Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    सिटीजन चार्टर पर काम करती है यह पंचायत

    By Srishti VermaEdited By:
    Updated: Wed, 01 Nov 2017 09:36 AM (IST)

    प्रयास : सुशिक्षित सरपंच, महिला पंचों और गांव की महिला सभा ने मिलकर हासिल किया लक्ष्य। राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुका है पंचायत को...

    सिटीजन चार्टर पर काम करती है यह पंचायत

    कपूरथला (हरनेक सिंह जैनपुरी)। पंजाब के कपूरथला का खस्सण गांव ग्रामीण विकास की एक मिसाल पेश कर रहा है। गांव की महिलाओं ने सुशिक्षित सरपंच के नेतृत्व में विकास की नई कहानी लिखी है। इस ग्राम पंचायत को भारत सरकार के पंचायती राज मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा जा चुका है। स्वशासन, नारी सशक्तीकरण, शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता, विधिक साक्षरता और जल संरक्षण जैसे सभी लक्ष्यों को ग्राम
    पंचायत और गांव की महिला सभा ने मिलकर पूरा करने में सफलता पाई है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    डॉक्टर सरपंच ने की शुरुआत: खस्सण के सरपंच डॉ. एनएस कंग पहले स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत थे। वहां से सेवानिवृत्त होने के बाद वर्ष 2012 में सरपंच के चुनाव में खड़े हुए और चुने गए। उन्होंने सबसे पहला काम यह किया कि एक सिटीजन चार्टर यानी नागरिक घोषणा पत्र बनाया। उन्होंने गांव के विकास में बाधक बन रही अड़चनों की सूची बनाई और एक-एक कर इन्हें दूर करना शुरू कर दिया। छोटे-छोटे झगड़े गांव के भाईचारे व शांति को भंग करते थे, सबसे पहले इन्हें रोकने पर काम शुरू किया गया। बुजुर्गों और महिलाओं को साथ लिया और युवाओं को समझाना शुरू कर दिया। हर विवाद को पंचायत में ही निपटाया जाने लगा। नतीजा यह हुआ कि 2013 से 2017 तक गांव का एक भी मामला थाने नहीं पहुंचा। पहले इस गांव में जट्ट सिखों व दलितों के दो अलग-अलग श्मशानघाट थे। अब सभी समुदायों के लिए एक ही श्मशानघाट है।

    महिलाओं ने संभाला मोर्चा : गांव में महिला सभा का गठन किया गया है, जो महिलाओं की कदम-कदम पर मदद करती है। इसमें महिलाओं को मुफ्त कानूनी सहायता भी शामिल है। गांव में शराब का ठेका था, महिलाओं के आगे आने पर उसे पंचायत ने बंद करवा दिया। इसमें गांव की महिला पंच कुलविंदर कौर, प्रदीप कौर सहित सभी महिलाओं ने बड़ी भूमिका निभाई। महिलाएं जागरूक हुईं तो गांव में ही घरों घर सिलाई सेंटर, सेवियां बनाने, पंखिया बनाने का काम शुरू हो गया।

    हर घर में है शौचालय
    गांव में करीब एक हजार घर हैं और आबादी चार से पांच हजार के बीच है। गांव के सभी घरों में टॉयलेट है। कोई भी खुले में शौच के लिए नहीं जाता है। सरपंच डॉ. कंग, जो खुद भी एमबीबीएस हैं, इन चीजों का खास ख्याल रखते हैं। लोगों को स्वच्छता का पाठ उन्होंने ठीक तरह पढ़ा दिया है।

    हर घर में है पानी का मीटर
    यहां हर घर में पानी का मीटर भी लगा हुआ है। इसका नतीजा यह निकला कि लोग पानी को बर्बाद नहीं करते। सौ फीसदी घरों में पानी के मीटर लगाने वाले इस गांव को भारत सरकार ने 24 अप्रैल 2016 को सम्मानित किया था। गांव में सीवरेज के पानी का शोधन कर इसे खेती के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

    यह भी पढ़ें : लिखती हैं सीतामढ़ी में, पढ़ी जाती हैं पाकिस्तान तक