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    चुनावों से 500 करोड़ की कमाई पर सोशल मीडिया दिग्गजों की नजर

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    Updated: Mon, 31 Mar 2014 07:41 AM (IST)

    चुनावों में युवा मतदाताओं को लुभाने के लिए सोशल मीडिया पर सियासी दलों की बढ़ी सक्रियता से गूगल, फेसबुक और ट्विटर जैसी दिग्गज इंटरनेट कंपनियों की बाछें खिल गई हैं। ये कंपनियां चुनावों में 500 करोड़ रुपये के सोशल मीडिया विज्ञापन बाजार से अपना-अपना हिस्सा बटोरने के लिए कमर कस चुकी हैं। इसके लिए इं

    नई दिल्ली। चुनावों में युवा मतदाताओं को लुभाने के लिए सोशल मीडिया पर सियासी दलों की बढ़ी सक्रियता से गूगल, फेसबुक और ट्विटर जैसी दिग्गज इंटरनेट कंपनियों की बाछें खिल गई हैं। ये कंपनियां चुनावों में 500 करोड़ रुपये के सोशल मीडिया विज्ञापन बाजार से अपना-अपना हिस्सा बटोरने के लिए कमर कस चुकी हैं। इसके लिए इंटरनेट यूजर्स को बेहतर सुविधाएं देने के लिए इन कंपनियों के बीच होड़ शुरू हो गई है।

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    डिजीटल मीडिया विशेषज्ञों के अनुसार इस आम चुनाव में 81.4 करोड़ मतदाता वोट देने जा रहे हैं। इनमें से बीस करोड़ से अधिक की पहुंच इंटरनेट तक है। दस करोड़ से अधिक तो अकेले गूगल, फेसबुक और ट्विटर जैसी नामचीन सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर सक्रिय हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इन चुनावों में पहली दफा वोट देने जा रहे करीब दस करोड़ मतदाता सोशल मीडिया का बखूबी इस्तेमाल करते हैं। इन्हीं को लुभाने के लिए राजनीतिक दल सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर अपनी सक्रियता बढ़ाने में कोई कोरकसर नहीं उठा रख रहे हैं। बाजार के जानकारों के मुताबिक इस बार के चुनावों में विज्ञापन और प्रचार का बाजार लगभग 4,000 से 5,000 करोड़ के बीच का है। इसमें से तकरीबन 500 करोड़ रुपये का सोशल मीडिया का बाजार है। दिल्ली विधान सभा चुनावों में अरविंद केजरीवाल की पार्टी आप को ऑनलाइन प्रचार से मिली अपार सफलता के बाद से सियासी दलों में सोशल मीडिया की पूछ काफी बढ़ गई है। लगभग हर पार्टी ने इंटरनेट पर अपना आक्रामक अभियान चलाने के लिए खास रणनीति तय की है। सोशल मीडिया पर सियासी दलों से लेकर मतदाताओं की बढ़ी सक्रियता को विज्ञापन और प्रचार माध्यम के रूप में भुनाने के लिए गूगल, फेसबुक और ट्विटर ने भी कमर कस लिया है। इंटरनेट विशेषज्ञों का कहना है कि लोकसभा की 543 सीटों में से तकरीबन 160 पर सोशल मीडिया का प्रभाव है। गूगल के गौरव कपूर के अनुसार, 'देश के बीस करोड़ इंटरनेट यूजर्स के चलते सियासी दलों के मीडिया फंड में अब सोशल नेटवर्किंग साइट्स भी शामिल हो गई हैं। हर दल अपने विज्ञापन एवं प्रचार बजट का पांच से दस फीसद हिस्सा सोशल मीडिया पर खर्च करने के लिए तैयार दिख रहा है।' उनके अनुसार इस मामले में यूट्यूब अहम भूमिका निभा रहा है। राजनीतिक दल ऑडियो विजुअल माध्यम से स्थानीय भाषा में मतदाताओं तक पहुंच रहे हैं। फेसबुक ने रजिस्टर टू वोट और इलेक्शन मीनू जैसे सॉफ्टवेयर को मैदान में उतार दिया है। सोशल मीडिया पर मोदी की उपस्थिति सबसे दमदार है। उनके फेसबुक पेज को एक करोड़ से अधिक लोग लाइक कर चुके हैं। तीस लाख से अधिक लोग नमो को ट्विटर पर फालो करते हैं। अरविंद केजरीवाल के भी डेढ़ करोड़ से अधिक ट्विटर फालोअर हैं। कांग्रेस से कपिल सिब्बल, अजय माकन और शशि थरूर सबसे ज्यादा सक्रिय हैं।