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    विश्व दृष्टि दिवस: दृष्टिहीनता नहीं बनी रुकावट, ज्ञान की ज्योति से रोशन हो रही उम्मीद

    By Srishti VermaEdited By:
    Updated: Thu, 12 Oct 2017 11:39 AM (IST)

    दृष्टिहीन बालिकाएं पढ़ाई में ही नहीं, सांस्कृतिक गतिविधियों में भी आगे...

    विश्व दृष्टि दिवस: दृष्टिहीनता नहीं बनी रुकावट, ज्ञान की ज्योति से रोशन हो रही उम्मीद

    पटना (जयशंकर बिहारी)। ज्ञान का प्रकाश किसी भी अंधकार को मिटा देता है, फिर यह दृष्टिहीनता का अंधेरा ही क्यों न हो। इसकी जीती जागती मिसाल है पटना का अंतरज्योति विद्यालय। पिछले पांच साल में इस विद्यालय से शिक्षा ग्रहण करने वाली अनेक छात्राएं विभिन्न सरकारी कार्यालयों और निजी संस्थानों में सेवा दे रही हैं। इस विद्यालय में दृष्टिबाधित छात्राओं को निशुल्क शिक्षा के साथ आवास और भोजन की सुविधा भी दी जाती है।

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    रोशन हुई राह : इस विद्यालय की पूर्व छात्रा एवं वर्तमान में दिल्ली विश्वविद्यालय में अंग्रेजी विषय की सहायक प्रोफेसर डॉ. गुंजन कुमारी कहती हैं, अंतरज्योति विद्यालय नहीं होता तो मेरे लिए जीवन में यह मुकाम हासिल करना मुश्किल था। लाखों दृष्टिहीन बेटियों की तरह छोटे-छोटे काम के लिए भी दूसरे की मोहताज रहती। एक और पूर्व छात्रा रेखा देवी राज्य गृह मंत्रालय में स्टेनोग्राफर के पद पर कार्यरत हैं। मधु कुमारी और मालती कुमारी राजभाषा अधिकारी, आकांक्षा कुमारी और ममता कुमारी बैंक पीओ, पिंकी कुमारी, सुनीता और राखी शिक्षिका, प्रियंका, पूनम कुमारी, नेहा और सोनी कुमारी बैंक में सहायक के पद पर कार्यरत हैं। मधु रानी लखनऊ विश्वविद्यालय से पीएचडी कर रही हैं।

    पढ़ाई और कला में आगे : प्राचार्या नंदा सहाय ने बताया कि पिछले एक दशक में बीस से अधिक छात्राएं सरकारी और 100 से अधिक छात्राएं निजी संस्थानों में नौकरी प्राप्त कर चुकी हैं। इस स्कूल की ये बालिकाएं पढ़ाई में ही नहीं सांस्कृतिक गतिविधियों में भी आगे हैं। गत वर्ष दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय कला उत्सव-2016 में विद्यालय की टीम को दूसरा स्थान मिला था। वहीं, राष्ट्रीय बालश्री प्रतियोगिता में यहां की छात्रा काजल कुमारी प्रथम स्थान पर रही थी। इस साल भी कला उत्सव के लिए स्कूल की टीम का चयन हुआ है।

    बुलंद है हौसला : स्कूल का संचालन बिहार नेत्रहीन परिषद द्वारा किया जाता है। इसी साल विद्यालय को बिहार विद्यालय परीक्षा समिति से मान्यता मिली है। लेकिन प्रबंध समिति के अनुसार विद्यालय को 2008 से सरकारी अनुदान नहीं मिला है। वर्तमान में यहां 110 छात्राएं पढ़ाई कर रही हैं। इनके लिए आवास, भोजन, पाठ्यपुस्तक आदि की व्यवस्था परिषद की ओर से की जा रही है। पटना विश्वविद्यालय की प्रोफेसर डॉ. रत्ना शर्मा ने 1993 को पांच नेत्रहीन छात्राओं के साथ स्कूल की बुनियाद रखी थी।

    आधुनिक सुविधाओं से लैस : स्कूल छात्रावास में छात्राओं के लिए अलग-अलग कमरे, संगीत कक्ष, कंप्यूटर लैब, व्यावसायिक प्रशिक्षण कक्ष, पुस्तकालय, खेलकूद का मैदान, मंदिर, वाटिका आदि की सुविधाएं उपलब्ध हैं। बे्रल शिक्षक के अतिरिक्त सभी विषयों के अलग-अलग शिक्षक हैं। 10वीं उत्तीर्ण करने के बाद विद्यालय प्रबंधन छात्राओं को आगे की शिक्षा दिलाने की व्यवस्था भी स्वयं करता है।

    विद्यालय में पढ़ने वाली आधी से अधिक छात्राएं परिवार द्वारा छोड़ दी गई होती हैं। दृष्टिहीन होने के कारण अपनी ही बेटी को कई लोग बोझ मान लेते हैं। उन्हें विद्यालय गोद लेता है। यहां की सफल छात्राएं बोझ समझने के मिथक को तोड़ रही हैं।- रमेश प्रसाद सिंह, विद्यालय प्रबंधन समिति

    यहां की सफल छात्राओं से प्रेरित होकर अन्य अभिभावक भी नेत्रहीन बेटियों का अब विद्यालय में नामांकन करा रहे हैं। समाज को दृष्टिहीन लोगों के प्रति नजरिया बदलने की जरूरत है।- पद्मश्री डॉ. आरएन सिंह, अध्यक्ष, बिहार
    नेत्रहीन परिषद

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