चिदंबरम ने कहा कि बेशक दीर्घकालिक अवधि में इसका अर्थव्यवस्था को लाभ होगा। सरकार के राजस्व में इजाफा होगा मगर अल्पकाल में महंगाई के तेजी से बढ़ने की भी संभावना है। पूर्व वित्तमंत्री ने कहा कि सरकार यदि अधिकांश वस्तुओं और सेवाओं को 18 फीसद टैक्स के दायरे में रखेगी तो अल्पकाल में चुनौती ज्यादा नहीं होगी अन्यथा महंगाई का दौर लंबा चलेगा।