मेहमान की बातों से पानी-पानी हुई सीबीआइ
पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल गोपाल कृष्ण गांधी को बुलाते वक्त शायद सीबीआइ को भी इसका अहसास नहीं रहा होगा कि वह अपने ही मेहमान की बातों से पानी-पानी ...और पढ़ें

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल गोपाल कृष्ण गांधी को बुलाते वक्त शायद सीबीआइ को भी इसका अहसास नहीं रहा होगा कि वह अपने ही मेहमान की बातों से पानी-पानी होगी। अवसर था ओपी कोहली मेमोरियल भाषण का। सीबीआइ ने गांधी को मुख्य वक्ता के रूप मे बुलाया था। लेकिन उन्होंने खरी-खरी सुना दी। देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी को उन्होंने 'सरकार के हथियार' और 'डर्टी ट्रिक्स डिपार्टमेंट' के रूप में बदनाम रहने की याद दिलाई। तो साथ ही लोकपाल के मातहत काम करने का सुझाव दिया। ध्यान देने की बात यह है कि सीबीआइ लोकपाल के अधीन किए जाने का लगातार विरोध करती रही है। अपने भाषण में गांधी ने मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज को समानांतर सरकार की तरह बताया।
गोपाल कृष्ण गांधी ने सीबीआइ के निदेशक रंजीत सिन्हा तथा संपूर्ण वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में तल्ख शब्दों का इस्तेमाल किया। उन्होंने कहा कि जांच एजेंसी को सरकार के ईमानदार सहयोगी की तरह नहीं, बल्कि हथियार के तौर पर देखा जाता है। इसे अक्सर डीडीटी कहा जाता है जिसका मतलब रंगहीन, स्वादहीन, गंधहीन कीटनाशक (डाईक्लोरो डाईफेनिल ट्राईक्लोरोएथेन) नहीं, बल्कि 'डिपार्टमेंट ऑफ डर्टी ट्रिक्स' है।
गांधी ने सीबीआइ को सूचना का अधिकार कानून (आरटीआइ) के दायरे में लाने की जोरदार पैरवी की। उन्होंने जांच एजेंसी को आरटीआइ के दायरे से बाहर करने का विरोध करते हुए कहा कि इससे उसकी विश्वसनीयता का संकट बढ़ गया है। गांधी ने कहा कि सीबीआइ अपारदर्शिता का वस्त्र पहने हुए है और फिर उसके पास गोपनीयता के आभूषण हैं और रहस्य का परफ्यूम भी लगाए हुए है। उन्होंने सीबीआइ को आरटीआइ के दायरे में लाने की पैरवी करते हुए कहा कि जनता को भागीदार बनाकर सीबीआइ कुछ नहीं खोएगी, बल्कि बहुत कुछ हासिल ही करेगी। भाषण के दौरान महात्मा गांधी के पोते गोपाल कृष्ण गांधी ने मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज को भी आडे़ हाथों लिया। उन्होंने रिलायंस पर समानांतर सरकार चलाने का आरोप लगाया।
सीबीआइ की पूरी स्वायत्ता की मांग का विरोध करते हुए गांधी ने कहा कि जांच एजेंसी को लोकपाल के अधीन होकर सीमित स्वायत्तता में काम करना चाहिए। उनके अनुसार कोई भी राजनेता सीबीआइ को पूरी आजादी देने के पक्ष में नहीं है। ऐसे में राजनेताओं का हथियार बनने से उसे लोकपाल ही बचा सकता है।
मोदी, भाजपा भी रहे निशाने पर
अपने संबोधन के दौरान उन्होंने मोदी और भाजपा पर भी परोक्ष हमला बोला। गांधी के अनुसार, 'देश की शीर्ष सत्ता सांप्रदायिक, कट्टरपंथी और बहुसंख्यक तानाशाही सोच वाली ताकतों को सौंपने का उन्माद फैला हुआ है। इस काम में मीडिया ऐसी ताकतों को भोंपू बन गया है।'
सीबीआइ प्रमुख का पारेख के साथ बहस से इन्कार
नई दिल्ली। सीबीआइ निदेशक रंजीत सिन्हा ने पूर्व कोयला सचिव पीसी पारेख के साथ बहस करने से इन्कार कर दिया है। पारेख ने आरोप लगाया था कि सिन्हा ने कोयला घोटाले में उन पर एफआइआर दर्ज करने से पहले अपने दिमाग का जरा भी इस्तेमाल नहीं किया।
सिन्हा ने मंगलवार को कहा,'आप मुझसे क्या कराना चाहते हो? उन्हें जवाब देने में मेरी कोई दिलचस्पी नहीं है? मैं देश की अदालतों के प्रति जवाबदेह हूं और जब कोर्ट चाहेगी मैं एजेंसी की ओर से जवाब दाखिल करूंगा।' इससे पहले दिन में सिन्हा ने कहा था, चूंकि मामला अदालत में है इसलिए वह पारेख के आरोपों पर कोई भी टिप्पणी करने से दूर रहेंगे।
बाद में उन्होंने पूर्व कैग विनोद राय के बयान का हवाला दिया कि सीबीआइ पर भरोसा रखना चाहिए। विनोद राय ने एक दिन पहले किताब विमोचन के मौके पर कहा था,'मुझे व्यवस्था पर पूरा भरोसा है। मुझे पूर्ण विश्वास है कि नियमित जांच पूरी होने के बाद सीबीआइ इस निष्कर्ष पर पहुंचेगी कि पारेख के दरवाजे पर कोई भी आपराधिक साजिश नहीं रची जा सकती।'

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