सरकार ने वन्य जीव प्रबंधन में जलवायु परिवर्तन को दी जगह
केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ. हर्षवद्र्धन ने कहा, क्लाइमेट चेंज का असर भी वन्यजीव प्रबंधन का हिस्सा..15 साल तक देश के संरक्षित क्षेत्र में इसी क ...और पढ़ें

देहरादून (केदार दत्त)। देश के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल के 4.9 फीसद हिस्से में पसरे संरक्षित क्षेत्र के लिए नेशनल वाइल्ड लाइफ एक्शन प्लान (एनडब्ल्यूएपी) जारी कर दिया गया है। वन्यजीव संरक्षण के मद्देनजर अगले 15 साल तक इसी प्लान के अनुरूप कार्य होंगे। दिल्ली में ग्लोबल वाइल्ड लाइफ प्रोग्राम के तहत हुई कांफ्रेंस में केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ.हर्षवद्र्धन ने एक्शन प्लान जारी किया। इसमें पहली बार क्लाइमेट चेंज (जलवायु परिवर्तन) से वन्यजीवों पर पड़ने वाले असर को भी वन्यजीव प्रबंधन का हिस्सा बनाया गया है।
देशभर में 700 के लगभग राष्ट्रीय उद्यान, अभयारण्य, कंजर्वेशन रिजर्व हैं। इनमें वन्यजीव संरक्षण के लिए 1983 से 15 वर्षीय एक्शन प्लान बनाने की कसरत प्रारंभ हुई। इस कड़ी में देश का यह तीसरा वाइल्ड लाइफ एक्शन प्लान है। दिल्ली कांफ्रेंस में शिरकत कर रहे उत्तराखंड के अपर प्रमुख मुख्य वन संरक्षक वन्यजीव डॉ. धनंजय मोहन के मुताबिक, एक्शन प्लान वन्यजीव संरक्षण के लिए पॉलिसी और एक्शन का कार्य करेगा। डॉ.धनंजय बताते हैं कि नए प्लान में वन्यजीव संरक्षण की दिशा में आने वाली चुनौतियों से निबटने पर मुख्य फोकस होगा। यही नहीं, पहली बार जलवायु परिवर्तन से वन्यजीवों पर पड़ने वाले असर को भी वन्यजीव प्रबंधन एवं नियोजन का हिस्सा बनाया गया है।
उत्तराखंड में 15 फीसद क्षेत्र संरक्षित: 71 फीसद वन भूभाग वाले उत्तराखंड में कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 14.8 फीसद हिस्सा संरक्षित क्षेत्र के अंतर्गत है। इसमें छह नेशनल पार्क, सात अभयारण्य, तीन कंजर्वेशन रिजर्व शामिल हैं। डॉ.धनंजय ने बताया कि अब नए वाइल्डलाइफ एक्शन प्लान के तहत ही उत्तराखंड में वन्यजीव संरक्षण से जुडे़ कार्य किए जाएंगे।
एक्शन प्लान का सफर
देश में वन्यजीव संरक्षण अधिनियम-1972 के अस्तित्व में आने के बाद एक्शन प्लान तैयार करने पर जोर दिया गया। केंद्रीय स्तर पर तय हुआ कि यह प्लान 15 साल के लिए होगा। देश का सबसे पहला नेशनल वाइल्डलाइफ एक्शन प्लान 1983 से 2001 के लिए बना। दूसरा प्लान 2002 से 2016 के लिए बनाया गया।
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